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इनसे सीखें : ग्रामीण बच्चों के जीवन स्तर को सुधार रहे डॉ. फतेह

83 वर्षीय शायर एवं शिक्षाविद् डॉ. फतेह नारायण सक्सेना ‘नादां जिंदादिली की मिसाल हैं। 35 साल तक हरीश चंद्र विद्या मंदिर के प्राचार्य रहने के बाद 1984 में एचटी इंग्लिश स्कूल की नींव डाली। जहां आज भी...

इनसे सीखें : ग्रामीण बच्चों के जीवन स्तर को सुधार रहे डॉ. फतेह
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरThu, 17 Aug 2017 12:47 PM
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83 वर्षीय शायर एवं शिक्षाविद् डॉ. फतेह नारायण सक्सेना ‘नादां जिंदादिली की मिसाल हैं। 35 साल तक हरीश चंद्र विद्या मंदिर के प्राचार्य रहने के बाद 1984 में एचटी इंग्लिश स्कूल की नींव डाली। जहां आज भी फ्री में शिक्षा देते हैं। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के जीवन स्तर को निखार के लिए सतत प्रयासरत हैं। 1960 में आए लौहनगरी : यूपी संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक डॉ. फतेह ने बताया कि ग्लास उद्योग के जनक हरीश चंद्र के बुलावे पर 1960 में यहां आए। हरीश चंद्र विद्या मंदिर में बतौर प्राचार्य 35 साल सेवा दी। स्कूली जीवन से शायरी के शौक की परवरिश इलाहाबाद विवि में हुई। गुरुदेव डॉ. रामकुमार वर्मा और डॉ. धर्मवीर भारती से प्रारंभिक टिप्स मिला। शहर के नामवर शायर रिजवान वास्ती की रहनुमाई में शायरी परवान चढ़ी। काव्य संग्रह ‘चमन-चमन के फूल भी प्रकाशित हुआ, जिसका लोकार्पण बिहार के तत्कालीन राज्यपाल खुर्शीद आलम ने किया था।पीएचडी भी की : ‘नादां का फर्रूखखाद जिले के कायमगंज में 7 जुलाई 1934 को जन्म हुआ। गांव के स्कूल से 1950 में माध्यमिक परीक्षा पास की। वीएनएस डिग्री कॉलेज से इंटर और लखनऊ विवि से स्नातक किए। एलटी का प्रशिक्षण के बाद प्रयाग विवि से एमए किए। 1960 के दशक में जमशेदपुर आकर कांड्रा में हरीश तारा (एचटी) विद्यालय से जुड़े। 60 वर्ष की उम्र तक प्रधानाचार्य रहे। इस दौरान पीएचडी की डिग्री भी हासिल की। पत्नी को दिया श्रेय : सफलता का श्रेय जीवनसंगिनी मिथिलेश सक्सेना को दिया। कहा कि डॉ. सीडी द्विवेदी, प्रदीप कुमार, उमेश सक्सेना, वीके सक्सेना, जीसी चित्रे और राजीव चित्रे ने उत्साहवर्द्धन किया।

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