सड़क पर फाइटर प्लेन: दुश्मन के छक्के छुड़ा सकते हैं भारतीय वायु सेना के ये 4 विमान
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने आगरा एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार को इतिहास रचा। पहली बार किसी एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना ने ऑपरेशनल अभ्यास किया।
जानें जगुआर के बारे में
ब्रिटिश-फ्रेंच जेट जगुआर कम दूरी की लड़ाई और न्यूक्लियर हमले के लिए अच्छे माने जाते हैं। ब्रिटिश-फ्रेंच जेट जगुआर कम दूरी की लड़ाई और न्यूक्लियर हमले के लिए अच्छे माने जाते हैं। 1973 में सेवा में यह जेट अब केवल भारतीय वायुसेना में ही सक्रिय हैं।
यह यूके-फ्रांस द्वारा निर्मित कैटेगरी-सुपरसोनिक फाइटर प्लेन है। इसकी अधिकतम गति 1700 किलोमीटर प्रतिघंटा है। हमला करने की रेंज 850 किलोमीटर है। इसकी उड़ान भरने की क्षमता 13779 मीटर ऊंचाई तक है।
जगुआर को गहरा जख्म देने वाला फाइटर प्लेन कहा जाता है। यह दुश्मनों के इलाकों में बहुत अंदर तक जाकर स्ट्राइक करने में सक्षम है। ये पहला मौका है जब जगुआर को हाईवे पर उतारा गया है।
श्रीलंका में 1987 और 1990 में भारतीय शांति सेना में जुगआर का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध में भी इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
जानें मिराज के दम-खम के बारे में
फ्रेंच विमान कंपनी डसॉल्ट के बनाए मिराज जेट भारतीय वायु सेना में 80 के दशक के मध्य में शामिल किए गए थे। चौथी पीढ़ी के यह विमान लड़ाई, निगरानी जैसी कई भूमिकाएं निभा सकते हैं।
फ्रांस द्वारा निर्मित इन लड़ाकू विमानों की अधिकतम गति 2550 किलोमीटर प्रतिघंटा है। ये विमान 17 हजार किलोग्राम तक भार वहन करने की क्षमता रखते हैं। 18 हजार मीटर ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं।
एक मिराज 2000 महज 15 मिनट के भीतर ग्वालियर से दिल्ली पहुंच सकता है।
भारत के अलावा फ्रांस, यूएई, ताइवान, ग्रीस, कतर और पेरू जैसे देशों में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
इंडियन एयरफोर्स ने पिछले साल भी ऐसा किया था। 21 मई 2015 को 'मिराज-2000' को यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा गया था।
बेहतरीन है रशियन लड़ाकू विमान एसयू 30 एमकेआई
दो इंजन वाला रशियन लड़ाकू विमान सुखोई कई तरह की भूमिकाएं निभा सकता है। यह किसी भी तरह के मौसम में हवा से जमीन व हवा से हवा की लड़ाई लड़ सकते हैं।
रूस द्वारा निर्मित यह विमान भारतीय वायुसेना में 1997 में (पुणे में लोहेगांव एयर बेस में) शामिल किया गया। यह तीन हजार किमी. तक हमला करने की क्षमता रखता है। 2600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार के साथ यह हवा में ईंधन भरने की क्षमता रखता है। यह विमान 30 एमएम तोप से लैस है। इसमें ब्रह्मोस मिसाइल ले जाने की क्षमता है। 17300 मीटर ऊंचाई तक यह उड़ान भर सकता है।
सुखोई में एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का रडार भी लगाया गया है जो दुश्मनों को लोकेट करने में मदद करता है।
भारतीय वायु सेना में 272 Su-30 MKI फाइटर प्लेन शामिल किए जाने का कॉन्ट्रेक्ट किया गया था। करीब 240 प्लेन की आपूर्ति हो चुकी है। शेष अगले तीन सालों में शामिल किए जा सकते हैं।
भारी-भरकम हरक्यूलिस ग्लोब मास्टर सी-130
चार रोल्स रॉएस इंजन वाले इस मालवाहक विमान को मुख्यता मिलिट्री साजोसामान व सेना की टुकड़ियों की आवाजाही के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका द्वारा निर्मित इस विमान को सबसे ऊंचाई पर लैंड कराने का रिकॉर्ड भारतीय वायुसेना के पास है। इसकी अधिकतम गति 645 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यह 19958 किलोग्राम तक भार वहन कर सकता है। इसकी मारक क्षमता 321 किलोमीटर है।
शांति मिशन, आपदा के समय राहत-बचाव कार्यों में भी यह मालवाहक विमान बेहद महत्वपूर्ण है।
अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क और इटली समेत 15 देश इसका विमान का इस्तेमाल कर रहे हैं।
आपको बता दें कि पड़ोसी पाकिस्तान ने अपने दो हाईवे को एयरस्ट्रिप के लिए तैयार कर रखा है। पेशावर-इस्लामाबाद और इस्लामाबाद-लाहौर हाईवे पर करीब 9000 फीट का एयरस्ट्रिप पाकिस्तान के पास है। पहली बार पाक ने सन् 2000 में विमान यहां उतारे थे।