फोटो गैलरी

Hindi Newsबेहतर भारत-पाक संबध चाहने पर ली गई बेनजीर की जान!

बेहतर भारत-पाक संबध चाहने पर ली गई बेनजीर की जान!

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट सार्वजनिक की है, जिसमें कहा गया है कि भारत के साथ मजबूत रिश्तों पर पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का स्वतंत्र रूझान और कश्मीर मुद्दे पर इसके...

बेहतर भारत-पाक संबध चाहने पर ली गई बेनजीर की जान!
एजेंसीFri, 16 Apr 2010 07:06 PM
ऐप पर पढ़ें

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट सार्वजनिक की है, जिसमें कहा गया है कि भारत के साथ मजबूत रिश्तों पर पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का स्वतंत्र रूझान और कश्मीर मुद्दे पर इसके प्रभाव तथा उनकी हत्या के बीच संबंध हो सकता है।

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को झटका देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या होने से रोका जा सकता था लेकिन तत्कालीन सैन्य शासक मुशर्रफ की सरकार उन पर मंडरा रहे खतरे से पूरी तरह वाकिफ होने के बावजूद उन्हें बचाने में विफल साबित हुई।

किसी मुस्लिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने वाली बेनजीर की 27 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी में एक चुनाव रैली के बाद हत्या कर दी गई थी। रैली में गोलीबारी और विस्फोट दोनों हुए थे। संयुक्त राष्ट्र द्वारा गठित तीन सदस्यीय स्वतंत्र समिति की 65 पन्नों की रिपोर्ट समिति के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र में चिली के राजदूत हेराल्डो मुनोज ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को सौंपी। पाकिस्तान सरकार के कहने पर यह जांच की गई थी।

बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट में कहा गया है कि बेनजीर की हत्या को रोका जा सकता था।
 रिपोर्ट में आईएसआई और पाकिस्तान पुलिस की भी कड़ी निंदा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों बेनजीर की हत्या की जांच में जानबूझकर विफल रहे। रिपोर्ट के मुताबिक बेनजीर की हत्या को टाला जा सकता था।

समिति ने इस बात पर जोर दिया कि बेनजीर को अलकायदा, पाकिस्तान तालिबान, अन्य जेहादी संगठनों और पाकिस्तान के तथाकथित प्रतिष्ठानों से भी खतरा था, जिनमें पाकिस्तान के सैन्य कमांडर, खुफिया एजेंसी, गठबंधन वाली राजनीतिक पार्टियां और व्यापार सहयोगी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिष्ठान भुट्टो के जिन रुझानों से चिंतित थे, उनमें भारत के साथ रिश्ते सुधारने पर तत्काल जोर देने का उनका स्वतंत्र रूझान और कश्मीर मुद्दे पर इसका असर भी शामिल रहा।

जांचकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि बेनजीर की जान को गंभीर खतरे के बारे में सूचना आगे देने के सिवाय अधिकारियों ने खतरे को टालने के लिए कोई सुरक्षात्मक उपाय नहीं किया। हालांकि रिपोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि बेनजीर को किसने मारा।

मुनोज ने बताया कि बेनजीर की हत्या के दिन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संघीय सरकार, पंजाब सरकार और रावलपिंडी जिला पुलिस की थी। इनमें से किसी ने भी बेनजीर की जान को पैदा हुए जबर्दस्त और नए सुरक्षा जोखिम के मद्देनजर आवश्यक कदम नहीं उठाए, जिनसे वे अवगत थे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकारी अधिकारी सबसे पहले बेनजीर की रक्षा करने में विफल रहे और उसके बाद जांच में भी। अधिकारी बेनजीर की हत्या के जिम्मेदार लोगों की पहचान, हमले की योजना, आर्थिक मदद और उसे अंजाम देने के बारे में जांच करने में भी असफल रहे।

