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योग-ध्यान के साथ पर्व-त्योहार जैसा अहसास: रघुवर दास

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि एक समय था जब हम विश्व गुरु थे। हमें फिर से भारत को विश्वगुरु बनाना है। यह योग के माध्यम से ही हो सकता है। योग से हम पूरी दुनिया में अपनी सभ्यता और संस्कृति का...

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि योग की परंपरा सदियों पुरानी है। योग आनंदमय जीवन जीने की कला है। प्रधानमंत्री ने योग के माध्यम से स्वस्थ एवं तनावमुक्त जीवन जीने का सन्देश पूरी दुनिया को दिया...
1/ 2मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि योग की परंपरा सदियों पुरानी है। योग आनंदमय जीवन जीने की कला है। प्रधानमंत्री ने योग के माध्यम से स्वस्थ एवं तनावमुक्त जीवन जीने का सन्देश पूरी दुनिया को दिया...
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हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 22 Jun 2017 01:18 AM
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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि एक समय था जब हम विश्व गुरु थे। हमें फिर से भारत को विश्वगुरु बनाना है। यह योग के माध्यम से ही हो सकता है। योग से हम पूरी दुनिया में अपनी सभ्यता और संस्कृति का विस्तार कर सकते हैं। अंतराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री बुधवार को मोरहाबादी मैदान में आयोजित योगाभ्यास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 
उन्होंने कहा योग परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन प्रधानमंत्री ने योग को दूसरा जीवन दिया है। पूरी दुनिया में योग भारतीय सभ्यता संस्कृति का प्रतीक बन गया है। योगाभ्यास स्नायु तंत्र, पाचनतंत्र और स्वशन तंत्र की क्रिआयों को नियंत्रित करता है। आज पूरी दुनिया तनाव की  जंदगी जी रही है। विकसित राष्ट्र हो या अविकसित राष्ट्र, पैसे वाला हो या गरीब। बच्चा-बूढ़ा या जवान। सभी तनाव में हैं। ऐसे समय में योग उन्हें मदद करता है। योग जीवन जीने की एक कला है। जीवन को कैसे तनावरहित रखें, कैसे स्वस्थ रह सकते हैं, योग हमें सिखाता है। सीएम ने सभी राज्यवासियों से अपील की कि केवल योग दिवस पर ही योग का अभ्यास न करें। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें। तभी हमारा जीवन सुखमय होगा। इससे पूर्व स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत किया। मुख्यमंत्री के अभिभाषण के बाद लखनऊ से प्रधानमंत्री के उद्बोधन का सीधा प्रसारण किया गया। 
इस अवसर पर मंत्री सीपी सिंह, चंद्र प्रकाश चौधरी, लूईस मरांडी, सांसद रामटहल चौधरी, विधायक शिवशंकर उरांव, मेयर आशा लकड़ा, खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, वित्त सचिव अमित खरे, कार्मिक सचिव निधि खरे,  डीजीपी डीके पांडेय, मुख्यमंत्री के सचिव सुनील बर्णवाल, सुरेंद्र सिंह, केके सोन, एनएन सिन्हा, लक्षमण सिंह, मनोज कुमार, बीके सिंह, अब्दुल नुमान अहमद, डॉ रवींद्र राय एवं अन्य मौजूद थे। 
स्वास्थ्य और सद्भाव की मिसाल बना योगाभ्यास 
स्वस्थ रहने और सकारात्मक सोच के लिए योग जरूरी है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर मोरहाबादी मैदान में हजारों लोग जुटे। धर्म की सीमाएं नहीं थीं। उम्र का बंधन भी न था। सीएम और अफसरों की टोली जहां मंच के नीचे योगाभ्यास में लगी थी, वहीं रांची के पूर्व सिटी डीएसपी पंचानन सिंह बतौर योग शिक्षक की नई भूमिका में थे। रिटायर्ड डीएसपी पंचानन सिंह मंच से योग के आसन बता रहे थे। रिटायर्ड डीएसपी यहां शिक्षक थे, तो सीएम व नौकरशाही का पूरा अमला विद्यार्थी की भूमिका में नजर आया।  
बच्चों ने किया योग
मोरहाबादी में हजारों की संख्या में स्कूली छात्र भी शामिल हुए। स्कूली छात्रों ने भी योगाभ्यास किया। अलग-अलग स्कूलों के 1500 से अधिक छात्र कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वहीं निजी उपक्रमों, सीआईएसएफ और पुलिस के जवान भी योगाभ्यास में शामिल हुए। 
नौकरी के इंतजार में योग सुंदरी
योग कार्यक्रम के दौरान मोरहाबादी मैदान में योग सुंदरी की उपाधि प्राप्त अर्चना कुमारी भी पहुंची थीं। एशिया कप में गोल्ड मेडल समेत कई प्रतियोगिताओं में विजेता रही अर्चना को 21 जून 2015 को सीएम रघुवर दास ने मोरहाबादी में ही झारखंड में नौकरी देने का वादा किया था। तब अर्चना को उत्तराखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिल गई थी। लेकिन झारखंड सरकार में नौकरी के आश्वासन के बाद अर्चना ने उतराखंड में योगदान नहीं दिया। वहां की नौकरी छोड़ने के बाद अर्चना को झारखंड में भी नौकरी नहीं मिली। अर्चना अब भी नौकरी के इंतजार में है। 
बच्चों को नहीं मिली बैठने की समुचित जगह
योगाभ्यास कार्यक्रम में हैंगर के सबसे बायीं तरफ पुलिस, सीआरपीएफ हैंगर में सबसे आगे वीआईपी एवं पीछे सामान्य लोगों के बैठने की व्यवस्था थी। जबकि, हैंगर से सटे दोनों ओर स्कूली बच्चों के बैठने की व्यवस्था थी। लेकिन जितनी संख्या में बच्चे थे उनके लिए जगह अलौट नहीं किया गया था। जिसके कारण न सिर्फ बच्चों को आसन करने में परेशानी थी, बल्कि समुचित तरीके से बैठना भी मुश्किल था। बच्चे एक दूसरे से चिपककर योगाभ्यास कर रहे थे। 
गलती सुधारने वाला नहीं था कोई
योगाभ्यास कर रहे लोगों का सहयोग करने के हर वर्ष वालेंटियर्स होते थे। ये वोलेंटियर्स कुछ कुछ दूरी पर खड़े रहते थे और जो भी व्यक्ति योगाभ्यास में गलती करते उन्हें योग की सही मुद्रा बताते थे। लेकिन इस बार ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। किसी की गलती न तो कोई सुधारने वाला था न ही कोई बताने वाला। इस बाबत जब पतंजलि योग पीठ के प्रांतीय प्रभारी संजय कुमार से पूछा गया तो उन्होंने पहले तो बताया कि उनके 1000 वालेंटियर यहां थे, लेकिन जब यह बताया गया कि हैंगर में तो लोगों की मदद के लिए एक भी वोलेंटियर्स नहीं थे। तो उन्होंने तुरंत वालेंटियर की संख्या घटाकर 200 कर दी।  

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