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शालीमार गार्डन में ई-रिक्शा चालकों से अवैध वसूली

नगर निगम ने पूरे शहर में कहीं भी ई-रिक्शा की पार्किंग का टेंडर नहीं छोड़ा है। बावजूद इसके शालीमार गार्डन में ई-रिक्शा चालकों से पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। खुद को ठेकेदार बताने वाले...

शालीमार गार्डन में ई-रिक्शा चालकों से अवैध वसूली
हिन्दुस्तान टीम,गाज़ियाबादSat, 24 Jun 2017 08:08 PM
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नगर निगम ने पूरे शहर में कहीं भी ई-रिक्शा की पार्किंग का टेंडर नहीं छोड़ा है। बावजूद इसके शालीमार गार्डन में ई-रिक्शा चालकों से पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। खुद को ठेकेदार बताने वाले कुछ लोग सुबह छह बजे से ही 15 रुपये की पर्ची काटने लगते हैं। पर्चियों पर निगम की स्वीकृति भी लिखी है। शालीमार गार्डन के शिवा चौक पर सुबह छह बजे से ई-रिक्शों का संचालन शुरू हो जाता है। ये रिक्शे शालीमार गार्डन मेन, राजेंद्र नगर, आराधना सिनेमा और लापजत नगर तक जाते हैं। कई लोग ई-रिक्शा को बुक कर घर तक ले जाते हैं। ऐसे में सुबह से ही ठेकेदार के तीन कर्मचारी वसूली के लिए खड़े हो जाते हैं। निगम ने शालीमार गार्डन में ई-रिक्शा पार्किंग का टेंडर भी नहीं किया है। ऐसे में रोजाना ई-रिक्शा चालकों से गैरकानूनी वसूली होती है। यदि रिक्शा चालक विरोध करते हैं, तो मारपीट करते हैं। ऐसे में गरीब रिक्शा चालक 15 रुपये की रसीद कटवा लेते हैं। वहीं निगम ऑटो की पार्किंग का टेंडर करता है, लेकिन ई-रिक्शा का नहीं करता है। ------ नगर निगम ने ई-रिक्शा पार्किंग का कोई टेंडर नहीं दिया है। शालीमार गार्डन में बगैर निगम की स्वीकृति के वसूली की जा रही है, जो गलत है। इस मामले में पुलिस प्रशासन के सहयोग से कार्रवाई कराई जाएगी। सुनील राय, जोनल प्रभारी, मोहन नगर जोन, नगर निगम ---- शालीमार गार्डन में गलत तरीके से ई-रिक्शा चालकों से पार्किंग वसूली की जाती है। इसमें विरोध करने वाले लोगों से मारपीट की जाती है। इस मामले को नगर निगम बोर्ड में उठाया जाएगा। राजीव भाटी, पार्किंग टेंडर समिति के सदस्य ----- नगर निगम से 3.37 लाख हजार रुपये का टेंडर लिया है। इसके आधार पर वसूली की जा रही है। ई-रिक्शे का ठेकेदार, नगर निगम ये है वसूली का खेल शालीमार गार्डन में शिवा चौक, भोपुरा रोड पर एमआरआई हुंडई शोरूम और शालीमार गार्डन गायत्री भवन के सामने ई-रिक्शा चालकों से वसूली की जाती है। इन तीनों जगह से करीब 1500 ई-रिक्शों का संचालन होता है। ऐसे में 15 रुपये की पर्ची के हिसाब से करीब 20 हजार रुपये की वसूली होती है। इससे एक महीने में करीब छह लाख रुपये की वसूली की जाती है। सूत्रों की माने तो वसूली का धंधा पुलिस और स्थानीय नेताओं की मिलीभगत से होता है। क्या है नियम मोहन नगर जोनल प्रभारी सुनील राय ने बताया कि नगर निगम ऑटो से पार्किंग वसूली का टेंडर करता है। इसमें कहीं पर भी ई-रिक्शा से वसूली के विषय में नहीं लिखा होता है। इसके बावजूद गरीबों से वसूली की जाती है। यदि ई-रिक्शा से वसूली की जा रही है, तो पूरी तरह से गलत है।

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