झारखंड में लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ेंगे
झारखंड सहित देश के लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ेगा। बढ़ा हुआ दर अप्रैल 2018 से लागू होगा। हर तीन वर्ष के बाद केंद्र सरकार लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य संशोधित करती है। वर्ष 2014 से वर्ष...
झारखंड सहित देश के लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ेगा। बढ़ा हुआ दर अप्रैल 2018 से लागू होगा। हर तीन वर्ष के बाद केंद्र सरकार लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य संशोधित करती है। वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया था। संशोघित मूल्य तय करने के लिए 25 सितंबर को केंद्र सरकार ने बैठक बुलायी है। झारखंड के वनोपज के लिए कल्याण विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। यह जानकारी सहकारिता विभाग की स्वायत्तशासी संस्था झाम्कोफेड के प्रबंध निदेशक सुरेंद्र सिंह ने दी है। सिंह के अनुसार नोडल कल्याण विभाग के प्रतिनिधि के अलावा नोडल एजेंसी झाम्कोफेड एवं झास्कोलैंप के प्रतिनिधियों को भी बैठक में बुलाया गया है। वर्तमान में लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य कम होने के कारण किसान बिचौलियों के चक्कर में पड़ जा रहे हैं। लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार की आदिवासी एवं जनजातीय कल्याण मंत्रालय की संस्था ट्राइफेड द्वारा एक स्वतंत्र एजेंसी टेरी को सर्वे का काम दिया था। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जायेगा। वर्तमान में ईमली का न्यूनतम समर्थन मूल्य 18 रुपये प्रतिकिलो, चिरौंजी गुठली 60 रुपये, वन मधु 138 रुपये, साल पत्ता 21 रुपये, साल बीज (सखुआ बीज) 10 रुपये, हर्रे 10 रुपये, करंज बीज 21 रुपये और महुआ 22 रुपये प्रतिकिलो है।