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जीएसटी का दिखेगा दूरगामी असर, कर चोरी रुकेगी : प्रबल सेन

हिन्दुस्तान से विशेष बातचीत में एक्सएलआआई के प्रोफेसर और प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रबल सेन ने कहा कि नोटबंदी की तरह गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से तत्काल फायदा नहीं मिलेगा, लेकिन इसका दूरगामी...

जीएसटी का दिखेगा दूरगामी असर, कर चोरी रुकेगी : प्रबल सेन
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरFri, 30 Jun 2017 01:00 PM
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हिन्दुस्तान से विशेष बातचीत में एक्सएलआआई के प्रोफेसर और प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रबल सेन ने कहा कि नोटबंदी की तरह गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से तत्काल फायदा नहीं मिलेगा, लेकिन इसका दूरगामी सकारात्मक असर दिखेगा। इससे देश में कर चोरी रुकेगी। प्रबल सेन के अनुसार, जीएसटी से पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी। एक जुलाई से बिना बिल के कोई भी सामान खरीद-बेच नहीं पाएगा। इससे अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या बढ़ेगी तो सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। बिना बिल माल बेचने से अब तक सरकार को जो करोड़ों रुपये का नुकसान होता था, वह रुकेगा। जब सरकार का राजस्व बढ़ेगा तो निश्चित रूप से देश के विकास कार्यों में और तेजी आएगी। इसका सीधा असर जीडीपी पर भी पड़ेगा। साथ ही लगातार बढ़ती महंगाई पर भी लगाम लगेगी। तत्काल महंगाई बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि जीएसटी प्रभावी होने के बाद कुछ सामान के दाम बढ़ेंगे तो कुछ के घटेंगे भी। जीएसटी में छह स्तर पर टैक्स : बकौल प्रबल सेन, केंद्र सरकार ने जीएसटी को लेकर पहले एक देश, एक बाजार और एक टैक्स का नारा दिया था। लेकिन देश बड़ा होने के कारण यह संभव नहीं है। यहां अलग-अलग श्रेणी के लोग रहते हैं, जिनकी क्रय शक्ति भी अलग-अलग है। इसलिए खाद्यान्न पर शून्य, ब्रांडेड खाद्यान्न पर पांच, प्रोसेस फूड पर 12, साबुन, टूथपेस्ट और हेयर ऑयल जैसे सामान पर 18, एसी व लग्जरी कारों पर 28 प्रतिशत टैक्स लगेगा। वहीं, तम्बाकू वाले उत्पाद पर 28 फीसदी जीएसटी के साथ सेस टैक्स भी लगेगा। पेट्रोल व शराब पर एक वर्ष बाद फैसला : प्रबल सेन का कहना है कि पेट्रोल और शराब सभी राज्यों के राजस्व का बड़ा आय स्त्रोत है। इसलिए फिलहाल ये दोनों उत्पाद जीएसटी से बाहर हैं। इनपर वैट की पुरानी प्रक्रिया के तहत टैक्स लगेगा। उम्मीद कि सरकार एक वर्ष में निर्णय ले लेगी। देश बनेगा ईमानदार : जीएसटी से जब प्रक्रिया ऑनलाइन होगी तो व्यवसायियों को सरकारी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। विक्रेता से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक, सभी को बिल देकर समान खरीदना व बेचना पड़ेगा। भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा। दबाव में ही सही, देशवासी ईमानदार बनेंगे।

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