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मेडिकल जहां काम ही जीवन देना है

डॉक्टर बनना आसान काम नहीं है, सब जानते हैं, लेकिन इससे पवित्र कोई दूसरा पेशा भी नहीं है। बीमारों को नया जीवन देना इनका धर्म है। कहा तो यहां तक जाता है कि डॉक्टर भगवान का ही दूसरा नाम है। यकीनन किसी...

मेडिकल जहां काम ही जीवन देना है
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 21 Apr 2010 03:50 PM
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डॉक्टर बनना आसान काम नहीं है, सब जानते हैं, लेकिन इससे पवित्र कोई दूसरा पेशा भी नहीं है। बीमारों को नया जीवन देना इनका धर्म है। कहा तो यहां तक जाता है कि डॉक्टर भगवान का ही दूसरा नाम है। यकीनन किसी अन्य पेशे को ऐसा दर्जा मिलना कठिन है, क्योंकि यह जीवन से जुड़ा है और जीवन से महत्त्वपूर्ण और क्या हो सकता है। इसलिए जो कोई डॉक्टर बनने का निर्णय लेता है, वह एक कठिन निर्णय लेता है। यही वजह है कि करियर के परंपरागत विकल्पों में सबसे चुनौतीपूर्ण विकल्प मेडिकल को माना जाता है। समाज में डॉक्टर को मिलने वाला सम्मान उसी चुनौती को स्वीकार करने का प्रतिफल है।

शरीर है तो रोग भी हैं और उनको ठीक कर स्वास्थ्य की खुशी देने वाला व्यक्ति डॉक्टर कहलाता है। बीमारियां कल भी थीं, आज भी हैं और कल भी रहेंगी, इसीलिए डॉक्टरी के पेशे को अपनाना कम से कम करियर के लिहाज से एक बेहतर निर्णय है। इसमें मानवता की सेवा को जोड़ दें तो यह बेजोड़ बन जाता है। वैसे भी हम अपने रोजमर्रा के जीवन में देखते हैं कि कैसे डॉक्टर अपने चिकित्सकीय ज्ञान के सहारे बीमारियों, विकृतियों व चोटों से बचने, उनका निदान करने और उपचार करने का प्रयास करते हैं। उनके काम करने का समय कोई निर्धारित नहीं होता। वे अस्पताल या क्लिनिक में आए मरीजों को परामर्श देते हैं, जांच करते हैं, सजर्री करते हैं और किसी भी समय मरीज को तकलीफ होने पर देखते हैं। ऐसे समर्पित कार्य के लिए तैयार होना एक विशेष प्रतिबद्धता की मांग करता है। ऊपरी तौर पर लोग देखते हैं कि एक डॉक्टर खूब पैसे कमा रहा है और काफी व्यस्त रहता है। किन्तु इसके पीछे उसकी मेहनत कितनी है, समर्पण कितना है, उदास क्षणों को झेलने का दम कितना है, मरीज की मौत पर विचलित न होने का विवेक कितना है, यह भी देखा व समझा जाना जरूरी है। यदि आप में ऐसा करने का दमखम है तो बेशक आप इस पेशे को अपना सकते हैं। डॉक्टर सामान्यतया किसी अस्पताल, नर्सिग होम, निजी क्लिनिक इत्यादि में काम करते हैं या अध्यापन करते हैं। वे अपनी प्रैक्टिस कर सकते हैं या फिर किसी सरकारी चिकित्सा सेवा से जुड़ सकते हैं। इनके काम में हमेशा ऐसा रहता है कि वे लोगों से घिरे रहते हैं। कोई न कोई अपनी बीमारी के बारे में पूछने, दिखाने या दवा जानने के लिए उनके पास आया ही रहता है, लिहाजा उनके काम का समय लंबा होता है और अनियमित भी। विभिन्न अस्पतालों में परामर्श देने या मरीजों को देखने के लिए भागा-दौड़ी भी खूब रहती है। एनेस्थीसिया, रेडियोलॉजी या सजर्री वाले डॉक्टरों को तो इमरजेंसी में किसी भी समय अपनी सेवाएं देनी पड़ सकती हैं।

