ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News NCR गुरुग्रामसाइबर सिटी की मुस्लिम महिलाओं ने की फैसले की सराहना

साइबर सिटी की मुस्लिम महिलाओं ने की फैसले की सराहना

गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता साइबर सिटी की मुसलिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की है। गरीब तबके से लेकर अमीर तबके तक की महिलाओं में खुशी का माहौल है, क्योंकि तीन तलाक को लेकर मन...

साइबर सिटी की मुस्लिम महिलाओं ने की फैसले की सराहना
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवTue, 22 Aug 2017 08:01 PM
ऐप पर पढ़ें

गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता साइबर सिटी की मुसलिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की है। गरीब तबके से लेकर अमीर तबके तक की महिलाओं में खुशी का माहौल है, क्योंकि तीन तलाक को लेकर मन में बैठा डर अब खत्म हो गया है। इसके अलावा शहर के कॉलेजों में पढ़ रही हिंदू-मुसलिम छात्राओं ने महिला सशक्तीकरण की दिशा में ठोस कदम बताया है। हिंदू छात्राओं का कहना है कि मुसलिम महिलाओं को उनके समाज-धर्म में अब बराबरी का दर्जा मिल सकेगा। जबकि छात्राओं का कहना है कि अब उनका भविष्य सुनहरा होगा। पेश है मुसलिम महिलाओं और छात्राओं से बातचीत: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की मैं सराहना करती हूं। ये शरिया नहीं था। तीन तलाक एक बार में होना गलत है। ये नहीं होना चाहिए। मुसलिम महिला सशक्तीकरण के लिए शिक्षा से बड़ा कुछ नहीं है। कुरान में शिक्षा को खास अहमियत दी गई है। कुरान शरीफ में एक समय में तीन बार (तलाक तलाक तलाक) कहना लिखा नहीं गया है। ये एक गलत धारणा लोगों ने बना ली है। तीन तलाक दुनिया के 22 देशों में प्रतिबंधित है। इसमें मुस्लिम देश भी शामिल हैं। डॉ जीशान फातिमा, एसोसिएट प्रोफेसर तीन तलाक मुसलिम महिलाओं का शोषण करने का कार्य कर रहा था। मुसलिम महिलाओं की इसे लेकर लड़ाई काफी लंबे समय से चल रही थी। तीन तलाक गैरकानूनी काफी पहले हो जाना चाहिए था। मुस्कान खंडेलवाल, छात्रा (तृतीय वर्ष) सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से साफ हो गया कि देश बदल रहा है। मुसलिम महिलाओं के पक्ष में हुए फैसले से लोकतंत्रा में विश्वास बढ़ा है। मुसलिम महिलाओं को न्याय मिला है। प्रीत कौर, छात्रा (तृतीय वर्ष) सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने महिला सशक्तीकरण को लेकर दुनिया के सामने एक सकारात्मक छाप छोड़ी है। तीन तलाक न केवल मुसलिम बल्कि मानवता के भी खिलाफ था। स्वीटी, छात्रा (द्वितीय वर्ष) फैसले पर टिप्प्णी नहीं: हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी नहीं कर सकते लेकिन तीन तलाक शरीयत की व्यवस्था है, कयामत तक कायम रहेगी। इसमें कहीं नहीं लिखा है कि आवेश में आकर या मजाक में तीन तलाक का इस्तेमाल किया जाए। तीन तलाक की व्यवस्था इसलिए दी गई है कि जब बीबी और शौहर के बीच में रिश्ता कायम रखने का कोई विकल्प न रह जाए तो इसे इस्तेमाल किया जाता है। जान मोहम्मद, इमाम जामा मस्जिद, गुरुग्राम फैसले पर एकमत राजनीतिक दल: गुरुग्राम। साइबर सिटी के तमाम राजनीतिक दल तीन तलाक के मुद्दे पर एकमत हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने इसका स्वागत किया। भाजपा नेताओं ने इसे ऐतिहासिक करार दिया तो वहीं कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया में इसका स्वागत किया, हालांकि उन्होंने बाद में इस अपने व्यक्तिगत राय से जोड़ दिया। सुप्रीप कोर्ट का फैसला तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों के मुंह पर करारा तमाचा है I इससे मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक आजादी मिलेगी। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'न्यू इंडिया' से जुड़ पाएंगी। इस कुप्रथा से मुसलिम महिलाओं को जीवन नरक बना हुआ था। रमन मलिक, भाजपा नेता व्यक्तिगत तौर मैं इसे ऐतिहासिक फैसला मानता हूं। सरकार को इस मजबूती से लागू करना चाहिए। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं को न्याय, आजादी और मजबूती हासिल हुई है। गोपीचंद गहलोत, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष, आईएनएलडी सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च अदालत है। हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं का मनोबल मजबूत होगा। वे खुद को असुरक्षित महसूस नहीं करेंगी। फैसला स्वागतयोग्य है। आने वाले दिनों इससे कई बदलाव देखने को मिलेंगे। गजे सिंह कबलाना, कांग्रेस नेता सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक और स्वागतयोग्य है। इस मामले से महिलाओं को बड़ी आजादी और मजबूती मिलेगी। यह एक कुप्रथा थी। अभी भी तमाम दूसरी कुप्रथाएं हैं जो महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाती हैं। उनका अंत होना भी जरूरी है तभी सही मायने में महिला सश्क्तीकरण और समानता संभव होगी। निशा सिंह, निवर्तमान पार्षद, आप नेता मुसलिम धर्मगुरु बोले फैसला समझ से परे फिरोजपुर झिरका। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक के मसले पर एक अहम फैसला आया। इसमें तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार से कानून बनाने की बात कही है। जैसे ही देश की सर्वेच्च अदालत ने यह फैसला सुनाया इसके बाद मेवात इलाके के लोगों ने कोर्ट के इस फैसले पर नाखुशी जताई है। मुस्लिम धर्म गुरुओं की दलील है कि यह मसला केवल शरियत के ऊपर आधारित है। इसमें किसी की दखलंदाजी ठीक नहीं है। वहीं मुसलिम महिलाओं ने नाम न छापने की सूरत में बताया कि ये मसला शरियत का है। ये पूरा मामला सिर्फ और सिर्फ शरियत पर ही आधारित रहेगा। हालाकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गुस्से या जल्दबाजी में तलाक देने के मामलों पर जरुर अंकुश लगेगा। इसका हम स्वागत करते हैं। क्या कहते हैं क्षेत्र के लोग: यदि शौहर और बीवी के बीच अनबन और निभाव की शक्ल नहीं है। वह अपनी मर्जी से तलाक लेना चाहते हैं तो उनको शरियत ये अधिकार देता है कि वो आपस में तलाक लेकर अलग-अलग रह सकते हैं। हालांकि कुछ मामलों में लोग गुस्से में या फिर झगड़े के दौरान तीन तलाक बोल देते हैं जो ठीक नहीं है। खुदा के यहां सबसे बड़ा गुनाह तीन तलाक को माना गया है। अख्तर हुसैन मुसलिम मामलों के जानकार। हम बेवजह तीन तलाक देने वालों का विरोध करते हैं। गुस्से या नशे में तलाक देने वालों को अल्लाह के यहां बहुत बड़ा गुनाहगार माना गया है। ऐसे में लोग इसपर पाबंदी रखें। निकाह और तलाक कोई हंसी मजाक का काम नहीं है। लोग इससे ज्यादा से ज्यादा बचने का प्रयास करें। मौलवी मसीह मुसलिम मामलों के जानकार।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें