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हाईकोर्ट ने पूर्व शिक्षा निदेशक से पूछा ‘उन पर क्यों न चले अवमाना का मुकदमा

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता आदेश के बावजूद विशेष शिक्षक की नियुक्ति के लिए महिलाओं की तर्ज पर पुरुषों को भी अधिकतम उम्रसीमा में छूट देने की मांग पर विचार नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया...

हाईकोर्ट ने पूर्व शिक्षा निदेशक से पूछा ‘उन पर क्यों न चले अवमाना का मुकदमा
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 14 Sep 2017 11:38 PM
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नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता आदेश के बावजूद विशेष शिक्षक की नियुक्ति के लिए महिलाओं की तर्ज पर पुरुषों को भी अधिकतम उम्रसीमा में छूट देने की मांग पर विचार नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार के पूर्व शिक्षा निदेशक पद्मनि सिंघला को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जस्टिस विपिन सांघी व रेखा पल्ली की पीठ ने सिंघला को यह बताने के लिए कहा है कि क्यों न उन पर अवमानना का दीवानी मुकदमा चलाया जाए। पीठ ने इस मामले के तथ्यों को देखने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने जवाब देने के लिए 10 अक्तूबर तक का समय दिया है। उसी दिन मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले, हाईकोर्ट ने कहा कि उम्रसीमा में छूट देने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है। पीठ ने कहा कि तथ्यों से साफ है कि तत्कालीन शिक्षा निदेशक सिंघला ने उसके 10 जुलाई, 2014 के आदेश को उपराज्यपाल के समक्ष पेश किए बिना याचिकाकर्ता की मांग को खारिज कर दिया। पहली नजर में शिक्षा निदेशक द्वारा 14 सितंबर, 2014 का आदेश पूरी तरह से अदालत के आदेश की जानबूझकर अवहेलना है। पीठ ने नोटिस की तामिल करने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की तय की है। उम्रसीमा में छूट देने पर विचार करे उपराज्यपाल हाईकोर्ट ने एक बार फिर से उपराज्यपाल को विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में महिलाओं की तरह पुरुषों को भी अधिकतम उम्रसीमा में छूट देने की मांग पर विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता संजय घोष ने कहा कि इस मामले में 2014 के आदेश को उपराज्यपाल के समक्ष दोबारा से रखे जाने का एक मौका दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा है कि चूंकि सालों से यह मामला लंबित है। ऐसे में उपराज्यपाल को मामले में तीन सप्ताह के भीतर उचित निर्णय लेने को कहा है। महिलाओं को उम्र में छूट मिली थी गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की याचिका पर हाईकोर्ट ने सभी सरकारी व निगम के स्कूलों में मूक, बधिर व नेत्रहीन छात्रों को उचित शिक्षा देने के लिए कम से कम दो विशेष शिक्षक नियुक्त करने का निर्देश दिया। दिल्ली सरकार ने विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अधिकतम उम्रसीमा में महिलाओं को 10 साल की छूट दे दी। लेकिन पुरुषों को किसी भी तरह की छूट देने से इनकार कर दिया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सैयद मेहदी की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल की थी।

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