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सेना की मांगः अपना हो 'मिनी एयर फोर्स', हथियारों से लैस हेलिकॉप्टर्स भी जरूरी 

भारतीय सेना ने एक बार फिर खुद के लिए 'मिनी एयर फोर्स' की मांग की है। हालांकि इससे पहले जब सेना ने ये मांग की थी तब भारतीय वायु सेना ने इसका कड़ा विरोध किया था। एक अंग्रेजी अखबार में छपी...

सेना की मांगः अपना हो 'मिनी एयर फोर्स', हथियारों से लैस हेलिकॉप्टर्स भी जरूरी 
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 20 May 2017 01:01 PM
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भारतीय सेना ने एक बार फिर खुद के लिए 'मिनी एयर फोर्स' की मांग की है। हालांकि इससे पहले जब सेना ने ये मांग की थी तब भारतीय वायु सेना ने इसका कड़ा विरोध किया था।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक,  सेना दूसरे चॉपरों के साथ-साथ अधिक वजन ढोने वाले हेलिकॉप्टरों के तीन दल भी मांग की है ताकि दुश्मनों के इलाके में बख्तरबंद दस्ते को तुरंत पहुंचाया जा सके। सेना इस प्रक्रिया की शुरुआत अमेरिका से 11 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए सरकार को मनाने में जुटी है। वहीं वायु सेना ऐसे 22 चॉपरों के लिए पहले ही 13,952 करोड़ रुपये की डील कर चुका है। 

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि शनिवार को रक्षा मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होनेवाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में इस खरीद प्रस्ताव पर विचार हो सकता है। आर्मी इसलिए जल्दबाजी में है क्योंकि नियम के तहत अमेरिका को 28 सितंबर तक ही ऑर्डर दिया जा सकता है। दरअसल, ऑरिजनल कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत 2015 में इसी तारीख को हुआ था। इस 'हाइब्रिड' डील के एक हिस्से में चॉपरों के लिए बोइंग के साथ हस्ताक्षर हुआ था जबकि दूसरे हिस्से में हथियारों, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर स्वीट्स के लिए अमेरिकी सरकार के साथ करार हुआ था। 

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इसके तहत जुलाई 2019 से भारतीय वायु सेना को 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति होनी है। इनके अलावा, 812 AGM-114L-3 हेलफायर लॉन्गबो मिसाइल, 542 AGM-114R-3 हेलफायर-II मिसाइल, 245 स्ट्रिंगर ब्लॉक I-92H मिसाइल और 12 AN/APG-78 फायर-कन्ट्रोल रडार भी मिलने वाले हैं। सेना ने इन 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों की खरीद प्रक्रिया के दौरान भी इन पर अपने 'मालिकाना हक एवं नियंत्रण' की मांग की थी क्योंकि दुनियाभर में मशीनगनों से युक्त हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल दुश्मन के इलाकों पर हवा से चौतरफा हमला करने में किया जाता है।

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सेना का मानना है कि हमलावर दस्तों के साथ-साथ 'सामरिक हवाई संपत्तियों' की त्वरित तैनाती के लिए इनपर उसका 'पूर्ण नियंत्रण' रहे जबकि वायु सेना को बड़ी सामरिक भूमिकाओं पर ध्यान देना चाहिए। वहीं वायु सेना इस पर अड़ा है कि ऐसे हेलिकॉप्टर उसके अधीन ही रहने चाहिए क्योंकि अगर सेना भी खुद के लिए छोटा सा एयर फोर्स खड़ा कर लेगी तो उसपर बहुत संसाधन खर्च होंगे।

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