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पुण्यतिथि: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्होंने देश को सपने देखना सिखाया

भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज दूसरी पुण्यतिथि है। वे

Madan.tiwariनई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तानThu, 27 Jul 2017 02:33 PM

पुण्यतिथि: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्होंने देश को सपने देखना सिखाया

पुण्यतिथि: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्होंने देश को सपने देखना सिखाया1 / 3

भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज दूसरी पुण्यतिथि है। वे एक वैज्ञानिक थे जिन्हें शिक्षक की भूमिका बेहद पसंद थी। उनकी पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित रही। वैज्ञानिक कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से भी गहराई से जुड़े थे। 

कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को किराए पर देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम को घर-घर अखबार बांटने का भी काम करना पड़ा था। कलाम ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाई थी और माता से ईश्वर-विश्वास तथा करुणा का उपहार लिया था।

1. सपने सच हों इसके लिए सपने देखना जरूरी है। सपने सिर्फ वो नहीं होते जो आप सोते हुए देखते हैं बल्कि सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।

2. कलाम हमेशा युवाओं से कहते थे, अलग ढंग से सोचने का साहस करन ज़रूरी है। आविष्कार का साहस करो, अज्ञात पथ पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो। ये वो महान गुण हैं जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो।

3. कलाम देश में मौजूद भ्रष्टाचार को लेकर भी काफी परेशान रहते थे। अगर एक देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है तो मैं यह महसूस करता हूं कि हमारे समाज में तीन ऐसे लोग हैं जो ऐसा कर सकते हैं। ये हैं पिता, माता और शिक्षक।

4. छात्रों को प्रश्न जरूर पूछना चाहिए। यह छात्र का सर्वोत्तम गुण है।

5. महान सपने देखने वालों के सपने हमेशा श्रेष्ठ होते हैं।

6. मनुष्य को मुश्किलों का सामना करना जरूरी है क्योंकि सफलता के लिए यह जरूरी है।

7. जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते हैं कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी, और यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं। जरूरत हैं कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें।

8. चलो हम अपना आज कुर्बान करते हैं जिससे हमारे बच्चों को बेहतर कल मिले।

9. भगवान उसी की मदद करता है जो कड़ी मेहनत करते हैं, यह सिद्धान्त स्पष्ट होना चाहिए।

10. हमें हार नहीं माननी चाहिए और समस्याओं को हम पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

अगली स्लाइड में जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें...

करोड़ों आंखों को बड़े सपने देखना सिखाया

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एक साधारण परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर बड़े से बड़े सपनों को साकार करने का एक जीता-जागता उदाहरण है पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम का जीवन। आपका आदर्शमय जीवन हम सभी के लिए हमेशा प्रेरणास्पद रहा है। उनकी बातें नई दिशा दिखाने वाली हैं। उन्होंने करोड़ों आंखों को बड़े सपने देखना सिखाया। वह कहते थे, 'इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे।' इसके साथ ही उनका यह भी कहना था, 'सपने वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं। यह तो एक ऐसी चीज है जो आपको नींद ही नहीं आने देती।' उनका मानना था कि छोटी सोच सही नहीं है। जितना मुमकिन हो, उतने ख्वाब देखिए। तरक्की का उनका ख्वाब शहरों से नहीं, बल्कि गांव की पंचायतों से शुरू होता था।

जैसा समाज चाहते हैं, बच्चों को वैसी ही शिक्षा दें

अपने प्रेरक विचारों के कारण डॉ कलाम बच्चों और युवाओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय रहे। उनका मानना था कि आने वाली पीढ़ी हमें तभी याद रखेगी, जबकि हम अपनी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दे सके जो कि सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि के परिणामस्वरूप प्राप्त हो। उनका मानना था कि हम जैसा समाज चाहते हैं हमें वैसी ही शिक्षा अपने बच्चों को देनी चाहिए।

