नौकरी से बर्खास्तगी के बाद भी कर्मचारी पेंशन के हकदार
बर्खास्तगी के बाद भी कर्मचारी पेंशन पाने का हकदार है, खासकर तब जब सरकार ने अपने संस्थान को बंद होने की वजह से किसी को नौकरी से निकाला हो। हाईकोर्ट ने पिछले 12 साल से पेंशन, स्वास्थ्य और अन्य सुविधा...
बर्खास्तगी के बाद भी कर्मचारी पेंशन पाने का हकदार है, खासकर तब जब सरकार ने अपने संस्थान को बंद होने की वजह से किसी को नौकरी से निकाला हो। हाईकोर्ट ने पिछले 12 साल से पेंशन, स्वास्थ्य और अन्य सुविधा पाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार से कानूनी लड़ाई लड़ रहे एम. एस. राठी के हक में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस वी. कामेश्वर राव ने अपने फैसले में कहा है कि ‘ऐसा नहीं है कि राठी को किसी कदाचार या अनियमितता की वजह से नौकरी से निकाला गया है। राठी ने विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (एसवीआरएस) लेने से इनकार कर दिया जिसकी वजह से उनकी नौकरी चली गई। हाईकोर्ट ने कहा है कि राठी ने 24 साल से अधिक समय तक सरकार को अपनी सेवाएं दी और उनका करियर संतोषजनक रहा है। साथ ही कहा है कि ऐसे में यदि सिर्फ नौकरी से निकाले जाने के आधार पर उन्हें पेंशन व अन्य सुविधाओं से वंचित रखा गया तो उनकी 24 साल की सेवा शून्य हो जाएगी। हाईकोर्ट ने राठी के हक में फैसला सुनाते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि उनकी बर्खास्तगी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्त मान ले। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के उन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि नौकरी से निकाले गए लोगों को पेंशन व अन्य सुविधा देने की जरूरत नहीं है। इस पर पीठ ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों को एसवीआरएस का विकल्प नहीं चुनने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के दुष्परिणाम के बारे में नहीं बताया था। केंद्र राठी को ब्याज सहित दे पेंशन हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह एम. राठी को जुलाई 2005 से ही अब तक का पेंशन जारी करे और इस रकम पर 9 फीसदी ब्याज भी का भी भुगतान करे। इसके अलावा हाईकोर्ट ने सरकार से राठी को केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस कार्ड) मुहैया कराने को कहा है ताकि वह निशुल्क स्वास्थ्य का लाभ उठा सके। हाईकोर्ट ने राठी को इसके लिए सरकार को एक प्रतिवेदन देने को कहा है। साथ ही सरकार को इस पर तीन माह के भीतर निर्णय लेने को कहा है। क्या था मामला केंद्र सरकार ने 2005 में भारतीय निवेश केंद्र (आईआईसी) को बंद करने की घोषणा करते हुए कहा कि इस महकमा का काम अब भारतीय प्रवासी मामलों के मंत्रालय करेगी। इसके बाद सरकार ने कर्मचारियों को विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के विकल्प का चुनाव करने को कहा। राठी ने सरकार के उस फैसले के खिलाफ 2005 में हाईकोर्ट गए। लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। हालांकि हाईकोर्ट ने उन्हें छूट दी थी कि वह एसवीआरएस के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद भी उन्होंने आवेदन नहीं किया। इसके बाद सरकार ने उन्हें नौकरी से निकाला दिया। इसके साथ ही सरकार ने उन्हें पेंशन व सेवानिवृत्ति का अन्य लाभ देने से भी इनकार कर दिया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ राठी तब से अदालतों, मानवाधिकार आयोग और सरकारी महकमों के चक्कर लगा रहे थे।