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रक्षा विनिर्माण नीति जल्दः देश में ही बनेंगे फाइटर प्लेन्स, युद्धक पोत और पनडुब्बियां

भारत रक्षा विनिर्माण के लिए नीति गठन के अग्रिम चरण में है। केंद्रीय वित्त एवं रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस नीति से घरेलू रक्षा विनिमार्ण को प्रोत्साहन...

रक्षा विनिर्माण नीति जल्दः देश में ही बनेंगे फाइटर प्लेन्स, युद्धक पोत और पनडुब्बियां
एजेंसी,नयी दिल्लीSat, 29 Apr 2017 10:09 AM
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भारत रक्षा विनिर्माण के लिए नीति गठन के अग्रिम चरण में है। केंद्रीय वित्त एवं रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस नीति से घरेलू रक्षा विनिमार्ण को प्रोत्साहन मिलेगा और लड़ाकू विमानों, जहाजों और पनडुब्बियों के आयात में कमी लाई जा सकेगी।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, हम मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी को लेकर गठजोड़ पर ध्यान दे रहे हैं। इससे भारत को विनिर्माण अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।  

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का आयातक है। देश अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.8 प्रतिशत हथियारों की खरीद पर खर्च करता है। हम अपनी जरूरत के 70 प्रतिशत रक्षा उपकरणों का आयात करते हैं। सरकार इसमें बदलाव लाना चाहती है। 

जेटली ने कहा, हम इसके लिए नीति बनाने को अग्रिम चरण में हैं। इसमें हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सिर्फ खरीदार होने के बजाय प्रौद्योगिकी और अन्य गठजोड़ों की ताकत के बल पर भारत एक विनिर्माण अर्थव्यवस्था बन सके। 

वित्त मंत्री ने हालांकि यह नहीं बताया कि नीति में किसी तरह के कर प्रोत्साहन या सरकार के सहयोग को शामिल किया जाएगा या नहीं। जेटली ने कहा कि हमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उद्योग से जो प्रतिक्रिया मिली है वह उत्साहवर्धक है। 

वैश्विक स्तर पर बढ़ते दबदबे के बीच भारत पिछले सात साल से स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान की सबसे बड़े रक्षा आयातकों की सूची में शीर्ष पर रहा है। अब भारत वैमानिकी तथा रक्षा उद्योग क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने का प्रयास कर रहा है। 

सरकार ने 2025 तक हथियारों और रक्षा उपकरणों पर 250 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है।
 
जेटली ने पिछले सप्ताह अमेरिका में कहा था कि इस नीति से दुनिया की प्रमुख रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को भारत में भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने में मदद मिलेगी। 

वित्त मंत्री ने कहा, हमारी बदलाव वाली नीति के तहत भविष्य में हम सिर्फ शेष दुनिया से खरीद पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करेंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रमुख रक्षा कंपनियों को भारतीय फर्मों के साथ सहयोग में यहां विनिर्माण इकाई लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। 

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