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सबसे बड़ी चोरी: चाचा-भतीजे ने ऐसे चुराया 5 करोड़ लीटर पेट्रोलियम

पिछले पांच सालों में भूर सिंह राजपुरोहित और उसके भतीजे गौतम ने कथिततौर पर देश

Alakhaलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 05 Nov 2017 02:14 PM

भारतीय इतिहास में तेल की सबसे बड़ी चोरी

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पिछले पांच सालों में भूर सिंह राजपुरोहित और उसके भतीजे गौतम ने कथिततौर पर देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम साइट से 50 मिलियन लीटर यानी 5 करोड़ लीटर कच्चे तेल की चोरी कर डाली है। उन्होंने इतनी बड़ी विशालकाय लूट को कैसे अंजाम दिया इस बारे में आगे पढ़ें विस्तार से- 

भारतीय इतिहास में तेल की सबसे बड़ी चोरी

राजस्थान के बाड़मेर जिले में और पाकिस्तान बॉर्डर से 125 किमी दूर मंगला फील्ड नाम की रिफाइनरी है। यह देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी है। यहां हर दिन 1.75 लाख बैरल पेट्रोलियम का उत्पादन होता है कि जो कि देश में होने वाले उत्पादन का 25 फीसदी है।

लेकिन 2012 के दौरान चोरी का ऐसा तरीका निकाला कि प्रतिदिन कंपनी के 30 टैंकरों को कंपनी में पहुंचने से पहले ही खाली कर दिया जाता। यानी हर रोज 15000 से 20000 लीटर तेल डेली चोरी कर लिया जाता। चोरी करने का तरीका इतना शातिर था कि करीब साढ़ें पांच साल तक चोरी का यह सिलसिला लगातार चलता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी थी। चोरी के अरोपियों के घर वाले कभी किसानी किया करते थे लेकिन आज वे बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कारों में घूमते हैं और प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार करने लगे हैं।

जीपीएस का भी निकाल लिया था तोड़

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पुलिस के मुताबिक, इस दौरान आरोपियों ने करीब 5 करोड़ लीटर क्रूड ऑयल चोरी कर डाला। इस चोरी का असर इलाके में यह हुआ कि अचानक से आसपास के इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमत आसमान पर पहुंच गई। यहां कई तरह के व्यापार शुरू होने लगे। यहां ऑटोमोबाइल और रियल स्टेट जैसे कई तरह के काम धंधे शुरू हो चुके थे। एक स्थानीय निवासी के अनुसार, बाड़मेर में पहले एक होटल था जिसका कमरा 500 रुपए प्रतिमाह में मिलता था लेकिन आज यहां दर्जनों होटल हैं। भूर सिहं और गौतम के परिवार वालों में ज्यादातर लोगों ने स्टोन क्रशर और स्कूल कॉलेजों के बिजनेस में उतर गए हैं।

इस चोरी में पुलिस के लिए सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि जब टैंकरों में जीपीएस लगा होता था तो उन्हें रोककर तेल कैसे निकाल निकाल लिया जाता था? यह सुनकर आप भी हैरान होंगे कि आरोपियों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया था। 

oil theft

 

दरअसल तेल चोरी काम एक पूरा गैंग कर रहा था और इस गैंग के मास्टर माइंड भूर सिंह राजपुरोहित और उसका भतीजा गौतम था। बाड़मेर के पास सारस्वत स्टेशन जिन टैंकरों को भरकर कंपनी के लिए भेजा जाता उनमें जीपीएस भी लगा होता था। स्टेशन और रिफानरी प्लांट के बीच 165 किमी की दूरी है। लेकिन टैंकर कंपनी में पहुंचता कि उसे 35 किमी पहले ही भूर सिंह की टायर फैक्टरी के बाहर रोक लिया जाता। इस दौरान आरोपी लोग टैंकर की जीपीएस मशीन से छेड़छाड़ किए बिना ही उसे निकाल लेते और एक कार में रख लेते। यह कार अब टैंकर के रूट पर चलती और टैंकर आराम से तेल खाली करा देता।

एक दिन में कमाते थे 100000 रुपए

एक दिन में कमाते थे 100000 रुपए3 / 3

रास्ते में रोके जाना वाला टैंकर औसतन 10 मिनट तक भूर सिंह की फैक्ट्री में खड़ा रहता। इस दौरान यहां कुछ लोग तेजी से टैंकर का एक हिस्सा खाली कर लेते और फिर टैंकर को बाहर निकाल देते। खाली होने के बाद टैंकर अपने ओरिजनल रूट पर आ जाता और कार से जीपीएएस फिर टैंकर में लगा दिया जाता।


एक दिन में कमाते थे 100000 रुपए

पुलिस की जांच के मुताबिक, इस चोरी से भूर सिंह और उसका भतीजा कमिशन और सारा खर्च छोड़कर हर रोज एक लाख रुपए कमाते थे। भूर सिंह सिर्फ 10वीं तक पढ़ा है और अपने भाइयों में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा है।

चोरी के पैसे से भूर सिंह ने खेत सिंह का प्याऊ इलाके में चार बीघे जमीन खरीदी और यहां टायर ऑयल की फैक्ट्री भी लगा चुका है। चोरी किया गया तेल वह इसी फैक्ट्री में स्टोर करता और यहीं से इधर उधर करने का कारोबार करता।