आयुर्वेद दिवसः पीएम ने किया AIIA का उद्धाटन, बोले- हर जिले में हो आयुर्वेद अस्पताल
आयुर्वेद की अगुवाई में स्वास्थ्य क्रांति का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुर्वेदिक शिक्षा में कराए जा रहे अलग—अलग कोर्स के अलग—अलग स्तरों पर फिर से विचार करने तथा...
आयुर्वेद की अगुवाई में स्वास्थ्य क्रांति का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुर्वेदिक शिक्षा में कराए जा रहे अलग—अलग कोर्स के अलग—अलग स्तरों पर फिर से विचार करने तथा पारंपरिक खेती के साथ किसानों की खाली पड़ी जमीन का इस्तेमाल औषधीय पौधों के लिए करने की संभावना तलाशने पर जोर दिया ।
एम्स की तर्ज पर बने पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान को राष्ट्र को समर्पित करते हुए मोदी ने कहा, हम 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना चाहते हैं, ऐसे में किसान अगर अपनी खाली पड़ी जमीन का उपयोग औषधीय पौधों के उत्पादन के लिये करने लगेगा, तो उसकी भी आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षों से दुनिया में आईटी क्रांति देखी गई है। अब आयुर्वेद की अगुवाई में स्वास्थ्य क्रांति होनी चाहिए।
#WATCH: PM Modi dedicates 1st ever All India Institute of Ayurveda to the nation on occasion of 2nd Ayurveda Day https://t.co/0N8gs4T6ml pic.twitter.com/kENIetRD52
— ANI (@ANI) October 17, 2017
#Delhi: PM Narendra Modi to dedicate 1st ever All India Institute of Ayurveda to the nation on occasion of 2nd Ayurveda Day. pic.twitter.com/jvTgMeqMxf
— ANI (@ANI) October 17, 2017
उन्होंने कहा कि हमें न केवल गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेदिक शिक्षा पर बहुत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। बल्कि इसका दायरा और बढ़ाया जाना चाहिए । जैसे पंचकर्म थेरेपिस्ट, आयुर्वेदिक डायटीशियन, पराकति एनालिस्ट, आयुर्वेद फामार्िसस्ट, आयुर्वेद की पूरी सहायक श्रंखला को भी विकसित किया जाना चाहिए।
मोदी ने कहा कि इसके अलावा मेरा एक सुझाव ये भी है कि आयुर्वेदिक शिक्षा में कराए जा रहे अलग-अलग कोर्स के अलग-अलग स्तर पर एक बार फिर से विचार हो। जब कोई छात्र आयुर्वेद, औषधि और सर्जरी में स्नातक (बीएएमएस) का कोर्स करता है तो पराकति, आयुर्वेदिक आहार-विहार, आयुर्वेदिक फामार्स्यूटिकल्स के बारे में पढ़ता ही है। पाँच-साढ़े पाँच साल पढ़ने के बाद उसे डिग्री मिलती है और फिर वो अपनी खुद की प्रैक्टिस या नौकरी या फिर और ऊंची पढ़ाई के लिए प्रयास करता है।
उन्होंने कहा कि क्या ये संभव है कि बीएएमएस के कोर्स को इस तरह डिजाइन किया जाए कि हर परीक्षा पास करने के बाद छात्र को कोई ना कोई सर्टिफिकेट मिले। ऐसा होने पर दो फायदे होंगे। जो छात्र आगे की पढ़ाई के साथ-साथ अपनी प्रैक्टिस शुरू करना चाहेंगे, उन्हें सहूलियत होगी और जिन छात्रों की पढ़ाई किसी कारणवश बीच में ही छूट गई, उनके पास भी आयुर्वेद के किसी ना किसी स्तर का एक सर्टिफिकेट होगा।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, जो छात्र पाँच साल का पूरा कोर्स करके निकलेंगे, उनके पास भी रोजगार के और बेहतर विकल्प होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बताया गया है कि आयुष मंत्रालय के तहत 600 से ज्यादा आयुर्वेदिक दवाइयों के फार्मेसी स्टैन्डर्ड को पब्लिश किया गया है। इसका जितना ज्यादा प्रचार-प्रसार होगा, उतना ही आयुर्वेदिक दवाइयों की पैठ भी बढ़ेगी। हर्बल दवाइयों का आज विश्व में एक बड़ा मार्केट तैयार हो रहा है। भारत को इसमें भी अपनी पूर्ण क्षमताओं का इस्तेमाल करना होगा। हर्बल और मेडिसिनल प्लांटस कमाई का बहुत बड़ा माध्यम बन रहे हैं।
मोदी ने कहा कि आयुर्वेद में तो तमाम ऐसे पौधों से दवा बनती है जिन्हें ना ज्यादा पानी चाहिए होता है और ना ही उपजाऊ जमीन। कई चिकित्सीय पौधे तो ऐसे ही उग आते हैं। लेकिन उन पौधों का असली महत्व ना पता होने की वजह से उन्हें झाड़-झंखाड़ समझकर उखाड़ दिया जाता है। जागरूकता की कमी की वजह से हो रहे इस नुकसान से कैसे बचा जाए, इस पर भी विचार किए जाने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि औषधीय पौधों की खेती से रोजगार के नए अवसर भी खुल रहे हैं। मैं चाहूंगा कि आयुष मंत्रालय कौशल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस दिशा में किसानों या छात्रों के लिए कोई अल्पकालिक कोर्स भी विकसित करें। पारंपरिक खेती के साथ-साथ किसान जब खेत के किनारे की बेकार पड़ी जमीन का इस्तेमाल औषधीय पौधों के लिए करने लगेगा, तो उसकी भी आय बढ़ेगी।
157 करोड़ की लागत से बना है संस्थान
यह संस्थान दिल्ली के सरिता विहार में है। इस दौरान वह एम्स की तर्ज पर बना देश का पहला एआईआईए राष्ट्र के नाम समर्पित करेंगे। यह एम्स की तर्ज पर बनाया गया है। यह आयुर्वेद और आधुनिक उपचार पद्धति एवं प्रौद्योगिकी के बीच सामंजस्य स्थापित करेगा। बता दें देश के इस पहले एआईआईआई की स्थापना आयुष मंत्रालय के तहत शीर्ष संस्थान के रूप में की गई है। यह संस्थान 10 एकड़ में बना है और लगभग 157 करोड़ की लागत लगी है।