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रांची में एक और किसान ने दी जान

बुढ़मू के सुदूरवर्ती गांव करंबा में कर्ज के जाल में फंसे किसान दुखन यादव ने आत्महत्या कर ली। 17 जुलाई को जंगल में पेड़ से लटका उसका शव मिला था। इसके बाद परिजनों ने बिना पुलिस को बताए उसका अंतिम संस्कार...

रांची में एक और किसान ने दी जान
संवाददाता,रांचीSun, 23 Jul 2017 03:03 AM
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बुढ़मू के सुदूरवर्ती गांव करंबा में कर्ज के जाल में फंसे किसान दुखन यादव ने आत्महत्या कर ली। 17 जुलाई को जंगल में पेड़ से लटका उसका शव मिला था। इसके बाद परिजनों ने बिना पुलिस को बताए उसका अंतिम संस्कार कर दिया। कुछ ग्रामीणों ने घटना की जानकारी शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबेाधकांत सहाय को दी। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों को जानकारी दी।
शुक्रवार को घटना का पता चलने के बाद रात लगभग बारह बजे बीडीओ शीलवंत कुमार भट्ट, सीओ सुनील चंद्र एवं थाना प्रभारी राकेश रंजन गांव पहुंचे। दुखन के परिजनों ने अधिकारियों के आवाज देने पर भी दरवाजा नहीं खोला। अंतत: प्रशासनिक दल ने दीवार फांदकर घर में प्रवेश किया और परिजनों से बात कर उन्हें तत्काल सहायता के रूप में तीन हजार रुपए दिए। साथ ही अन्य सरकारी सुविधाएं दिलाने का आश्वासन दिया। दुखन की पत्नी रीता ने बताया कि स्थानीय महाजनों से पति ने करीब 80 हजार रुपए कर्ज लिया था। महाजन पैसे के लिए दबाव बना रहे थे।
तीन साल में भी नहीं मिली जमीन
बुढ़मू के करंबा स्थित मुरूमजोबे टोला में आत्महत्या करने वाले किसान दुखन यादव ने करीब तीन वर्ष पूर्व वन भूमि पट्टा हेतु आवेदन दिया था परन्तु आजतक उसे एक ईंच जमीन नहीं मिली। इस बीच वह और गांव के अन्य लोग जंगल की जमीन को ही खेती लायक बनाकर उसमें खेती कर अपना जीवन यापन करते थे।
गांव में विकास की किरण तक नहीं
गांव में आज तक विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ है। ग्रामीणों के नाम पर न तो एक इंच जमीन है और न ही पानी के लिए चापाकल या कुंआ और न सड़क है। यहां के ग्रामीण लगभग 70 वर्ष पूर्व पतरातू डैम के निर्माण के समय वहां से विस्थापित होकर आये थे। वर्तमान में ग्रामीण खेत में बने चुएं का पानी पीकर रह रहे हैं।
संवेदनहीन हो चुकी है सरकार: सुबोधकांत सहाय
राज्य सरकार किसानों की मौत पर हंस रही है और दो लाख देकर जान की कीमत लगा रही है। जहां एक ओर सरकार मर रहे किसानों को विक्षिप्त साबित करने पर तुली है वही उनके मातहत किसानों की मौत पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। उक्त बातें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सहपूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय ने मुरूम जोबे टोला में आत्महत्या करने वाले किसान दुखन यादव के परिजनों से मिलने के बाद कही। उबड़ खाबड़ पथरीली रास्तों पर जंगल पहाड़ होते हुए करीब चार किमी की पैदल दूरी कच्ची रास्ते द्वारा तय कर सहाय उक्त गांव में पहुंचे मौके पर सुरेश कुमार बैठा, गंगाधर साहु, हरदेव साहु, बलराम यादव, बालेश्वर यादव आदि मौजूद थे।

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