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दो लोगों को जेल भेजने पर विधानसभा अध्यक्ष से मांगा जवाब

सदन की कार्यवाही के दौरान नारेबाजी करने और पर्चे फेंकने के आरोप में दो लोगों को सजा एक माह कैद सजा देने के मामले में हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से जवाबा मांगा है। हाईकोर्ट ने तीन दिन में विधानसभा...

दो लोगों को जेल भेजने पर विधानसभा अध्यक्ष से मांगा जवाब
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 11 Jul 2017 11:09 PM
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सदन की कार्यवाही के दौरान नारेबाजी करने और पर्चे फेंकने के आरोप में दो लोगों को सजा एक माह कैद सजा देने के मामले में हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से जवाबा मांगा है। हाईकोर्ट ने तीन दिन में विधानसभा अध्यक्ष को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है क्यों न उनके फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को स्वीकार कर जेल भेजे गए युवकों को रिहा करने का आदेश दिया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ने 28 जून को सदन की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से नारेबाजी करने व पर्चे फेंकने के आरोप में दो लोगों को सजा सुनाकर जेल भेज दिया था। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल व नज्मी वजीरी की पीठ ने जगदीप राणा और राजन कुमार मदन को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जेल भेजे जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। पीठ ने इस मामले में केजरीवाल सरकार से भी जवाब तलब किया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पेशी वारंट जारी करते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन से मामले की अगली सुनवाई पर राणा और मदन को पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी। विधानसभा में कार्यवाही के दौरान 28 जून को राणा और मदन विधानसभा के दर्शक दीर्घा में बैठे थे और उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी की थी और उनकी तरफ पर्चे फेंके थे। याचिकाकर्ता राणा व मदन की ओर अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिससे सदन की अवमानना हुई है। याचिका में विधानसभा विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को अवैध बताया गया है। याचिका में कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने उनका पक्ष सुने बगैर ही उन्हें सजा देकर जेल भेजने का आदेश दिया है जो कि न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों के खिलाफ है। याचिका में राणा और मदन ने तत्काल जेल से रिहा करने की मांग की है। दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल की ओर से दिल्ली सरकार के वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि यह विशेषाधिकार हनन का मामला है और सदन की अवमानना की घटना सभी विधायकों की मौजूदगी में हुई। उन्होंने कहा कि इसलिए अध्यक्ष को उनका पक्ष सुनने की जरूरत नहीं थी।

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