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सदन बाधित न हो इसलिए हांसदा की किताब पर अस्थाई प्रतिबंध

डा. हांसदा सोमेंद्र शेखर की किताब पर अस्थाई प्रतिबंध है। अश्लील साहित्य की श्रेणी में उनकी रचना है या नहीं इसपर साहित्यकार ही राय दे सकते हैं। कई आदिवासी विधायक किताब को लेकर आक्रोशित थे। पूर्व में...

सदन बाधित न हो इसलिए हांसदा की किताब पर अस्थाई प्रतिबंध
विशेष संवाददाता,धनबादSun, 13 Aug 2017 08:58 PM
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डा. हांसदा सोमेंद्र शेखर की किताब पर अस्थाई प्रतिबंध है। अश्लील साहित्य की श्रेणी में उनकी रचना है या नहीं इसपर साहित्यकार ही राय दे सकते हैं। कई आदिवासी विधायक किताब को लेकर आक्रोशित थे। पूर्व में दो सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। मानसून सत्र में कुछ कामकाज हो इसलिए आक्रोशित विधायकों की मांगों को देखते हुए किताब पर अस्थाई प्रतिबंध लगा दिया गया। डीसी से मामले पर जानकारी मांगी गई थी। पाकुड़ डीसी ने किताब को लेकर संताल परगना में हो रहे विरोध की पुष्टी की। अब साहित्यकारों की कमेटी बना इसपर विचार किया जाएगा।

उक्त बातें सिंफर गेस्ट हाऊस में पत्रकरों से बातचीत के दौरान मंत्री सरयू राय ने रविवार को कही। मंत्री ने कहा कि सरकार अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के पक्ष में नहीं है। वहीं अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर गलत को स्वीकार भी नहीं करेगी। मंत्री ने स्वीकार किया कि किताब की एक लाइन भी नहीं पढ़ी है। इसलिए किताब अश्लील है या नहीं इसपर व्यक्तिगत रूप से टिप्पणी नहीं कर सकता। अश्लील साहित्य की धारा क्या है इसे बेहतर कोई साहित्यकार ही समझ सकता है। इसलिए प्रतिबंध का मतलब यह नहीं है कि सरकार डा. हांसदा के लेखन पर सवाल खड़ी कर रही है। यह विषय पूरी तरह से अलग है और मंत्री-अधिकारी इसपर बहुत कुछ नहीं कह सकते हें।

प्रकाशन के दो साल से अधिक हो जाने के बाद प्रतिबंध पर मंत्री ने कहा कि जब विरोध हुआ तो यह सब करना पड़ा। अन्यथा किताब के बारे में कम से कम मंत्री-विधायकों को तो जानकारी नहीं ही होगी। मालूम हो अक्टूबर 2015 में प्रकाशित डा. हांसदा की किताब 'आदिवासी विल नॉट डांस' के खिलाफ विरोध एवं अश्लील अश्लील साहित्य का आरोप लगने के बाद तीन दिन पहले सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। संताल परगना के कई आदिवासी विधायकों ने किताब में आदिवासी महिलाओं का अश्लील चित्रणका आरोप लगाया है।

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