आरटीआई कानून में संसोधन पर सोनिया-मनमोहन में मतभेद
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का मानना है कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून लोगों का जीवन बदल रहा है, लिहाजा इसमें संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन यहीं पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है...
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का मानना है कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून लोगों का जीवन बदल रहा है, लिहाजा इसमें संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन यहीं पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है कि इस कानून में संशोधन किए बगैर कुछ मामलों को नहीं सुलझाया जा सकता।
ज्ञात हो कि सोनिया गांधी ने आरटीआई कानून को लागू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सोनिया गांधी ने पिछले वर्ष 10 नवंबर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र में लिखा था कि आरटीआई कानून अब चार वर्ष का हो गया है। इन शुरुआती वर्षों में बहुत कुछ हासिल किया जा चुका है, जबकि इसे ठीक से लागू करने में अभी भी समस्याएं हैं। फिर भी इसने हमारे लोगों के जीवन को और देश में प्रशासन के तौर-तरीकों को बदलना शुरू कर दिया है।
सोनिया गांधी ने लिखा था कि सरकारी ढांचे में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए इस कानून में उपलब्ध कराए गए प्रावधानों को गति पकड़ने में निश्चित रूप से समय लगेगा। लेकिन प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसे हर हाल में मजबूती प्रदान किया जाना चाहिए। सोनिया गांधी ने कहा था कि उनकी राय में आरटीआई कानून में किसी भी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।
सोनिया गांधी के पत्र के जवाब में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लिखा था कि वह आरटीआई कानून के प्रभाव को लेकर उनके विचारों से सहमत हैं और इस बात से भी कि यह प्रशासन के तौर-तरीकों में बदलाव ला रहा है, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे भी हैं, जिन्हें इस कानून में संशोधन किए बगैर हल नहीं किया जा सकता। दोनों नेताओं के पत्रों की एक-एक प्रति आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की मांग पर उन्हें उपलब्ध कराई गई है।