अधिग्रहण के लिए 25 प्रतिशत सीमा तय करने की सिफारिश
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अधिग्रहण नियमन सलाहकारी समिति ने किसी भी कंपनी के अधिग्रहण के लिए शुरुआती प्रस्ताव 15 प्रतिशत से बढा़कर 25 प्रतिशत करने की सिफारिश की...
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अधिग्रहण नियमन सलाहकारी समिति ने किसी भी कंपनी के अधिग्रहण के लिए शुरुआती प्रस्ताव 15 प्रतिशत से बढा़कर 25 प्रतिशत करने की सिफारिश की है।
समिति के अध्यक्ष सी अच्युतन ने सोमवार को यह रिपोर्ट सेबी के अध्यक्ष सीबी भावे को सौंपी। इस रिपोर्ट कंपनी के अधिग्रहण और विलय की प्रक्रिया में आमूल चूल परिवर्तन का प्रस्ताव किया गया है। भावे ने संवाददाताओं को बताया कि सेबी बोर्ड इस रिपोर्ट पर अंतिम फैसला लेने से पहले इसका विस्तृत रूप से अध्ययन करेगा।
सेबी ने यह समिति पिछले साल सितंबर में गठित की थी। समिति में अच्युतन के अलावा एल एंड टी के मुख्य वित्त अधिकारी वाई एम देवस्थली, टाटा स्टील के मुख्य वित्त अधिकारी कौशिक चटर्जी और अहमदाबाद के भारतीय प्रबंधन संस्थान के प्रो. एन वेंकटेशवरन शामिल है।
सिफारिशों का ब्यौरा देते हुए अच्युतन ने कहा कि समिति ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि अधिग्रहण करने वाली कंपनी में लक्षित कंपनी को नियंत्रित करने की क्षमता हो। समिति ने कहा है कि शत प्रतिशत का खुला प्रस्ताव करने से सभी शेयर धारको को समान अवसर प्राप्त होंगे। समिति ने शेयर हस्तांतरण और अधिग्रहण की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की सिफारिश की है।
कंपनी का असूचीबद्ध करने के सवाल पर अच्युतन ने कहा कि अधिग्रहण करने वाली कंपनी को इसका खुलासा करना होगा और 90 प्रतिशत हिस्सेदारी खुले प्रस्ताव के जरिए खरीदनी होगी। समिति ने कंपनी के लिए प्रस्ताव निर्धारित करने की प्रक्रिया में भी बदलाव किया है। हालांकि तय किए गए नियमों में बदलाव करने और किसी कंपनी को इनसे छूट देने का अधिकार सेबी के पास रहेगा।