मिलने-जुलने से बढ़ेगी गंगा यमुना संस्कृति : डॉ. जकारिया
आजादी के जश्न की खुशी में शुक्रवार को मानगो मंडप मैरेज हॉल में शाम-ए-गजल की महफिल सजी। समाज निर्माण संस्था के तत्वावधान में शाम-ए-गजल कार्यक्रम में मंजूर अहमद साबरी ने गजलों और सूफी कलाम से...
आजादी के जश्न की खुशी में शुक्रवार को मानगो मंडप मैरेज हॉल में शाम-ए-गजल की महफिल सजी। समाज निर्माण संस्था के तत्वावधान में शाम-ए-गजल कार्यक्रम में मंजूर अहमद साबरी ने गजलों और सूफी कलाम से मंत्रमुग्ध किया। करीम सिटी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मो. जकारिया ने कहा कि त्योहारों में एक-दूसरे के यहां के आने-जाने से गंगा यमुनी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। शंभू सिंह ने कहा कि धर्म को राजनीति में समेटने से बचने के लिए नई पीढ़ी को प्रेरित करना होगा। अध्यक्षता हसन इमाम मल्लिक और संचालन मो. हकीमुद्दीन ने किया। मंजूर अहमद साबरी ने नुसरत फतेह अली का ‘मेरे रश्के कमर, तेरी पहली नजर..., डॉ. इकबाल का ‘रहा यूं ही ना मुकम्मल, गमे इश्क का फसाना... और अशरफ अली का ‘कोई हमदम न किसी से भी सनासाई है... कलाम पेश किया। मौके पर माहताब अनवर, रूहुल जमील अहमद आदि मौजूद थे।