2050 में बदल जाएगी दुनिया, मंगल ग्रह होगा हॉलिडे डेस्टिनेशन और दिमाग होगा डाउनलोड
भविष्य की कल्पनाएं ही विज्ञान की राहें खोलती हैं। यही फ्यूचरोलॉजी है। 2050 ऐसा वर्ष है
2050 में एेसी होगी दुनिया
100 मीटर ऊपर तक होंगे शहर
2050 तक दुनिया की आबादी 9.5 अरब तक हो जाएगी। तब आसमान को छूती हाईटेक इमारतें बन जाएंगी और जमीन से 100 मीटर ऊपर तक शहर बस जाएंगे। कई मंजिल ऊपर तक सड़कें बनी होंगी। इमारतों को स्काईवॉक से जोड़ा जाएगा। ये इमारतें कंप्यूटर द्वारा संचालित होंगी। हरियाली कम होगी और उसकी जगह कंक्रीट के जंगल होंगे।
दिमाग होगा डाउनलोड
विज्ञानियों की मानें तो 2050 मौत को चुनौती देने वाला होगा। मनुष्य का शरीर न सही, पर दिमाग जरूर सुरक्षित रह सकेगा। भविष्य में इनसान के दिमाग को कंप्यूटर के द्वारा जोड़कर हार्ड डिस्क में सेव किया जा सकेगा और उसका डाटा फाइल के रूप में कभी भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
बहुमंजिली इमारतों पर होगी खेती
इस दौरान जमीन की कमी इतनी हो जाएगी कि खाने-पीने की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई मंजिली इमारतें बनाकर उन पर खेती की जाएगी। नदी और सागर के बीच भी तैरते हुए खेत-खलियान बनाए जाएंगे।
टेक्नोलॉजी में होगा इतना बदलाव
एलियन से होगी दोस्ती
दुनिया की कई एजेंसियां एलियन से संपर्क करने में जुटी हैं। सेटी नामक प्रोजेक्ट द्वारा हजारों कंप्यूटरों की मदद से अंतरिक्ष से आ रहे संकेतों का अध्ययन किया जा रहा है। हालांकि अभी तक हमें एलियन या यूएफओ के ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, पर बहुत से लोगों और वैज्ञानिकों ने उन्हें देखने का दावा किया है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक एलियन से दोस्ती हो जाएगी और हम उनके ग्रहों को खोजने में कामयाब हो जाएंगे।
उड़ने वाली कारों का होगा दौर
इस नए दौर में उड़ने वाली कारों का प्रचलन खूब बढ़ेगा। इन्हें उतारने के लिए किसी हवाई पट्टी की जरूरत भी नहीं होगी। उड़ने वाले सभी वाहन कंप्यूटर द्वारा संचालित होंगे। रुकावट होने की स्थिति में कंप्यूटर सिस्टम वाहन को टक्कर होने से पहले ही रोक लेगा। फिलहाल दुबई में ऐसी कारों को लॉन्च किया जा चुका है।
हॉलिडे डेस्टिनेशन होगा मंगल
इस दौरान हॉलिडे डेस्टिनेशन इंग्लैंड, अमेरिका या फ्रांस नहीं, बल्कि मंगल और चांद जैसे ग्रह-उपग्रह होंगे। ऐसा ईंधन बन जाएगा, जिससे दूसरे ग्रहों पर कम समय में और कम ईंधन से जाना संभव हो सकेगा। चांद और मंगल पर ऐसी बस्तियां बनाई जाएंगी, जहां पेड़-पौधे होंगे। लोग अपनी एडवेंचर यात्रा के लिए दूसरे ग्रहों पर आसानी से घूमने जा सकेंगे। इसके बारे में अभी से कार्यक्रम बनाए जाने लगे हैं।
2050 में दुनिया
मोबाइल रखेगा मेडिकल डेटा
चिकित्सा के लगातार विकास से मृत्यु दर 65 से बढ़कर 80 वर्ष हो जाएगी। तकनीकी विकास के चलते आज की कई गंभीर बीमारियों का नामोनिशान मिट जाएगा। सभी बीमारियों की रोकथाम के लिए एक ही टीका काफी होगा। मोबाइल पर सारा मेडिकल रिकॉर्ड दर्ज होता रहेगा और उसी पर सारी मेडिकल रिपोर्ट आ जाएंगी। इसे डॉक्टर के पास भेजकर घर बैठे ही बीमारी का इलाज कराना संभव हो जाएगा।
तब 3डी प्रिंटर का होगा बोलबाला
3डी प्रिंटर से उन चीजों को बनाना भी मुमकिन है, जो दिमाग में उभर आती हैं। किसी भी मशीन के पार्ट को 3डी प्रिंटर से बनाया जा सकता है। इसके लिए किसी कारखाने में जाने की जरूरत नहीं है। इसके लिए कंप्यूटर द्वारा इंटरनेट से उस पार्ट की सीएडी फाइल निकालनी होगी और थोड़ी देर में 3डी प्रिंटर से वह पार्ट तैयार हो जाएगा। इससे हथियारों का निर्माण भी बेहद आसान हो जाएगा।
दिमाग से जुड़ेगा कंप्यूटर
2050 में सुपर कंप्यूटर आज के मुकाबले 1000 गुना तेज होगा। नैनो तकनीक से आर्टिफिशियल ब्रेन बन जाएगा, जो काफी विकसित होगा। ‘ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस’ के जरिए कंप्यूटर को दिमाग से जोड़ा जाएगा, जिससे हम उन समस्याओं को चुटकी में हल कर लेंगे, जिन्हें दिमाग से हल कर पाना संभव नहीं है।
2050 में दुनिया
नए ईंधन का होगा प्रयोग
2050 तक पेट्रोलियम का ईंधन के रूप में प्रयोग बंद हो जाएगा। इसके स्थान पर हाइड्रोजन ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाएगा। कई अन्य रासायनिक तत्वों को भी ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने पर खोज जारी है। कभी खत्म न होने वाले ईंधन के रूप में वायु और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल पर भी रिसर्च की जा रही है।
टीवी होगा होलोग्राफिक
2050 में वर्तमान टीवी बिल्कुल गायब हो जाएंगे। इनकी जगह ‘इंटरेक्टिव होलोग्राम टीवी’ होंगे। मोबाइल का बटन दबाते ही यह होलोग्राम टीवी प्रकट हो जाएगा। इस पर मनचाहे कार्यक्रम त्रिआयामी (थ्रीडी) तस्वीरों के साथ देखते समय वास्तविक दुनिया का आभास होगा। अगर किसी कार्यक्रम में फूल या सुगंधित चीजें होंगी तो उनकी गंध का एहसास भी टीवी के द्वारा होगा।
डिजिटल होंगे स्कूल
उस समय तक स्कूल पूरी तरह से डिजिटल हो जाएंगे। बच्चों की पीठ पर भारी-भारी बस्ते नहीं होंगे, बल्कि उनके हाथों में टेबलेट या लैैपटॉप होंगे, जिनमें उनकी सारी किताबें स्टोर होंगी। ब्लैक बोर्ड भी डिजिटल होंगे। टीचर को कोई भी डायग्राम या चित्र बनाने के लिए चॉक का इस्तेमाल नहीं करना होगा।