निर्माण सामग्री की रॉयल्टी में 8 आठ गुना इजाफा, बंद हो जाएंगे विकास कार्य
सरकार के एक असाधारण निर्णय से विकास के सारे काम ठप हो सकते हैं। यह निर्णय निर्माण कार्य में प्रयुक्त होने वाले ईंट, बालू और पत्थर पर लगने वाली रॉयल्टी में आठ गुना इजाफे का है। पहले से चल रहे विकास...
सरकार के एक असाधारण निर्णय से विकास के सारे काम ठप हो सकते हैं। यह निर्णय निर्माण कार्य में प्रयुक्त होने वाले ईंट, बालू और पत्थर पर लगने वाली रॉयल्टी में आठ गुना इजाफे का है। पहले से चल रहे विकास कार्य या जिन योजनाओं का टेंडर फाइनल हो चुका है, उनमें इन प्रमुख निर्माण सामग्री का प्रयोग ठेकेदारों के लिए बड़े घाटे का सौदा साबित होगा। इसका कारण यह है कि विकास कार्य का शिड्यूल ऑफ रेट (एसओआर) पहले पुरानी दर से तय हो चुका है। ऐसे में आठ गुना बढ़ी रॉयल्टी चुकाकर काम कराना किसी ठेकेदार के बस में नहीं है। जाहिर है अब अधिकांश काम ठप हो जाएंगे। इस मामले में खनन विभाग का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के कारण रॉयल्टी की दर को संशोधित करना पड़ा। रॉयल्टी व पेनाल्टी को समझें : जब ये तीनों निर्माण सामग्री विधिवत चालान के माध्यम से हासिल की जाती है तो सिर्फ रॉयल्टी खनन विभाग के खाते में चालान से ऑनलाइन जमा करनी पड़ती है। मगर यह सामान अवैध तरीके से हासिल करने, अर्थात चालान जमा नहीं करने पर उसका दोगुना पैसा जुर्माने के तौर पर जमा करना पड़ता है। खनिज का नाम पुरानी रायल्टी दर व पेनाल्टी के बाद नई रायल्टी दर व पेनाल्टी के बादपत्थर प्रति क्यूबिक मीटर 105-210 रुपये 816-1632 रुपयेईंट प्रति हजार 75-150 5,000-10,000बालू प्रति सीएफटी 40-80 खनन होता नहीं, बाहर से लाना महंगापत्थर के 32 पट्टाधारक हैं, 10 खुद बड़े ठेकेदार : जिले के ठेकेदारों को पत्थर आसानी से नहीं मिलता है। इसका कारण यहां मात्र 32 वैध पट्टाधारकों का होना है। इनमें से 10 खुद बड़े ठेकेदार हैं, जो खुद अपने काम में इस्तेमाल करते हैं। उन्हें दूसरों को देने के लिए नहीं बचता। बचे 22 स्टोन क्रशर संचालक जिले के लगभग दो हजार ठेकेदारों के लिए पत्थर की आपूर्ति करने में असमर्थ हैं। इसी प्रकार बालू पड़ोसी राज्यों बंगाल और ओडिशा से चोरी-छिपे आता है। मगर जो बालू पहले प्रति हाईवा आठ से दस हजार रुपये मिल जाता था, उसका रेट अब 20 हजार रुपये तक पहुंच गया है। अगर कोई ठेकेदार इसका इस्तेमाल भी करता है तो चालान का बाद में क्लीयरेंस लेना पड़ता है। दूसरे राज्य के चालान का क्लीयरेंस भी संभव नहीं है। बालू के अभाव का कारण एनजीटी के आदेश से जून से लेकर सितंबर तक झारखंड में बालू की निकासी पर लगी रोक रही। जहां तक ईंट की बात है पहले प्रति हजार साढ़े सात पैसे रॉयल्टी थी, जो अब बढ़कर पांच रुपये कर दी गई है। काम नहीं हो सकता, अव्यावहारिक फरमान है : संघ पूर्वी सिंहभूम जिला ठेकेदार संघ के अध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह उर्फ गोपाल सिंह का दावा है कि रॉयल्टी दर में आश्चर्यजनक और अव्यावहारिक संशोधन के कारण सरकारी संवेदकों के लिए काम करना असंभव हो गया है। जिले में जनवरी से 10 अक्तूबर तक ईंट का एक भी चालान निर्गत नहीं हुआ है। दलमा इको सेंसेटिव जोन में जो अवैध चिमनी भट्ठे चल रहे हैं वे चालान देंगे नहीं। उन्होंने कहा कि काम बंद करने के अलावा हमारे सामने कोई रास्ता नहीं है। इस मामले में ऑल झारखंड कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन और कांट्रैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन सभी एक मत हैं।