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तीसरी बार भी शहर हुआ स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर

स्मार्ट सिटी की दौड़ से गाजियाबाद तीसरी बार भी बाहर हो गया। इस बार स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव तैयार कराने में करीब 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हुआ। शहर में विभिन्न प्रकार के 40 अभियान चलाए गए। एससीपी...

तीसरी बार भी शहर हुआ स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर
हिन्दुस्तान टीम,गाज़ियाबादFri, 23 Jun 2017 07:18 PM
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स्मार्ट सिटी की दौड़ से गाजियाबाद तीसरी बार भी बाहर हो गया। इस बार स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव तैयार कराने में करीब 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हुआ। शहर में विभिन्न प्रकार के 40 अभियान चलाए गए। एससीपी (स्मार्ट सिटी प्रपोजल) के लिए दस से ज्यादा योजनाओं पर फोकस किया गया। करीब 20 कंपनियों और आरडब्ल्यूए के साथ एमओयू साइन किया गया। बावजूद इसके शहर स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर हो गया। नगर निगम ने इस बार एससीपी (स्मार्ट सिटी प्रपोजल) बनाने के लिए पुरानी केपीएमजी नामक कंसल्टेंट फर्म को ही चुना, लेकिन दावा किया गया था कि इस बार प्रपोजल फर्म के सबसे ज्यादा विशेषज्ञों ने तैयार किया है। इस कंपनी द्वारा कई शहरों के प्रपोजल तैयार किए गए और सभी कामयाब हुए। निगम सूत्रों की माने तो इस बार कंसल्टेंट कंपनी को करीब 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हो सकी। विकसित क्षेत्र को चुनना भी है कमी शहर को तीन तरह से स्मार्ट बनाने की योजना थी। इसमें रेट्रो फिटिंग मॉडल, ग्रीन फील्ड मॉडल और पुन: निर्माण मॉडल शामिल हैं। रेट्रो फिटिंग मॉडल के तहत 500 एकड़ ऐसे क्षेत्र नागरिकों की सलाह पर चुना जाना था, जिसमें पुराने ढांचे को प्रभावित किए बिना अतिरिक्त निर्माण कार्य कर क्षेत्र को स्मार्ट बनाया जा सके। ग्रीन फील्ड मॉडल के तहत 250 एकड़ से अधिक का चयन करके उस पर नया विकास किया जाना था। वहीं पुन: निर्माण मॉडल में नागरिकों की सलाह से 50 एकड़ से अधिक के क्षेत्र में पुराने ढांचे को हटाकर पुन: निर्माण कर स्मार्ट क्षेत्र बनाया जाना था। इस बार वैशाली और कौशाबी वाले क्षेत्र को स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया। यह क्षेत्र पहले से ही गाजियाबाद का सबसे विकसित क्षेत्र माना जाता है। स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान से नहीं ली सीख जनवरी माह में स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान शुरू किया गया था। इसमें केंद्र सरकार की टीम को शहर की जांच करनी थी। इसको लेकर शहर में कुछ साफ-सफाई की गई। केंद्र की टीम के सर्वे के बाद नतीजा यह हुआ कि स्वच्छता मामले में शहर का नंबर काफी नीचे रहा। उस रिजल्ट को लेकर भी नगर निगम ने कोई सीख नहीं ली। माना जा रहा है कि स्वच्छता सर्वे के नतीजे भी स्मार्ट सिटी को दौड़ में पिछड़ने की अहम वजह रहे। ---- स्मार्ट सिटी के 30 शहरों की लिस्ट में फिर से गाजियाबाद शामिल नहीं हो पाया। क्या कमी रह गई इसको लेकर विचार किया जाएगा। अभी अंतिम मौका बाकी है। इस चरण में जगह बनाने के लिए पूर्व की कमियों को दूर किया जाएगा। -सीपी सिंह, नगर आयुक्त दोबार से ट्रांस हिंडन क्षेत्र को स्मार्ट सिटी बनाने का प्रयास किया जा रहा था। तीन बार इस दौड़ से बाहर होने का अर्थ है कि अधिकारियों में इसके प्रति इच्छाशक्ति नहीं है। अब इसकी मिलकर समीक्षा करनी होगा। -सुनील शर्मा, विधायक साहिबाबाद मेरा काम मेहनत करना व लोगों को जागरूक करना था। स्मार्ट सिटी के लिए प्रपोजल तैयार कराना अधिकारियों की हाथ में था। नतीजे से साफ है अधिकारियों ने जिस कंसल्टेंट कंपनी को चुना वह शहर का पक्ष सही प्रकार से नहीं रख पाई। नए नगरायुक्त के साथ मिलकर इसकी समीक्षा की जाएगी। -अशु वर्मा, महापौर

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