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सीएजी की रिपोर्ट: सवा दो लाख करोड़ का निवेश खोया

झारखंड ने अब तक दो लाख 22 हजार करोड़ का निवेश खोया है। कंपनियों को जमीन, बिजली और पानी उपलब्ध नहीं कराने के कारण यह निवेश हाथ से निकल गया। सीएजी की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। झारखंड के औद्योगिक...

सीएजी की रिपोर्ट: सवा दो लाख करोड़ का निवेश खोया
हिन्दुस्तान टीम,रांचीSun, 13 Aug 2017 03:29 AM
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झारखंड ने अब तक दो लाख 22 हजार करोड़ का निवेश खोया है। कंपनियों को जमीन, बिजली और पानी उपलब्ध नहीं कराने के कारण यह निवेश हाथ से निकल गया। सीएजी की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। झारखंड के औद्योगिक विकास पर जारी इस रिपोर्ट को प्रधान महालेखाकार सी नेन्दुचेलियन ने जारी किया। भू-अर्जन, पर्यावरण की मंजूरी और विभिन्न प्रकार की अधिसूचना निकालने में विलंब और खराब कानून व्यवस्था के कारण प्रदेश में पांच मेगा स्टील प्लांट नहीं स्थापित किए जा सके। इसके लिए देश के बड़े औद्योगिक घरानों से करार हुआ था। इन संयंत्रों के नहीं लगने के कारण झारखंड एक लाख 60 हजार करोड़ के प्रस्तावित निवेश का मौका खो बैठा। इसी तरह प्रदेश में साल 2000 के बाद से हुए मेगा इन्वेस्टमेंट के 79 एमओयू में से 38 रद कर दिए गए। इसका कारण एमओयू के बाद निवेशकों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से किसी मजबूत तंत्र का नहीं बनाया जाना था। इससे 62 हजार 879 करोड़ के निवेश की हानि हुई। औद्योगिक संगठनों ने कहा, कारोबार आसान नहीं झारखंड के इज ऑफ डूइंग बिजनेस में तीसरे स्थान पर आने की जमीनी हकीकत भी सीएजी टीम ने जांची। इसके लिए फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीड, झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और एसोचैम की झारखंड इकाई के साथ बैठकें कर प्रतिक्रिया जानी। इन औद्योगिक संगठनों ने साफ-साफ कहा कि सरकारी प्रयास में उदासीनता के कारण राज्य में कारोबार स्थापित करने के लिए जमीन आसानी से उपलब्ध नहीं है। जेसिया की ओर से कहा गया कि बिजली आपूर्ति की खराब स्थिति, सख्य पर्यावरणीय मंजूरी के प्रावधानों के कारण खान और खनिजों को प्राप्त करने में बाधा हो रही है। इससे लघु उद्योगों का विकास बाधित है। एसोचैम की ओर से एक रिपोर्ट में अक्तूबर 2015 में कहा गया कि निवेशकों को प्रोत्साहित करने में राज्य विफल हो गया है। निवेश वृद्धि में निरंतर गिरावट है। जो 2010-11 में 25.7 प्रतिशत से घटकर 2014-15 में 10.10 प्रतिशत तक पहुंच गई। पूरा नहीं खुल रहा सिंगल विंडो सीएजी की टीम ने 2015-16 के दौरान पाया कि झारखंड में निवेश के लिए बनाया गया सिंगल विंडो पूरी तरह से सक्रिय नहीं है। यह बड़े निवेशकों की कठिनाइयों का निवारण नहीं कर सका। निवेशक एक ही जगह सभी विभागों से जुड़ी मंजूरी नहीं हासिल कर सके। इस कारण एमओयू होने के चार से 13 सालों में भी इसे जमीन पर नहीं उतारा जा सका। यहां विभिन्न विभागों में लंबित आवेदनों की निगरानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। जागरुकता की कमी के कारण पोर्टल पर आवेदनों को प्राप्त करने की गति भी काफी कम थी। मंजूरी प्रदान करने के क्रम में किसी पदाधिकारी द्वारा उठाई कई आपत्तियों पर निवेशकों द्वारा निर्धारित समय-सीमा में जवाब नहीं देने पर भी उन्हें अस्वीकार नहीं किया गया।

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