जीका को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट
देश में जीका के पहले मामले की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पुष्टि की है, जिसके बाद अन्य राज्यों के लिए भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। अंतराज्यीय वाहनों और एअरपोर्ट पर विशेष स्कैनिंग की जा रही है। किसी भी...
देश में जीका के पहले मामले की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पुष्टि की है, जिसके बाद अन्य राज्यों के लिए भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। अंतराज्यीय वाहनों और एअरपोर्ट पर विशेष स्कैनिंग की जा रही है। किसी भी संभावित मरीज के पाए जाने पर सीधे एअरपोर्ट से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय मच्छर जनित रोग बचाव विभाग को सूचित करने के लिए कहा गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीका का मामला हालांकि इस वर्ष जनवरी महीने में देखा गया था, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते सप्ताह इसकी पुष्टि की है। अहमदाबाद की ओर जाने वाली फ्लाइट और ट्रेनों पर विशेष नजर रखने के लिए कहा गया है। बताया जा रहा है कि इस बावत सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभाग से मच्छर जनित बीमारियों का आंकड़ा देने के लिए भी कहा गया है। जीका क्योंकि मादा एडीस की वजह से ही होता है, इसलिए चिकुनगुनिया और संभावित डेंगू मरीजों की भी सघन स्क्रीनिंग के लिए कहा गया है। संक्रमित मादा एडीस पर इसका सबसे अधिक असर होता है जो गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क विकास पर असर डालता है, इसलिए प्रसव केन्द्रों पर भी मच्छर- रोधी बचाव के अधिक बेहतर इंतजाम करने के लिए कहा गया है।
कैसे होता है वायरस का हमला
संक्रमित मादा एडीस द्वारा गर्भवती महिला के खून के जरिए वायरस गर्भस्थ शिशु की न्यूरल ट्यूब को संक्रमित करता है। गर्भ में मौजूद रेटिनोइस एसिड न्यूरनल ट्यूब में मौजूद एक तरह का मैटाबोलाइट विटामिन ए है, जो मस्तिष्क के शुरूआती विकास के लिए जिम्मेदार है। वायरस के हमले का असर जानने के लिए अन्य जीन के (अनुक्रम) सिक्वेंस को देखा भी गया, जिसका असर जीका की अपेक्षा कृत सकारात्मक था। जबकि जीका का हमल्विटामिन के असर को कम करके मष्तिस्क में सूजन या फिर दिमाग को छोटा (माइक्रोसेफेलिस)कर देता है। संक्रमण के साथ पैदा हुए बच्चों के मस्तिष्क का कभी सामान्य विकास नहीं हो पाता, इसलिए संक्रमण रोकने पर जोर दिया जाता है।
वायरस का हमला
अक्टूबर 2015 से जनवरी 2016 तक अकेले ब्राजील में जीका का गुलिनयन बर्र सिंड्रोम के 4000 से अधिक मरीज देखे जा चुके हैं। जीका की कारक मादा एडीस ए और एल्बोपिकटस के जरिए मानव शरीर में प्रवेश करता है।
कैसे करता है मानव शरीर पर हमला
- संक्रमण के शरीर में प्रवेश करने के 24 घंटे के अंतराल में वायरस का असर होता है
- असर पहले आंखों पर दिखने लगता है, जिसमें आंखे लाल हो जाती है और पानी गिरने लगता है।
- बुखार के लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया की तरह ही होते हैं, वायरस का स्टेन अलग होता है।