व्यक्तिगत गुण

जाहिर है इतने व्यस्त और जिम्मेदार पेशे के लिए डॉक्टर का स्वस्थ रहना, ऊर्जावान होना जरूरी है। उसे जीव विज्ञान की बारीकियों को जानने में रुचि होनी चाहिए। मरीजों को समझने की क्षमता नहीं होगी तो एक केयरिंग डॉक्टर की छवि नहीं बन पाएगी, क्योंकि इसी से मरीजों को भरोसा मिलता है। आत्मविश्वास के बिना तो काम बिल्कुल नहीं चलेगा। डॉक्टर को तो ऐसा होना ही चाहिए कि वह एक तरफ तो बीमारों की उम्मीदों पर खरा उतरे तो दूसरी तरफ नाउम्मीदी वाले केसों के बिगड़ने पर तीमारदारों के गुस्से को भी अपनी समझ-बूझ से निपटा सके। आए दिन ऐसी खबरें मिलती ही रहती हैं कि अमुक अस्पताल में ऐसा हुआ। लिहाजा आप डॉक्टर बनना चाहते हैं तो आपको स्वभाव से विनम्र और धैर्यवान होना चाहिए। इसके अलावा निर्णय लेने की क्षमता, चीजों को जोड़ कर देखने की काबिलियत और विश्व में इस क्षेत्र में क्या हो रहा है, यह जानने की ललक होनी चाहिए। आप इन सभी बातों को अपने अंदर देखते या पाते हैं तो इस पेशे में आपका स्वागत है।

विशेषज्ञता

विज्ञान ने आज इतनी तरक्की कर ली है कि हर क्षेत्र में विशेषज्ञता पर जोर दिया जाने लगा है। जनरल फिजीशियन अब बहुत कम लोग बनना चाहते हैं। ज्यादा से ज्यादा लोग प्रारंभिक डिग्री लेने के बाद विशेषज्ञता की ओर बढ़ जाते हैं। अब एनेस्थीसियोलॉजिस्ट हैं, इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर हैं, कार्डियोलॉजिस्ट हैं, डर्मेटोलॉजिस्ट हैं, सजर्न हैं (इनमें भी अलग-अलग हिस्से के विशेषज्ञ सजर्न हैं), ऑप्थालमोलॉजिस्ट हैं, गाइनोकोलॉजिस्ट हैं, पैथोलॉजिस्ट हैं, पेडिट्रिशियन हैं, न्यूरोलॉजिस्ट हैं, साइकिएट्रिस्ट हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि इस पेशे में विशेषज्ञता के सहारे खुद को स्थापित करने की चुनौती हमेशा मौजूद है।

शाखाएं व डिग्री

मेडिसिन में कई शाखाएं हैं, जिनमें से आप अपनी रुचि व रुझान के अनुसार चुनाव कर सकते हैं। आप एलोपैथी में जा सकते हैं, होम्योपैथी को अपना करियर बना सकते हैं या फिर आयुर्वेद को अपना सकते हैं। इनके अलावा, यूनानी मेडिसिन में भी आप पढ़ाई कर एक सफल चिकित्सक बन सकते हैं। इनमें से कुछ के पाठय़क्रम साढ़े पांच साल के हैं तो कुछ चार साल के और कुछ तीन या साढ़े तीन साल के हैं। इनमें से किसी का चुनाव कर आप एमबीबीएस, बीएचएमएस, बीएएमएस, बीयूएमएस, बीडीएस, बीवीएससी/एएच इत्यादि की डिग्री ले सकते हैं।

प्रवेश परीक्षाएं

इन सभी पाठय़क्रमों में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। एमबीबीएस पाठय़क्रम में प्रवेश पाने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/प्री-डेंटल प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। इसके अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली, आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज, पुणे, बीएचयू इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वाराणसी, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, एएमयू, अलीगढ़, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा इत्यादि के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/प्री-डेंटल प्रवेश परीक्षा के आधार पर केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, नगरपालिकाओं व अन्य स्थानीय प्राधिकृतियों द्वारा संचालित संस्थानों में (जम्मू व कश्मीर व आंध्र प्रदेश को छोड़ कर) उपलब्ध सीटों के 15 प्रतिशत के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है। जम्मू व कश्मीर व आंध्र प्रदेश में अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को प्रवेश नहीं दिया जाता। इसके अलावा हर राज्य में कई मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें अधिकांश सीटें उस राज्य के अभ्यर्थियों के लिए रखी जाती हैं। इनके लिए राज्य स्तर पर प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं।

पात्रता

1. अभ्यर्थी भारत का नागरिक होना चाहिए।
2. अभ्यर्थी ने 17 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो या एमबीबीएस/बीडीएस कोर्स के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने के साल विशेष के 31 दिसंबर या उससे पहले वह 17 साल पूरे कर ले।
3. ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/प्री-डेंटल प्रवेश परीक्षा के लिए अधिकतम आयु सीमा 25 वर्ष है। अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए इसमें पांच साल की छूट का प्रावधान है।
4. ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/प्री-डेंटल प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए किसी भी वर्ग के अभ्यर्थी को सिर्फ तीन अवसर ही मिलेंगे।
5. अभ्यर्थी ने किसी भी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 12वीं की परीक्षा या समकक्ष 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की हो। उसने भौतिकी, रसायनशास्त्र, जीव विज्ञान व अंग्रेजी विषयों की पढ़ाई की हो और इन विषयों में उत्तीर्ण हो। अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 40 है।