एक जुलाई, 2009 को बनी मुनोज के नेतृत्व वाली समिति को 31 दिसंबर, 2009 को अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन इसका कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया। समिति को हत्या की परिस्थितियों के बारे में जानकारी और सभी तथ्य एकत्रित करने थे। समिति को गुनाहगारों की पहचान करने का काम नहीं दिया गया था।

रिपोर्ट पहले 30 मार्च को आनी थी, लेकिन पाकिस्तान ने समिति से मांग की थी कि रिपोर्ट में अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई और सऊदी अरब से मिली जानकारियां भी जोड़ी जाएं। इसके चलते रिपोर्ट आने में देरी हुई। रिपोर्ट में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को हत्या के बाद मामले की जांच में हस्तक्षेप करने को लेकर कड़ी फटकार लगाई गई है।
    
मुनोज ने कहा कि खुफिया एजेंसी की व्यापक भूमिका ने नियम-कानूनों को कमतर और असैन्य-सैन्य संबंधों को खराब किया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आईएसआई ने पाकिस्तानी समाज के हर पहलू में व्यापक और गैरकानूनी भूमिका निभाई है।

समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि मुशर्रफ सरकार ने जांच नहीं की, जबकि उन्हें न केवल संघीय स्तर पर, बल्कि प्रांतीय स्तर पर भी जांच करानी चाहिए थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार मामले को शांत करने के लिए जल्दबाजी कर रही थी, जिससे उसके प्रति देश में विश्वास की कमी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है, संघीय सरकार बेनजीर के पाकिस्तान लौटने पर उन्हें प्रभावी सुरक्षा देने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी निभाने में असफल साबित हुई।

समिति ने कहा है कि आत्मघाती हमले के बाद बेनजीर को बुरी तरह क्षतिग्रस्त वाहन में अस्पताल ले जाकर असुरक्षित रखा गया, जबकि उनकी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त रखी जाने वाली बुलेटप्रूफ मर्सिडीज पहले ही रवाना हो गई। रावलपिंडी अस्पताल में पुलिस प्रमुख के आदेशों पर बेनजीर का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया।

मुनोज ने कहा कि समिति का मानना है कि रावलपिंडी पुलिस प्रमुख ने उच्च अधिकारियों से स्वतंत्र रूप से काम नहीं किया। समिति ने इस बात पर भी प्रश्न उठाया कि गृहमंत्री ने हत्या के एक दिन बाद ही विवादास्पद संवाददाता सम्मेलन के आदेश क्यों दिए, जबकि तब तक औपचारिक जांच भी नहीं हुई थी।

बेनजीर की हत्या के एक दिन बाद सरकार ने पत्रकार वार्ता में दावा किया था कि बेनजीर की मौत जोरदार विस्फोट के चलते सिर में चोट के कारण हुई। सरकार ने दावा किया कि हमला पाकिस्तानी तालिबान के नेता बैतुल्ला महसूद ने किया। महसूद को अमेरिकी सुरक्षाबलों ने अगस्त 2009 में मार गिराया था।

जांचकर्ताओं ने कई अनसुलझे सवालों का भी जिक्र किया है। सवालों में कहा गया है कि बेनजीर के वाहन के चारों ओर भीड़ को कैसे जाने दिया गया, जिसके चलते वाहन को रोकना पड़ा, बेनजीर की हत्या गोली लगने से हुई या विस्फोट से, बेनजीर का पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया, अपराध स्थल को पानी से क्यों धो दिया गया, जिससे सारे सबूत नष्ट हो गए।

रिपोर्ट में अनुशंसा की गई है कि पाकिस्तान सरकार को बेनजीर की हत्या करने वाले की पहचान के लिए एक आयोग की स्थापना करनी चाहिए। समिति ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले पाकिस्तान में और पाकिस्तान से बाहर लगभग 250 लोगों से पूछताछ की, जिनमें मुशर्रफ, अमेरिका के शीर्षस्थ अधिकारी और जरदारी भी शामिल हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें