ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News झारखंड रांचीआज शुभ नक्षत्र-योग में वचन निभाने निकलेंगे स्वामी जगन्नाथ

आज शुभ नक्षत्र-योग में वचन निभाने निकलेंगे स्वामी जगन्नाथ

भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देकर कृतार्थ करने के लिए रथ पर निकलेंगे।  इस बार रथयात्रा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रविपुष्य योग और त्रिपुष्कर योग पड़ रहा है। इन योगों में भगवान जगन्नाथ की...

आज शुभ नक्षत्र-योग में वचन निभाने निकलेंगे स्वामी जगन्नाथ
संवाददाता,रांचीSun, 25 Jun 2017 01:19 AM
ऐप पर पढ़ें

भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देकर कृतार्थ करने के लिए रथ पर निकलेंगे।  इस बार रथयात्रा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रविपुष्य योग और त्रिपुष्कर योग पड़ रहा है। इन योगों में भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना को पंडितों ने शुभ होना बताया है। 
रथयात्रा के पीछे मान्यता है कि सभी भक्त मंदिर में विग्रहों का दर्शन नहीं कर पाते हैं। इसी कारण  जनसाधारण को दर्शन देने के लिए भगवान रथ पर सवार हो दर्शन यात्रा पर निकलते हैं। परमपिता परमेश्वर भी आम आदमी की तरह वचन से बंधे हुए हैं। पवित्र रथयात्रा के बाद वह दिए गए वचन को पूरा करते हैं। मान्यता है कि पुरीधाम में जब राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान के विग्रहों की स्थापना की थी उस समय रानी गुंडिचा ने प्रभु से विनती की थी कि कुछ समय के लिए वह भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ उनके यहां वास करें। भगवान ने रानी गुंडिचा को स्वप्न में दर्शन दिए और वचन दिया कि वे आषाढ़ माह की द्वितीया को जनसाधारण को दर्शन देते हुए उनके यहां आकर विश्राम करेंगे और नौ दिन बाद लौट जाएंगे।
सिद्ध मुहूर्त में बरसेगी कृपा
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष द्वितीया रविवार को भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा का धर्मशास्त्रों में उल्लेख है। श्री विष्णु सहस्त्रनाम के अनुसार प्रभु जगन्नाथ के सहस्त्रार्चन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है और भक्तों पर कृपा बरसती है। रथयात्रा सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन विग्रहों के दिव्य दर्शन, अर्चना और वंदन के अलावा चरणामृत ग्रहण आनंददायिनी है। शास्त्रों में वर्णन है कि उर्ध्व व अधोवस्त्र धारण कर सहस्त्रार्चन से परम मनोरथ की सिद्धि होती है औैर व्यक्ति का पुरुषार्थ सिद्ध होता है। 
जिन पर भक्ति, उन्हीं का करें दर्शन
भगवान जगन्नाथ के भक्त प्रभु को कई रूपों में मानते हैं। कोई श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर तो कोई श्री विष्णु एवं कोई श्री जगन्नाथ स्वामी के रूप में प्रभु की आराधना करते हैं। आषाढ़ द्वितीया को तीनों दिव्य रूपों में से किसी भी रूप की श्रद्धाभाव से पूजा करने से फल मिलता है। मान्यता है कि प्रभु के दर्शन से पूर्व साष्टांग दंडवत कर चरण रज को शीश पर धारण करने से विघ्न दूर होते हैं और प्रभु कृपा प्रसाद से जीवन धन्य हो जाता है।  

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें