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उमा की भाजपा में वापसी की संभावना नहीं

जसवंत सिंह की भाजपा में वापसी लगभग पक्की हो जाने के बाद उमा भारती के भी लौटने की संभावनाओं को खारिज करते हुए पार्टी ने बुधवार को कहा कि इन दोनों नेताओं के मामलों में जमीन-आसमान का फर्क है। पार्टी के...

उमा की भाजपा में वापसी की संभावना नहीं
एजेंसीThu, 17 Jun 2010 01:36 AM
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जसवंत सिंह की भाजपा में वापसी लगभग पक्की हो जाने के बाद उमा भारती के भी लौटने की संभावनाओं को खारिज करते हुए पार्टी ने बुधवार को कहा कि इन दोनों नेताओं के मामलों में जमीन-आसमान का फर्क है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ उमा के बुधवार को रायपुर जाने पर उनकी वापसी की अटकलों के बारे में भाजपा सूत्रों ने कहा कि जसवंत सिंह का मामला एकदम अलग है। वह जिन्ना पर पुस्तक लिखे जाने से पहले तक पार्टी के अनुशासित सिपाही रहे हैं। उनके पार्टी में वापस आने का मतलब यह नहीं है कि अन्य लोगों (उमा) के लौटने के द्वारा भी खुल गए हैं।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के पिता के निधन से संबंधित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आडवाणी के साथ उमा भी रायपुर गई हैं। उमा के पार्टी में वापसी को लेकर भाजपा में खासी मुखालफत है। संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता सुषमा स्वराज और अरूण जेटली सहित अनंत कुमार और एम वेंकैया नायडू जैसे दूसरी पंक्ति के वरिष्ठ नेता इस साध्वी नेता की पार्टी में वापसी के सख्त खिलाफ माने जाते हैं।

इनके अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश पाटी अध्यक्ष प्रभात झा भी नहीं चाहते कि वह पार्टी में वापस आ कर उनके लिए मुसीबत खड़ी करें।

वैसे, नितिन गडकरी ने भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद उमा, कल्याण सिंह और जसवंत सिंह की वापसी की संभावनाओं पर सकारात्मक संकेत दिए थे। गडकरी ने साथ आडवाणी भी उमा की वापसी के पक्षधर बताए जाते हैं। कहा जाता है इन दोनों नेताओं का मानना है कि यह तेज़ तर्रार नेता पार्टी के प्रचार के लिए बहुत उपयुक्त है।

रायपुर में भी आडवाणी ने उमा के भाषण की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके संबोधन के बाद वह अपनी बात रखने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा में केवल कुछ लोगों को बोलने की आवश्यकता है और बाकी को सुनना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने उमा का उल्लेख किया लेकिन साथ ही कहा यह भविष्य की बाते हैं।

आडवाणी की इन बातों से उमा की वापसी की अटकलों ने जोर पकड़ा लेकिन भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने इसे खारिज करते हुए कहा कि किसी के भाजपा में लौटने की खबर नहीं है। अगर ऐसा कोई फैसला होगा तो हम आपको बताएंगे। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि आडवाणी की उमा सराहना में ज्यादा अर्थ नहीं ढूंढे़ जाने चाहिए, क्योंकि वह अब पार्टी के एक सम्मानित बुज़ुर्ग की तरह व्यवहार कर रहे हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों के लिए दिए भोज को रद्द कर दिए जाने के बाद वहां एक रैली में आडवाणी ने कहा था कि नीतीश कुमार रैली में होते तो अच्छा होता। जिस तरह आवश्यक नहीं कि वह पार्टी का रुख है उसी तरह यह भी जरूरी नहीं कि उमा की उनके द्वारा प्रशंसा किए जाने का अर्थ पार्टी में उनकी वापसी नहीं समझा जाना चाहिए।

उधर, गडकरी के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि वह उमा की वापसी के पक्षधर हैं, बशर्ते साध्वी नेता अपने पूर्व के पापों के लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगे। वह दूसरी पंक्ति के नेताओं में उमा के खिलाफ जबर्दस्त भावना से परिचित हैं लेकिन उनके तेज तर्रार प्रचारक होने का वह भाजपा चुनाव प्रचार के लिए लाभ उठाना चाहते हैं।

गडकरी की इस सोच से सहमत पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि उमा उत्तर प्रदेश में भाजपा को पुनर्जीवित करने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। वह बिहार विधानसभा के आगामी चुनाव में भी मतदाताओं का मन मोड़ सकती हैं। सूत्रों ने कहा कि इस सबके बावजूद गडकरी उमा के विरोधियों का विश्वास जीते बिना उमा को पार्टी में नहीं लाना चाहेंगे। पार्टी में अभी उन लोगों का बहुमत है जो उमा की वापसी के सख्त खिलाफ हैं।

पूर्व में उमा की वापसी की अटकलें लगने पर चौहान को पार्टी आलाकमान की ओर से विश्वास दिलाया गया था कि ऐसा होने पर उन्हें मध्यप्रदेश के मामलों में दखल नहीं करने दिया जाएगा, लेकिन चौहान का तर्क था कि उमा के व्यक्तित्व को देखते हुए यह संभव नहीं है।

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