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अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने का मुकदमा फिर लटका

अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत आठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने का चल रहा मुकदमा इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से नए विशेष...

अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने का मुकदमा फिर लटका
एजेंसीMon, 12 Jul 2010 03:58 PM
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अयोध्या में छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत आठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने का चल रहा मुकदमा इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से नए विशेष न्यायाधीश की अधिसूचना जारी नहीं किए जाने के कारण एक बार फिर लटक गया है।


केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश गुलाब सिंह की अदालत में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया साध्वी रितंभरा और उमा भारती पर विवादित ढांचा गिराए जाने का आपराधिक षडयंत्र रचने का मुकदमा चल रहा था।

इन पर भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी.147.149.153ए.153 बी .और 505 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
 गवाहों के बयान के लिए पहले आठ जून की तारीख तय की गई थी। इसी बीच न्यायाधीश सिंह का तबादला हो गया और उनकी जगह प्रीति श्रीवास्तव को उनकी जगह विशेष न्यायाधीश बनाया गया। लेकिन नए न्यायाधीश के लिए उच्च न्यायालय की ओर से अधिसूचना जारी नहीं किए जाने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।


मुकदमें की सुनवाई और गवाहों के बयान के लिए 12 जुलाई की तारीख दी गई थी लेकिन सोमवार को भी सुनवाई नहीं हुई। अब इसके लिए छह अगस्त की तारीख तय की गई है।

यह पहला मौका नहीं है जब अयोध्या मामले की सुनवाई में देरी हो रही है। इससे पहले भी मुकदमें के न्याय क्षेत्र को लेकर कुछ विवाद हुआ और मुकदमा शुरू होने में दस साल की देरी हुई थी।

इस मुकदमें की सुनवाई पहले ललितपुर में 1993 में होनी थी लेकिन न्याय क्षेत्र की अस्पष्टता के कारण यह मामला दस साल तक लटका रहा। ललितपुर की जगह रायबरेली में इसकी सुनवाई शुरू करने की अधिसूचना जारी करने में दस साल लग गए और आडवाणी समेत सभी आठ अभियुक्तों के खिलाफ 19 सितम्बर 2003 को आरोप तय किए गए।

मुकदमें की आखिरी गवाही भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी और अभी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में कार्यरत अंजू गुप्ता की हुई थी। उनकी गवाही अभी पूरी नहीं हुई है और बचाव पक्ष की ओर से उनसे सवाल पूछे जाने बाकी हैं।


अंजू गुप्ता ने अपनी पिछली दो गवाही में कहा था कि आडवाणी का भाषण उत्तेजक नहीं बल्कि जोशीला था जिसके बाद कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिराया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सांकेतिक नहीं बल्कि प्रतीक रूप में कार सेवा की इजाजत दी थी।

सीबीआई ने गुप्ता को अपने मुख्य गवाह के रूप में विशेष अदालत में पेश किया है। वह फैजाबाद की तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक थीं तथा छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के दिन उन्हें आडवाणी की विशेष सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था।

उन्होंने कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने सांकेतिक नही बल्कि प्रतीकात्मक रूप से कार सेवा की इजाजत दी थी लेकिन कार सेवा कैसे होगी इसकी जानकारी उन्हे नहीं थी। उन्हें सिर्फ विवादित ढांचे की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था।

गुप्ता सीबीआई की विशेष अदालत में नौंवी गवाह हैं। पूर्व की गवाही में उनका कहना था कि विवादित स्थल का पहला गुंबद दोपहर दो बजे, दूसरा तीन बजे और तीसरा साढे चार बजे गिरा।

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