एमबीबीएस : एलोपैथिक मेडिसिन में ग्रेजुएट डिग्री
बीएचएमएस : होम्योपैथिक मेडिसिन में ग्रेजुएट डिग्री
बीएएमएस : आयुर्वेदिक मेडिसिन में ग्रेजुएट डिग्री
बीयूएमएस : यूनानी मेडिसिन में ग्रेजुएट डिग्री
बीवीएससी/एएच: वेटनरी साइंस एवं एनिमल हसबैंडरी में ग्रेजुएट डिग्री
(ये सभी पाठय़क्रम साढ़े पांच वर्ष के हैं।)

बीडीएस : डेंटिस्ट्री में ग्रेजुएट डिग्री
बीफार्मा : फार्मेसी में ग्रेजुएट डिग्री
बीएससी (नर्सिग) : नर्सिग में ग्रेजुएट डिग्री
(ये सभी पाठय़क्रम चार वर्ष के हैं।)
बीपीटी : फीजियोथेरेपी में ग्रेजुएट डिग्री
बीओटी : ऑक्यूपेशनल थेरेपी में ग्रेजुएट डिग्री
बीएमएलटी : मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएट डिग्री
(ये सभी पाठय़क्रम तीन या साढ़े तीन वर्ष के हैं।)

मेडिकल के प्रमुख संस्थान

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)
अंसारी नगर, नई दिल्ली-110008
वेबसाइट : www.aiims.edu
कोर्स : एमबीबीएस
योग्यता : अभ्यर्थी का किसी भी मान्यताप्राप्त बोर्ड से 50 प्रतिशत अंकों (एससी, एसटी व ओबीसी के लिए 40 प्रतिशत) के साथ 12वीं उत्तीर्ण होना जरूरी है तथा भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान व इंग्लिश अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ी होनी चाहिए। जो छात्र 2010 में 10+2 या समकक्ष परीक्षा दे रहे हैं, वे भी आवेदन कर सकते हैं।

आवेदन : विवरणिका और आवेदन पत्र 1000/-रुपये का भुगतान कर प्राप्त किया जा सकता है। अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए यह राशि 800 रुपये हैं। ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। इस वर्ष प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

अन्य प्रमुख संस्थान

-आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज, पुणे
वेबसाइट : www.afmc.nic.in


-बीएचयू इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वाराणसी
वेबसाइट : www.bhu.ac.in 


-जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, एएमयू, अलीगढ़
वेबसाइटwww.amu.ac.in


-क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
वेबसाइट : www.cmch-vellore.edu


महात्मा गांधी इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा
वेबसाइट : www.mgims.ac.in

कोचिंग संस्थान

आकाश इंस्टीटय़ूट www.aakashinstitute.com
श्री चैतन्या
www.srichaitanya.edu.in
ओएसिस एजुकेशन सर्विसेज
www.oescare.com
साहिल स्टडी सर्किल
www.sahilstudycircle.net

स्कॉलरशिप

विभिन्न स्कॉलरशिप उपलब्ध हैं, जिनमें अधिकतर सरकारी संस्थानों की हैं और एससी, एसटी, अन्य पिछड़े वर्ग के लिए हैं। कुछ प्राइवेट संस्थाएं अपने स्तर पर भी स्कॉलरशिप ऑफर करती हैं।

एजुकेशन लोन

बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक सहित कई बैंक लोन उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए प्राथमिक शर्त यही होती है कि वह मेडिकल कॉलेज मान्यताप्राप्त हो। अभ्यर्थी भारत का नागरिक होना चाहिए तथा इस पाठय़क्रम में उसे दाखिला मिला होना चाहिए। इसमें उसे संस्थान की फीस, हॉस्टल फीस, परीक्षा की फीस देने व कंप्यूटर इत्यादि खरीदने के लिए लोन दिया जाता है।

नौकरी के अवसर

मेडिसिन की हर शाखा में अवसर उपलब्ध हैं। जो बेहतर हैं, उन्हें अच्छे अस्पतालों में जगह मिल पाती है। यहां थोड़ा नाम कमा लेने के बाद निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं। इसके अलावा नर्सिग होम, क्लिनिक्स व अन्य संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर सकते हैं। अनुसंधान केंद्रों में, मेडिकल कॉलेज में, गैर-सरकारी संस्थानों में अवसर उपलब्ध हैं। नर्सिग होम या क्लिनिक भी खोला जा सकता है।

वेतन

सरकारी अस्पतालों में 26,000/- से लेकर 45,000/- रुपये मिलते हैं, जो अनुभव के साथ बढ़ते जाते हैं। निजी अस्पतालों में भी अब अच्छे पैकेज ऑफर किए जाने लगे हैं। जहां तक अपनी प्रैक्टिस की बात है तो इसका कोई सीधा गणित नहीं है। यदि मरीजों को भरोसा है तो आमदनी काफी हो सकती है।

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