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Hindi Newsफिर उजागर हुआ तालिबान-आईएसआई के नापाक रिश्ते

फिर उजागर हुआ तालिबान-आईएसआई के नापाक रिश्ते

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस एजेंसी (आईएसआई) की आधिकारिक नीति में आतंकवादी संगठन तालिबान को समर्थन देने की बात शामिल है। यह एजेंसी न केवल तालिबान को धन और प्रशिक्षण मुहैया...

फिर उजागर हुआ तालिबान-आईएसआई के नापाक रिश्ते
एजेंसीSun, 13 Jun 2010 02:04 PM
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पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस एजेंसी (आईएसआई) की आधिकारिक नीति में आतंकवादी संगठन तालिबान को समर्थन देने की बात शामिल है। यह एजेंसी न केवल तालिबान को धन और प्रशिक्षण मुहैया कराती है, बल्कि इसका प्रतिनिधित्व भी तालिबान नेतृत्व में मौजूद है।

बेहद प्रतिष्ठित माने जाने वाले लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स के ताजा शोध में यह दावा किया गया है। हालांकि आईएसआई और तालिबान के रिश्तों को हमेशा संदिग्ध निगाहों से देखा जाता रहा है, लेकिन इस नए शोध के बाद इन संबंधो पर नई रोशनी पड़ी है। इससे पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए पश्चिमी देशों से मिल रही मदद और उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इस साल की शुरुआत में जेलों का दौरा कर वहां बंद तालिबान नेताओं से मुलाकात की थी। समझा जाता है कि इस मुलाकात के दौरान जरदारी ने इन आतंकवादियों को उनकी रिहाई के बारे में आश्वासन दिया और आतंकवादी कार्रवाई में मदद की बात कही।
इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान सरकार में उच्चतम स्तर पर भी तालिबान को समर्थन हासिल है। विभिन्न तालिबान कमांडरों, पूर्ववर्ती तालिबान सरकार में ऊंचे पद पर रहे लोगों और अफगान एवं पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों के साक्षात्कार के बाद बनी इस रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान बहुत उच्च स्तर पर दोहरा खेल खेल रहा है।

इससे पहले भी मार्च 2009 में अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन और अमेरिकी सेंट्रल कमांड के जनरल डेविड पेट्राउस ने कहा था कि उन्हें इस प्रकार के संकेत मिले हैं कि आईएसआई के कुछ तत्व तालिबान और अलकायदा का समर्थन कर रहे हैं और आईएसआई को यह सब खत्म करना चाहिए।

लेकिन इस खुलासे के बावजूद सुरक्षा से जुड़े बड़े अधिकारी सार्वजनिक तौर पर इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से साफ-साफ बचते हैं। उन्हें डर है कि ऐसी बाते करने से परमाणु शक्ति संपन्न पाकिस्तान के अमेरिका के साथ रिश्तों में दरार आ सकती है और अरबों डॉलर के सैन्य और आर्थिक समझौतों पर पलीता लग सकता है।

इस रिपोर्ट के लेखक और हॉवर्ड विश्वविद्यालय के फैलो मैट वाल्डमैन कहते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। अमेरिकी जनता एवं राजनीतिक प्रतिष्ठानों में यह जानकारी भूराजनैतिक प्रभावों पर असर डाल सकती है। यदि पाकिस्तान के रुख में बदलाव नहीं आया तो अफगानिस्तान में कार्यरत पश्चिमी देश और यहां सत्तारूढ़ करजई सरकार के लिए आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई प्रगति हासिल करना मुश्किल हो सकता है।

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