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सीमा पर ड्रोन: पीओके और एलओसी पर पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखेंगे ड्रोन 

सीमा पार पीओके में आतंकी कैंप और कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों की मैपिंग के लिए अत्याधुनिक ड्रोन की संख्या बढ़ाई जा रही है। भारतीय नेत्रा-7 ड्रोन के अलावा इजरायली हेरोन, अमेरिकी ड्रोन और जमीन पर...

सीमा पर ड्रोन: पीओके और एलओसी पर पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखेंगे ड्रोन 
पंकज कुमार पाण्डेय,नई दिल्लीSun, 19 Nov 2017 10:55 AM
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सीमा पार पीओके में आतंकी कैंप और कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों की मैपिंग के लिए अत्याधुनिक ड्रोन की संख्या बढ़ाई जा रही है। भारतीय नेत्रा-7 ड्रोन के अलावा इजरायली हेरोन, अमेरिकी ड्रोन और जमीन पर काम करने वाले लारोस की संख्या बढ़ाई जा रही है। इजरायली हेरोन सीमा पार 50 से 60 किलोमीटर के क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों की मैपिंग करने में सक्षम हैं। सेना के अलावा बीएसएफ को पर्याप्त संख्या में यह उपकरण दिए जा रहे हैं। इसके अलावा संवेदनशील ड्यूटी में तैनात सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी को भी पर्याप्त संख्या में ड्रोन मुहैया कराए जा रहे हैं।

जरूरत के मुताबिक  मिलेंगे ड्रोन
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सुरक्षा बलों की जरूरतों का आकलन करके ऐसे ड्रोन की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है जो दुश्मन की हरकत को कैद करके उसे तुरंत कंप्यूटर में अपडेट कर सकें। नक्सल व तस्करी की घटनाओं पर भी नजर रखने के लिए सुरक्षा बलों को पर्याप्त क्षमता वाले ड्रोन मुहैया कराए जा रहे हैं। करीब दो सौ से तीन सौ नेत्रा-7 और 50 हेरोन निगरानी में लगाए जा सकते हैं।

नेत्रा-7 फील्ड ड़्यूटी में कारगर
बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा ने कहा कि इजरायली ड्रोन काफी ऊंचाई पर जाकर सीमा पार दुश्मन की हरकत की मैपिंग कर सकता है। जबकि नेत्रा-7 का उपयोग फील्ड ड्यूटी में तैनात बटालियनों के लिए ज्यादा है। इसकी खासियत है कि यह रात के अंधेरे में भी आतंकी हलचल को रिकार्ड करके इसे सूचना कंट्रोल पैनल के जरिये भेज सकता है। यह एक किलोमीटर की ऊंचाई से पांच किलोमीटर दूरी तक के क्षेत्र की गतिविधियों को रिकार्ड कर सकता है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि लारोस जमीन पर काम करता है। लेकिन पेड़ या बांध आदि सामने आने पर लारोस आगे की गतिविधि मैप नहीं कर पाता। इस लिहाज से नेत्रा कारगर है।

इजरायली ड्रोन सर्जिकल स्ट्राइक जैसी तैयारियों में अहम
इजरायली ड्रोन हेरोन को सुरक्षा एजेंसियां ज्यादा प्रभावी मान रही है। यह काफी ऊंचाई पर जाकर दुश्मन की सीमा में 50 से 60 किलोमीटर क्षेत्र की गतिविधियों को कैद कर सकता है। इसका मुख्य रूप से मैपिंग प्रोसेसिंग और प्लानिंग में उपयोग होता है। यानी पीओके में अगर कोई आतंकी कैंप संचालित हो रहा है तो उसकी हलचल इसके जरिये सेना व सुरक्षा बलों को मिल सकती है। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे आपरेशन के पहले की तैयारियों में यह ड्रोन अहम साबित हो सकता है। अमेरिकी ड्रोन भी काफी प्रभावी हैं।

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