खुशखबरीः देश के इन दो रूटों पर चलेगी हाइपरलूप, बुलेट ट्रेन से ज्यादा है रफ्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ देश में पहली बुलेट ट्रेन का भूमिपूजन किया। बुलेट ट्रेन के अलावा देश के दो और रूट बेंगलुरु-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई पर...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ देश में पहली बुलेट ट्रेन का भूमिपूजन किया। बुलेट ट्रेन के अलावा देश के दो और रूट बेंगलुरु-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई पर हाइपरलूप ट्रेन चलाई जाएगी। इसकी रफ्तार बुलेट ट्रेन से भी अधिक होगी।
भारतीय की दो टीमें चुनी गईं
इस हाईस्पीड ट्रेन के लिए हाइपरलूप वन ने वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एईसीओएम इंडिया और हाइपरलूप इंडिया को चुना है। ये दोनों 10 विजेता टीमों में शामिल हैं। हाइपरलूप वन ने देश में नए रूटों की पहचान की है। ये टीमों कम दबाव वाली ट्यूब का इस्तेमाल करने के लिए चुनी गई हैं। एईसीओएम इंडिया बेंगलुरु-चेन्नई रूट के लिए जबकि हाइपरलूप इंडिया मुंबई-चेन्नई रूट के लिए चुनी गई हैं। अन्य टीमें अमेरिका, ब्रिटेन, मैक्सिको और कनाडा की हैं।
एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके : हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजीज इंक (एसटीटी) ने पिछले हफ्ते आंध्र प्रदेश इकोनॉमिक डेवलपमेंट बोर्ड के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। ट
आंध्र प्रदेश में पहले चलेगी
हाइपरलूप ट्रेन को आंध्र सरकार मंजूरी दे चुकी है। यह ट्रेन विजयवाड़ा और अमरावती के बीच 42.8 किलोमीटर के बीच 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। हाइपरलूप ट्रेन से यह दूरी मात्र 6 मिनट में पूरी हो जाएगी जबकि अभी सड़क के रास्ते ये दूरी तय करने में करीब एक घंटा लगता है। इस प्रोजेक्ट को बनाने में 1300-1600 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
यहां पर फर्राटा भरेगी
रूट एक
मुंबई-चेन्नई
जिम्मेदारी : एईसीओएम इंडिया
दूरी : 1102 किलोमीटर
अभी समय : ट्रेन से करीब 21 घंटे लगते हैं,
भविष्य में : हाइपरलूप ट्रेन से मात्र 63 मिनट लगेंगे
रूट दो
बेंगलुरु-चेन्नई
जिम्मेदारी : हाइपरलूप इंडिया
दूरी : 334 किलोमीटर
अभी समय : ट्रेन से करीब 6 से 7 घंटे लगते हैं
भविष्य में : हाइपरलूप ट्रेन से 23 मिनट लेंगे
हाइपरलूप ट्रेनः बुलेट ही नहीं हवाई जहाज से भी तेज चलती है यह ट्रेन
हाइपरलूप ट्रेन की खासियत
यह बुलेट ट्रेन से दोगुने रफ्तार से दौड़ेगी। रफ्तार के मामले में यह हवाई जहाज से भी तेज होगी। साथ ही इसके इस्तेमाल में बिजली का खर्चा बहुत कम होगा और वायु प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होगा। हालांकि इसमें एक बार में कम लोग ही सफर कर पाएंगे।
अमेरिका में प्रशिक्षण हुआ
यह तकनीक अभी दुनियाभर में अभी कहीं नहीं है। लांस एंजिलिस स्थित हाइपरलूप वन ने जुलाई में इसका नेवादा रेगिस्तान में प्रशिक्षण किया था। 500 मीटर लंबे ट्रैक पर यह ट्रेन 310 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से दौड़ी थी।
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ऐसे चलेगी हाइपरलूप ट्रेन
हाइपरलूप चुंबकीय शक्ति पर आधारित ट्रैक पर चलाई जाएगी। इसे चलाने के लिए खंभों के ऊपर एक पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाएगी, जिसके भीतर ट्रेन कैप्सूल के शक्ल जैसी एक सिंगल बोगी से गुजरेगी। खंभों के ऊपर पारदर्शी ट्यूब के भीतर हाइपरलूप ट्रेन को भारी दबाव वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाएगा। इसके बाद स्की में छेदों के जरिये दबाव बनाकर हवा भरी जाएगी। स्की में लगे चुंबक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से ही ट्रेन को गति मिलेगी।