खुलेंगे राज: कालेधन की जांच कर रही SIT भी RTI के दायरे में
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कालेधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई कानून) के तहत जवाबदेह है। केंद्रीय सूचना आयोग ने यह व्यवस्था दी है। सूचना आयुक्त बिमल जुल्का ने...
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कालेधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई कानून) के तहत जवाबदेह है। केंद्रीय सूचना आयोग ने यह व्यवस्था दी है।
सूचना आयुक्त बिमल जुल्का ने एसआईटी को आरटीआई कानून के दायरे में लाते हुए कहा कि सरकार का हर कदम जनता की बेहतरी और लोक हित में होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक सरकारी अधिसूचना के जरिये 2014 में कालेधन पर एसआईटी का गठन किया गया। इसका मकसद अर्थव्यवस्था में कालेधन का आकलन करना और उसके सृजन पर अंकुश के लिए उपाय सुझाने के लिए किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एमबी शाह की अध्यक्षता में कालेधन पर एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी विदेशों में रखे गए कालेधन के मामलों की जांच कर रही है। इस मामले में वह आरबीआई, खुफिया ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई तथा वित्तीय आसूचना इकाई और शोध एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के अलावा डीआरआई जैसी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय बिठाते हुए काम कर रही है। एसआईटी के आरटीआई कानून में दायरे में आने के संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने वित्त मंत्रालय से जानकारी मांगी थी।