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महापर्व का महामंथन

अब तो बस कुछ घंटों की दूरी है। शनिवार की दोपहर तक पता चल जाएगा कि कौन कितने पानी में है। जनादेश 200ुछ भी हो फिलवक्त कोई भी राजनीतिक दल खुद को कम नहीं आक रहा है। हर किसी की पूरी कोशिश है कि जनादेश...

 महापर्व का महामंथन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अब तो बस कुछ घंटों की दूरी है। शनिवार की दोपहर तक पता चल जाएगा कि कौन कितने पानी में है। जनादेश 200ुछ भी हो फिलवक्त कोई भी राजनीतिक दल खुद को कम नहीं आक रहा है। हर किसी की पूरी कोशिश है कि जनादेश सामने आते ही वह सरकार बनाने का दावा करने की स्थिति में नजर आए।ड्ढr ड्ढr शुक्रवार को राजनीतिक घटनाक्रम काफी तेज रहा। कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, वाम दलों के साथ-साथ बारी-बारी से एआईएडीएमके, तेदेपा, राकांपा, असम गणपरिषद, टीआरएस के साथ-साथ प्रजाराज्यम जसी नवजात पार्टी को भी राजनीतिक ड्रामें में डायलाग देने का मौका मिल गया।ड्ढr कांग्रेस अब वाम दलों और बसपा को पोटने की कोशिश में है। सपा महासचिव अमर सिंह के इस बयान से कि अगर हमें पर्याप्त संख्या बल मिलेगा तो कांग्रेस खुद हमसे बात करने आएगी, कांग्रेस के कान खड़े हो गए हैं। इसे मोलभाव का साफ-साफ इशारा मानते हुए पार्टी उसकी काट निकाल रही है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीजद प्रमुख नवीन पटनायक से बातचीत शुरू कर दी है। कांग्रेस ने चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा से किनारा कर लिया है। इसकी भरपाई वह उड़ीसा में बीजद के जरिए करना चाहती है। सूत्रों के अनुसार, प्रणव मुखर्जी, एके एंटनी, अहमद पटेल और दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को तय किया है कि ज्योति बसु और बुद्धदेव भट्टाचार्या से अच्छी ‘ट्यूनिंग’ होने के चलते प्रणव को वाम दलों को मनाने का जिम्मा सौंपा जाए। प्रणव ने सपा महासचिव अमर सिंह से भी बात की है। लेकिन दोनों ने इसे ‘बड़े-छोटे भाई’ की मुलाकात बताया है। गुलाम नबी आजाद लगातार एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता के संपर्क में हैं। चिरांीवी की प्रजाराज्यम का कांग्रेस की ओर झुकाव दिखने लगा है। हालाँकि उसने आधिकारिक तौर पर नतीजों का इंतजार करने की बात कही है।ड्ढr भाजपाई खेमे में भी दिन भर गहमागहमी रही। लालकृष्ण आडवाणी से उनके घर पर मिलने वालों में पार्टी के थिंकटैंक से इतर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता सुरश सानी, इंडियन नशनल लाकदल के प्रमुख आम प्रकाश चौटाला और राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख चौधरी अजित सिंह भी थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई बड़े नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलने भी पहुँचे। एम वेंकैया नायडू और अरुण जेटली अब तेदेपा और एआईएडीएमके के संपर्क में हैं। खबरें यह भी थीं कि भाजपा ने यूपी में बसपा के दरवाजे भी संदेश भिजवाया है। सरकार गठन पर रणनीति तय करने के लिए भाजपा ने शनिवार शाम पाँच बजे संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई है। राजनाथ सिंह और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने उम्मीद जताई है कि राजग सबस बड़ गठबंधन क रूप मं उभरेगा और आडवाणी ही अगले पीएम होंगे। टीआरएस प्रमुख के चंद्रशखर राव न कहा है कि हम राजग क साथ हैं और कहीं नहीं जा रह।ड्ढr सपा ने कह दिया है कि अब सब कुछ संख्या बल पर निर्भर करेगा। राजनाथ सिंह और प्रणव मुखर्जी से मिलने वाले अमर सिंह ने इन मुलाकातों को भाइयों की मुलाकात बताया है। अमर के अनुसार - ‘मैं माकपा नेता सीताराम येचुरी और राकांपा नेता शरद पवार के संपर्क में भी हूँ। जयललिता और प्रजाराज्यम से मेरी बात होनी है।’ अमर ने कहा है कि भाजपा मंदिर मुद्दा और अनुच्छेद 370 के मुद्दे छोड़ दे तो उसे अछूत नहीं मानेंगे। चौथे मोर्चे के प्रमुख नेता रामविलास पासवान ने यह तो कहा है कि वह अब भी संप्रग में हैं लेकिन यह भी जोड़ा है कि अब सब कुछ संख्या पर निर्भर करेगा। पासवान की शुक्रवार को रालोद प्रमुख अजित सिंह से मुलाकात भी हो गई है लेकिन पासवान ने भाजपा से गठाोड़ की बात होने से इनकार किया है।ड्ढr इधर बसपा ने बयान जारी किया है कि वह संप्रग और राजग में से किसी से बात नहीं कर रही है। पार्टी इन में से किसी का भी समर्थन नहीं करेगी। बसपा ने अपना रुख भी साफ नहीं किया है। लेकिन वाम दलों का दावा है कि उन्होंने 18 मई को नई दिल्ली में आयोजित तीसरे मोर्चे के घटकों की बैठक में आने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती और एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता को मना लिया है। भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने भाजपा की सरकार को अंदर-बाहर किसी भी रूप में समर्थन देने से तो इनकार किया ही है, यह भी कहा है कि इसका मतलब कांग्रेस के लिए ग्रीन सिग्नल कतई नहीं है। भाकपा, माकपा और तेदेपा नेता जयललिता के लगातार संपर्क में हैं।ड्ढr इस बीच प्रधानमंत्री पद के कई उम्मीदवार सामने आए हैं। कांग्रेस ने मनमोहन सिंह और भाजपा ने लालकृष्ण आडवाणी को पहले से ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है। शुक्रवार को तीन और नाम उछले- नीतीश कुमार, शरद पवार और एके एंटनी। नीतीश के इस बयान के बाद कि समर्थन उसे देना चाहिए जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की हामी भरे, चर्चा शुरू हो गई कि क्यों न नीतीश को ही पीएम बना दिया जाए। कहा जा रहा है कि नीतीश ऐसा धर्मनिरपेक्ष चेहरा हैं जिसने न तो तीसरे मोर्चे को परहेज है और न कांग्रेस को। भाजपा उनके साथ है ही। लेकिन नीतीश ने इन चर्चाओं को यह कहकर ठंडा कर दिया कि पीएम बनने का उन्होंने कभी सपना भी नहीं देखा। अभी वह पीएम बनने लायक नहीं हैं। शरद पवार का नाम राकांपा की ओर से पीएन संगमा ने उठाया लेकिन उन्हीं की पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने साफ कह दिया कि इस मामले में अंतिम फैसला हो चुका है। पीएम केवल मनमोहन ही होंगे। एके एंटनी का नाम भी कुछ खबरों में दिखा। कहा गया कि वाम दल कांग्रेस को तो समर्थन दे सकते हैं लेकिन मनमोहन को समर्थन नहीं देंगे। ऐसे में एंटनी ही ऐसे हैं जो दोनो

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