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डीयू में एबीवीपी को अति आक्रमक रवैया ले डूबा

नई दिल्ली। हेमवती नंदन राजौरा डूसू चुनाव में दो मुख्य पदों पर एनएसयूआई की जीत के पीछे कई कारण रहे। कांग्रेस के छात्र संगठन ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर बेहतर प्रचार किया, बल्कि विश्वविद्यालय में...

डीयू में एबीवीपी को अति आक्रमक रवैया ले डूबा
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 13 Sep 2017 11:13 PM
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नई दिल्ली। हेमवती नंदन राजौरा डूसू चुनाव में दो मुख्य पदों पर एनएसयूआई की जीत के पीछे कई कारण रहे। कांग्रेस के छात्र संगठन ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर बेहतर प्रचार किया, बल्कि विश्वविद्यालय में एबीवीपी के अति आक्रामक रुख का भी उसे पूरा फायदा मिला। इस वर्ष फरवरी में रामजस कॉलेज में एबीवीपी और वाम संगठनों के बीच हुई हिंसा की घटनाओं से एबीवीपी की छवि को नुकसान हुआ। इसका फायदा वाम संगठनों के बजाय एनएसयूआई को मिला। इसके अलावा शिक्षकों से बदसलूकी व हिंसा की घटनाओं से भी एबीवीपी की छवि खराब हुई। डीयू में वामसंगठनों ने भयमुक्त कैंपस जैसे अभियान चलाकर एबीवीपी के खिलाफ माहौल बनाया। इसका फायदा भी एनएसयूआई के पक्ष में गया। रॉकी को नामांकन रद्द होने के बाद सहानुभूति मिली : चुनाव से ठीक पहले एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रॉकी तुषीद का नामांकन रद्द कर दिया गया। इसके खिलाफ तुषीद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां से उन्हें बड़ी राहत मिली। इसका सीधा फायदा उन्हें चुनाव में मिला। छात्रों के बीच यह संदेश गया कि उनका नामांकन गलत तरीके से रद्द किया गया था। इस कारण तुषीद के प्रति सहानुभूति रही। डिजिटल कैंपेन को हथियार बनाया : एनएसयूआई ने सोशल मीडिया के जरिए बेहतरीन प्रचार किया। एनएसयूआई डिजिटल घोषणापत्र जारी करने वाला पहला छात्रसंगठन बना। संगठन ने व्हाट्सएप, फेसबुक और एसएमएस के जरिए छात्रों को घोषणापत्र के मुद्दे तय करने के लिए कहा। हजारों छात्रों की ओर से आए सुझावों को घोषणापत्र और प्रचार अभियान में इस्तेमाल किया। एनएसयूआई को यह डर भी सता रहा था कि कहीं छात्रों में उनके उम्मीदवार की पहचान को लेकर अलका और रॉकी के बीच संशय तो नहीं रहेगा। इस वजह से संगठन ने सोशल मीडिया के जरिए काफी तेजी से अपने अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रॉकी के समर्थन में प्रचार किया। शॉर्ट फिल्म और वीडियो के जरिए युवाओं से रॉकी को वोट देने की अपील की गई। एबीवीपी पिछले चार सालों से डूसू के अहम पदों पर रही है। एनएसयूआई ने एबीवीपी के खिलाफ सही तरह से छात्रसंघ का फंड न खर्च करने का मुद्दा उठाकर माहौल बनाया। एनएसयूआई ने अपने घोषणापत्र में उत्तर पूर्व के छात्रों पर भी विशेष ध्यान दिया था।

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