वह कहते थे कि चूंकि एक शिक्षक का जीवन कई दीपों को प्रज्ज्वलित करता है, इसलिए एक शिक्षक को अपने पेशे के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए। उसे शिक्षण एवं बच्चों से प्रेम होना चाहिए।...उसे न सिर्फ विषय की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक बातें पढ़ानी चाहिए, बल्कि छात्रों में हमारी महान सभ्यता की विरासत एवं सामाजिक मूल्यों की जमीन भी तैयार करनी चाहिए। कलाम इस बात पर विश्वास करते थे कि एक तेजस्वी मस्तिष्क इस धरती पर, धरती के नीचे या ऊपर आसमान में सबसे सशक्त संसाधन है। इसलिए हमारे शिक्षकों को युवा मस्तिष्कों को तेजस्वी बनाना चाहिए। शिक्षा के संबंध में उनका मानना था कि वास्तविक शिक्षा मानवीय गरिमा और व्यक्ति के स्वाभिमान में वृद्धि करती है।

बचपन की शिक्षा ही जीवन का आधार

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कलाम का मानना था कि बच्चों को बचपन में दी गई शिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बन जाती है। इसके लिए वे अपना उदाहरण देते हुए बताते थे कि वे बचपन से ही अपने गुरु अय्यर जी से अत्यधिक प्रभावित थे। कक्षा 5 में उनके गुरु अय्यर जी ने उनकी कक्षा के सभी बच्चों को कक्षा में पक्षियों के उड़ने की क्रिया समझाने केसाथ ही उन सभी को शाम को समुद्र तट पर बुलाकर पक्षियों को उड़ते हुए भी दिखाया था। इसका कलाम के जीवन में बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा और आने वाले समय में एक रॉकेट इंजीनियर, एयरोस्पेस इंजीनियर तथा प्रौद्योगिकीवेत्ता के रूप में उनका जीवन रूपांतरित हो गया। कलाम का कहना था, 'सात साल के लिए कोई बच्चा मेरी निगरानी में रह जाए, फिर कोई भी उसे बदल नहीं सकता।'

ईश्वर की प्रार्थना देती है शक्ति

भगवान में उनकी गहरी आस्था थी। वह कहते थे, कोई तो है जो ब्रह्मांड चला रहा है। इतना बड़ा ब्रह्मांड, धरती के करोड़ों जीव-जंतु क्या अपने आप ही जन्म तथा जीवन जी रहे हैं? कोई शक्ति है जिसके कारण ब्रह्मांड में सब कुछ इतना सुनियोजित है। हम उस शक्ति को कोई भी नाम दे सकते हैं। कलाम जहां एक ओर कुरान पढ़ते थे, तो वहीं दूसरी ओर गीता भी पढ़ते थे। उनका मानना था कि भगवान, यानी हमारे निर्माता ने हमारे मस्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं और ईश्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती हैं। कलाम कहते थे कि आकाश की तरफ देखिए, हम अकेले नहीं हैं। सारा ब्रह्मांड हमारे लिए अनुकूल है और जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं उन्हें प्रतिफल देने के लिए सारा ब्रह्मांड उनकी मदद करता है।

उनका मानना था कि शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों में राष्ट्र निर्माण की क्षमताएं पैदा करना है। ये क्षमताएं शिक्षण संस्थानों के ध्येय से प्राप्त होती है तथा शिक्षकों के अनुभव से सदृढ़ होती है, ताकि शिक्षण संस्थान से निकलने के बाद छात्रों में नेतृत्वकारी विशिष्टाएं आ जाएं। कलाम कहते थे कि अगर किसी भी देश को भ्रष्टाचार-मुक्त और सुंदर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो, उनका दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता और शिक्षक ही ये कर सकते हैं। डॉ कलाम का मानना था कि बच्चों को कृत्रिम सुख की बजाय ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहना चाहिए।

पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित

लगभग 40 विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि, पद्मभूषण और पद्मविभूषण व भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारतरत्न' से सम्मानित होने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ। एपीजे। अब्दुल कलाम बाल एवं युवा पीढ़ी के प्रेरणास्रोत थे। डॉ कलाम की पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित थी। बच्चों से रूबरू होना, स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाना व छात्र-छात्राओं से प्रेरणादायक बातें करना, डॉ। कलाम को बेहद पसंद था। उनका पूरा जीवन अनुभव और ज्ञान का निचोड़ था।