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राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

'निजता का अधिकार' मौलिक अधिकार है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की पीठ गुरुवार को 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगी। इसमें बताया जाएगा कि ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों के...

राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
विशेष संवाददाता,नई दिल्लीThu, 24 Aug 2017 01:05 AM
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'निजता का अधिकार' मौलिक अधिकार है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की पीठ गुरुवार को 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगी। इसमें बताया जाएगा कि ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों के स्तर पर लाया जा सकता है या नहीं। शनिवार को सेवानिवृत हो रहे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ ने विस्तृत सुनवाई के बाद 3 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। नौ जजों की पीठ के गठन के पहले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा था कि बड़ी बेंच पूर्व के दो फैसलों-खड़क सिंह और एमपी शर्मा मामले का परीक्षण करेगी। छह और आठ जजों की पीठ के इन फैसलों में कहा गया था कि ‘निजता का अधिकार’ मौलिक अधिकार नहीं है। 

नौ जजों की पीठ का फैसला आधार कार्ड की अनिवार्यता के मामले के निपटारे में सुप्रीम कोर्ट बेंच की मदद करेगा। आधार की अनिवार्यता के खिलाफ याचिकाएं थीं कि आधार से व्यक्ति की निजता का उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि इसमें दिया गया बायोमीट्रिक डाटा लीक हो सकता है। केंद्र सरकार ने आधार योजना को जबरदस्त समर्थन दिया और कहा कि देश के करोड़ों गरीबों को भोजन, आश्रय और कल्याण के उपायों के जरिए जीवन का अधिकार चंद इलीट लोगों की निजता की चिंताओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है। सरकार ने कहा कि देश में 100 करोड़ लोगों ने आधार कार्ड बनवा लिया है जिसमें छह हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आया है अब इसमें पीछे नहीं जाया जा सकता। 

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