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फरीदाबाद, कुरूक्षेत्र के डीसी समेत चार आईएएस के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश

वन विभाग के नौ दागी अधिकारियों पर पहले ही दर्ज हो चुका है केस -अशोक छाबड़ा- चंडीगढ़। हरियाणा के लोकायुक्त ने मनरेगा घोटाले में फैसला सुनाते हुए फरीदाबाद व कुरूक्षेत्र के जिला उपायुक्तों समेत चार...

फरीदाबाद, कुरूक्षेत्र के डीसी समेत चार आईएएस के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश
Center,DelhiMon, 29 May 2017 09:24 PM
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वन विभाग के नौ दागी अधिकारियों पर पहले ही दर्ज हो चुका है केस -अशोक छाबड़ा- चंडीगढ़। हरियाणा के लोकायुक्त ने मनरेगा घोटाले में फैसला सुनाते हुए फरीदाबाद व कुरूक्षेत्र के जिला उपायुक्तों समेत चार आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। प्रदेश में यह पहला मौका है जब लोकायुक्त के गठन के बाद एक साथ चार आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं। लोकायुक्त ने जिन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं उनमें फरीदाबाद के उपायुक्त समीरपाल सरों, कुरूक्षेत्र की उपायुक्त सुमेधा कटारिया, चंडीगढ के पूर्व उपायुक्त मोहम्मद शाइन, महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक रेणु फूलिया शामिल हैं। लोकायुक्त ने यह कारवाई पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पी.पी. कपूर द्वारा दी गई शिकायत पर की है। इसी केस में वन विभाग के वन मंडल अधिकारी अंबाला जगमोहन शर्मा सहित कुल नौ अधिकारियों पर पहले ही आपराधिक मुकद्दमा दर्ज है व वन विभाग के चार अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं। शिकायतकर्ता एवं पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पी.पी. कपूर ने बताया कि वर्ष 2007 से 2010 के बीच अंबाला में वन विभाग के अफसरों ने 25.13 करोड़ रूपये की मनरेगा परियोजना में व्यापक घोटाला किया। तत्कालीन एडीसी अंबाला द्वारा इस भ्रष्टाचार की रिपोर्ट तत्कालीन डीसी अंबाला को देने के बावजूद तत्कालीन डीसी अंबाला समीरपाल सरों, मोहम्मद शाईन, आरपी भारद्वाज (सेवानिवृत), सुमेधा कटारिया व रेणु फुलिया एडीसी ने वन विभाग के अधिकारियों को करोड़ों रूपये के चैक काटकर पेमेंट कर दी। विजिलेंस जांच में पाया गया कि ये सभी प्रशासनिक अधिकारी वन विभाग के अधिकारियों से मिले हुए थे। अंबाला के तत्कालीन एडीसी वजीर सिंह गोयत व संजीव वर्मा द्वारा घोटाले की जांच रिपोर्ट तत्कालीन डीसी अंबाला को दिए जाने के बावजूद भी बिना किसी प्रशासनिक व तकनीकी अनुमति व नियमों को ताक पर रखकर वन विभाग के अधिकारियों को इन आईएएस ने चैक काटकर पेमेंट कर दी। भारत सरकार ने वर्ष 2017 से वर्ष 2010 के बीच डीसी अंबाला को कुल 50 करोड़ रूपये की धनराशि मनरेगा परियोजना के लिए भेजी। इसमें से 25.13 करोड़ रूपये की राशि वन विभाग अंबाला के वन मंडल अधिकारी को पौधारोपण, हर्बल पार्क बनाने, कच्चे रास्तों को पक्का करने, नर्सरी उगाने जैसे कार्यों के लिए अलॉट कर दी। यह कार्य मनरेगा के तहत खंड अंबाला, खंड नारायणगढ़, खंड शहजादपुर आदि में किए जाने थे। इस परियोजना में व्यापक भ्रष्टाचार की सूचना मिलने पर तत्कालीन हुड्डा सरकार ने इसकी जांच स्टेट विजिलैंस से कराई। विजिलैंस ब्यूरो अंबाला के एसपी डाक्टर एम रवि किरण द्वारा की गई इस घोटाले की जांच रिपोर्ट दिनांक 16 नवंबर 2012 को तत्कालीन डीजीपी (विजिलैंस) शरद कुमार ने हरियाणा सरकार को सौंप दी। इस विजिलैंस रिपोर्ट में वनमंडल अधिकारी जगमोहन शर्मा सहित वन विभाग के नौ अधिकारियों के विरूद्ध जालसाजी, धोखाधड़ी,गबन आदि का आपराधिक मुकद्दमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। विजिलैंस जांच रिपोर्ट में पांचों आईएएस अधिकारियों समीरपाल सरों, मोहम्मद शाईन, आरपी भारद्वाज, रेणु फुलिया, सुमेधा कटारिया को दोषी मानते हुए व आरोपी नामजद करते हुए इनके विरूद्ध कार्रवाई का फैसला सरकार पर छोड़ दिया था। पूर्व तथा मौजूदा सरकार द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण कपूर ने इस घोटाले के विरूद्ध 13 जनवरी 2015 को सीएम विंडो पर शिकायत की तो 27 जनवरी 2015 को सरकार ने वन विभाग के नौ अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराकर पल्ला झाड़ लिया,लेकिन आईएएस अधिकारियों को छोड़ दिया। कपूर ने इस घोटाले के विरूद्ध 30 जनवरी 2015 को लोकायुक्त को शिकायत देकर पांचों आईएएस के विरूद्ध आपराधिक केस दर्ज कराने की मांग की। कपूर ने लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल के फैसले के उपरांत पांचों आईएएस अधिकारियों को गिरफ्तार करने व अपने वर्तमान पदों से सस्पैंड करने की मांग की है ताकि ये अधिकारी जांच को प्रभावित न कर सकें। इसी में बाक्स---- लोकायुक्त की कार्रवाई स्वागतयोगय-विज हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने लोकायुक्त के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह घोटाला पूर्व की हुड्डा सरकार के कार्यकाल का है। इसमामले में लोकायुक्त ने जो निर्णय दिया है वह प्रशंसनीय है। इससे भ्रष्टाचार की पैरवी करने वालों को कड़ा संदेश मिलेगा।

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