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प्रदूषण: सरकार का फैसला, दिल्ली में 2020 की बजाय 2018 से ही मिलने लगेगा BS-VI किस्म का पेट्रोल-डीजल

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है।  पेट्रोलियम मंत्रालय ने बुधवार को दिल्ली में 1 अप्रैल 2018 से ईंधन के लिए बीएस-6...

प्रदूषण: सरकार का फैसला, दिल्ली में 2020 की बजाय 2018 से ही मिलने लगेगा BS-VI किस्म का पेट्रोल-डीजल
नई दिल्ली | विशेष संवाददाताThu, 16 Nov 2017 12:10 AM
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है।  पेट्रोलियम मंत्रालय ने बुधवार को दिल्ली में 1 अप्रैल 2018 से ईंधन के लिए बीएस-6 नियमों को लागू करने का फैसला किया है। पहले बीएस-6 नियम 2020 से लागू करने की योजना थी। अभी देश में बीएस-4 ईंधन इस्तेमाल हो रहा है। 

पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। ताकि, प्रदूषण को कम किया जा सके। उनके मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों से यह संभावनाएं भी तलाशने के भी निर्देश दिए है कि क्या एक साल में यानी 1 अप्रैल 2019 से पूरे एनसीआर में बीएस-6 वाहन ईंधन बेचना संभव है। एनसीआर के दायरे में दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई इलाके आते हैं। देश में 1 अप्रैल 2017 से ही पूरे देश में बीएस-4 ईंधन की बिक्री शुरू हुई है।

गाड़ी में बदलाव नहीं
दिल्ली में बीएस-6 ईंधन की बिक्री शुरू होने से मौजूदा गाड़ियों में कोई बदलाव की जरूरत नहीं है। कार कंपनियों का कहना है कि बीएस-4 या अन्य मानक वाले इंजन लगी गाड़ियों में बीएस-6 के ईंधन का इस्तेमाल किया जा सकता है। मतलब यह कि गाड़ियों के इंजन में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है।

2020 से बीएस-6 गाड़ियां
सरकार ने बीएस-6 इंजन वाली गाड़ियो के लिए 2020 की समय सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे साफ है कि दिल्ली में अगले साल से ईंधन बीएस-6 मिलेगा, पर गाड़िया बीएस-4 ही रहेंगी। कार कंपनियों का कहना है कि 2020 से बिकने वाली बीएस-6 गाड़ियों में बेहतर गुणवत्ता वाला इंजन लगा होगा। इसलिए, गाड़ियों की कीमत बीस से तीस हजार रुपये तक बढ़ सकती हैं।

क्या है बीएस-6
बीएस-6 का मतलब है कि भारत स्टेज 6। गाड़ियां कितना प्रदूषण फैलाती है, इसे नापने के लिए भारत स्टेज नाम से पैमाना तय किया गया है। जो यूरोप में प्रचलित मानक यूरो-6 के बराबर है। फिलहाल देश में बीएस-4 गाड़िया बिक रही हैं। सरकार पहले 2018 से बीएस-5 ईंधन लागू कर रही थी। पर बीएस-5 और बीएस-6 की तकनीक में बहुत अंतर नहीं है। इसलिए, सरकार ने बीएस-4 से सीधे बीएस-6 लागू करने का फैसला किया। बीएस-6 में ईंधन में प्रदूषण का स्तर बहुत कम है।

बीएस-6 वाहन से दोगुना फायदा 
सड़क परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि बीएस-6 के ईंधन को इसी मानक वाले वाहन में इस्तेमाल होने से उनकी क्षमता बढ़ेगी। साथ ही वायु प्रदूषण में 50 फीसदी की कमी आएगी। ईंधन क्षमता बढ़ाने से कारें 4.1 लीटर में 100 किलोमीटर से अधिक का माइलेज देंगी। बीएस-6 वाहन के लिए 93 ऑक्टेन वाले पेट्रोल की जरूरत होगी, जोकि थोड़ी महंगी होगी। दिल्ली सहित देश के बड़े शहरों के पेट्रोल पंपों पर उक्त पेट्रोल मिलता है। इसकी उपलब्धता व आपूर्ति के लिए करीब 30,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना है।

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