दिल्ली में लोगों के लिए जमीन से ज्यादा कचरा मौजूद है : हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के विभिन्न हिस्सों में पड़े कचरे के ढेर की अखबारों में छपी तस्वीरों का हवाला देते हुए शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में लोगों के रहने के लिए जितनी जमीन है, उससे कहीं...
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के विभिन्न हिस्सों में पड़े कचरे के ढेर की अखबारों में छपी तस्वीरों का हवाला देते हुए शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में लोगों के रहने के लिए जितनी जमीन है, उससे कहीं ज्यादा कचरा है। हाईकोर्ट ने कहा कि शहर को साफ करने के लिए काम करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए नाकि धन, जैसा तीनों नगर निगम दावा कर रहे हैं। तीनों निगमों ने दिल्ली सरकार को चौथे वित्त आयोग की सिफारिशें लागू नहीं करने का जिम्मेदार बताया है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल एवं जस्टिस सी हरी शंकर की खंडपीठ ने कहा कि क्रियान्वयन के बारे में बातें करने से पहले हाईकोर्ट के आदेश को समझना चाहिए। पीठ ने 21 जून को हुई सुनवाई के संदर्भ में यह बात कही। उस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि लगता है तीनों नगर निगमों के आयुक्तों ने आदेश का अध्ययन नहीं किया है। खंडपीठ ने तीनों निगमों की ओर से पेश हुए अवर सॉलीसीटर जनरल संजय जैन से कहा कि चौथे वित्त आयोग की सिफारिशें लागू करने के आदेश का दिल्ली सरकार ने पालन नहीं किया है, ऐसे में अवमानना की याचिका दायर की जा सकती है। आयोग का गठन 2009 में स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति का जायजा लेने और करों, कर्तव्यों, टोल और दिल्ली सरकार द्वारा लगाए जाने वाले उपकरों के बंटवारे पर सिफारिशें देने के लिए किया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकाय जिस तेजी से अनियमित निर्माण को वैध करार दे रहे हैं, जल्दी ही वित्तीय रूप से खस्ता हाल हो जाएंगे। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस मसले को भी उठाया कि वित्तीय तंगी को आधार बताकर शहर को साफ-सुथरा रखने में असमर्थता दिखाना सही नहीं है। शहर को साफ रखना प्रत्येक विभाग की जिम्मेदारी है। जिसका सबको निर्वाह करना चाहिए। यदि महकमों का यह रवैया बरकरार रहा तो जल्द ही हाईकोर्ट को कोई सख्त कदम उठाना पड़ सकता है।