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सामाजिक विषमता के विरोध में हैं दिनकर की कविताएं: डॉ खगेंद्र ठाकुर

छायावादोत्तर कविता को जिन कवियों ने गहरे प्रभावित किया उनमें नागार्जुन और दिनकर प्रमुख हैं। आधुनिक हिन्दी कविता में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाले कवि दिनकर की कविता समसामयिक विषयों का सधे अंदाज में...

सामाजिक विषमता के विरोध में हैं दिनकर की कविताएं: डॉ खगेंद्र ठाकुर
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSun, 24 Sep 2017 12:44 AM
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छायावादोत्तर कविता को जिन कवियों ने गहरे प्रभावित किया उनमें नागार्जुन और दिनकर प्रमुख हैं। आधुनिक हिन्दी कविता में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाले कवि दिनकर की कविता समसामयिक विषयों का सधे अंदाज में विवेचन करती हैं। यही वजह है कि वे आज भी प्रासंगिक हैं। यह कहना है वरिष्ठ आलोचक व मार्क्सवादी चिंतक डॉ खगेंद्र ठाकुर का। वह शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के पीजी हिन्दी विभाग की ओर से दिनकर जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। सेंट्रल लाईब्रेरी सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी में दिनकर के समग्र लेखन पर विस्तार से चर्चा हुई। डॉ खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि दिनकर सामंतवाद, सामाजिक विषमता और उपनिवेशवाद के विरोध में कविताओं को खड़ा करते हैं। व्यवस्था के विरोध में उनकी कलम चलती रही। हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ नागेश्वर सिंह ने कहा कि दिनकर का जीवन जितना संघर्षपूर्ण रहा, उसी के अनुरूप उनका साहित्य संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। युवा आलोचक डॉ राहुल सिंह ने कहा कि दिनकर ने कर्ण जैसे चरित्र को नए संदर्भों में सामने लाकरअद्भुत उदाहरण पेश किया। उनकी रचनाएं समकालीन विसंगतियों को जिस अंदाज में उभारती हैं, वह दुर्लभ है। डॉ अरुण कुमार ने कहा कि दिनकर जिस दौर में लिख रहे थे, वह कवि सम्मेलनों का दौर था। छायावादोत्तर काल के वह एकमात्र कवि हैं, जिन्होंने कविता के कलात्मक पक्ष पर विचार किया। हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि दिनकर हिन्दी के उच्चतम राष्ट्रीय भावनाओं और तरुणाई के कवि थे। मौके पर डॉ नवीन कुमार की किताब- ‘दिनकर का प्रबंधन शिल्प, का लोकार्पण किया गया। स्वच्छता की शपथ ली कार्यक्रम में स्वच्छ भारत अभियान पर हिन्दुस्तान की सार्थक पहल के तहत सभागार में मौजूद बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने स्वच्छता की शपथ ली। साथ ही, स्वच्छता के लिए श्रमदान और लोगों को जागरूक करने का संकल्प भी लिया। संचालन डॉ मिथिलेश ने किया।

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