ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशरामनाथ कोविंद:किराए के कमरे से राष्ट्रपति भवन तक का सफर

रामनाथ कोविंद:किराए के कमरे से राष्ट्रपति भवन तक का सफर

अत्यंत साधारण दलित परिवार से देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचे रामनाथ कोविंद ने सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते हुए इस शिखर तक का सफर तय किया है। विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को पराजित कर देश के 14वें...

रामनाथ कोविंद:किराए के कमरे से राष्ट्रपति भवन तक का सफर
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 20 Jul 2017 06:49 PM
ऐप पर पढ़ें

अत्यंत साधारण दलित परिवार से देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचे रामनाथ कोविंद ने सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते हुए इस शिखर तक का सफर तय किया है। विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को पराजित कर देश के 14वें राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने वाले कोविंद ने वकालत से अपने करियर की शुरूआत की फिर संसद और बिहार के राजभवन तक का सफर तय करते हुए वह देश के प्रथम नागरिक बन गए।
         
उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात जिले के डेरापुर तहसील के छोटे से गांव परौंख में एक अक्टूबर 1945 को जन्मे रामनाथ कोविन्द अनुसूचित जाति से आते हैं। कोविंद का विवाह 30 मई 1974 को सविता कोविंद से हुआ और उनके एक पुत्र तथा एक पुत्री है। उन्होंने परौंख गांव का अपना पैतृक घर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दान कर दिया। तीन भाइयों में सबसे छोटे कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर विकासखंड के ग्राम खानपुर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में हुई। 

मोरारजी देसाई के निजी सहायक रहे
उन्होंने डीएवी कॉलेज से बी कॉॅम तथा डीएवी लॉ कालेज से कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में रहकर भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड में चयन होने पर उन्होंने नौकरी ठुकरा दी। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में एक दशक से भी अधिक समय तक वकालत की। वह 1977 से 1979 तक उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील रहे। वह 1977-1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सहायक भी रहे।

राष्ट्रपति चुनाव:पढ़ें जीत के बाद पहली बार क्या बोले रामनाथ कोविंद

साल 1991 में भाजपा में हुए शामिल
रामनाथ कोविंद 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। वह 1998 से 2002 तक भाजपा अनुसूचित मोर्चा के साथ-साथ अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रहे। वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे। उन्होंने उत्तर प्रदेश की घाटमपुर और भोगनीपुर विधानसभा निवार्चन क्षेत्रों से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कोविंद 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य चुने गए और 12 साल तक सांसद रहे। 

बिहार के 36वें राज्यपाल बने
इस दौरान वह कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे। सांसद रहते हुए उन्होंने सांसद निधि से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्कूल के भवनों का निमार्ण कराया और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में योगदान दिया। सांसद रहते हुए उन्होंने थाईंलैंड, नेपाल, पाकिस्तान, सिंगापुर, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका का दौरा किया। आठ अगस्त 2015 को वह बिहार के 36वें राज्यपाल बने। 

राष्ट्रपति चुनाव: मीरा को हरा राम बने देश के 14वें राष्ट्रपति

राज्यपाल के पद पर रहते हुए उन्होंने विश्वविद्यालयों में नाकाबिल लोगों के चयन और वित्तीय कुप्रबंधन तथा अयोग्य शिक्षकों की प्रोन्नति में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई। वकील के रूप में उन्होंने समाज के कमजोर धड़े खासकर अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता दी।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें