PMCH: जले हुए बच्चे को गोद में उठाए भटकती रही मां
पीएमसीएच में एक महिला अपने जले हुए बच्चे को गोद में उठाए एक कमरे से दूसरे कमरे में भटकती रही। न तो बच्चे के लिए उसे स्ट्रेचर मिला और न हीं कोई कर्मचारी उसकी मदद को आगे आया। महिला को बेटा जल गया था।...
पीएमसीएच में एक महिला अपने जले हुए बच्चे को गोद में उठाए एक कमरे से दूसरे कमरे में भटकती रही। न तो बच्चे के लिए उसे स्ट्रेचर मिला और न हीं कोई कर्मचारी उसकी मदद को आगे आया।
महिला को बेटा जल गया था। इलाज के लिए उसे लेकर महिला पीएमसीएच पहुंची। इमरजेंसी में गाड़ी से उतरी महिला को बच्चे को गोद में उठाकर ओटी तक ले जाना पड़ा। वहां मात्र दो कर्मचारी थे, जो सड़क दुर्घटना में घायल हुए मरीजों में लगे थे।
जलने के बाद घरवालों ने जलन कम करने के लिए बच्चे के शरीर पर गीली मिट्टी लगा दी थी। ओटी में डॉक्टर ने बच्चे को नहलाने के लिए कहा। महिला को फिर से बच्चे को गोद में उठाना पड़ा। उसे इमरजेंसी के बाथरूम का पता नहीं था। पहले इमरजेंसी के महिला वार्ड में चली गयी। फिर बच्चे को उठाए उठाए पुरुष वार्ड में पहुंची। उसे बताने वाला भी कोई कर्मचारी नहीं था। अंत में एक सफाई कर्मी ने उसे बाथरूम का रास्ता दिखाया। तब जाकर महिला ने अपने बच्चे को नहलाया और उसका इलाज हो सका।
वार्डों में भी परेशानीः कर्मचारियों की कमी का असर इमरजेंसी के साथ वार्डों में भी हो रहा है। जहां पहले चार-चार लोग रहते थे, अब एक नर्स और एक कर्मी के सहारे काम चल रहा है।
डॉक्टरों को खुद करनी पड़ रही मरहम पट्टीः कर्मचारियों की कमी का आलम ये है कि डॉक्टरों को खुद मरीजों की मरहम-पट्टी करनी पड़ रही है। पहले ये काम ओटी कर्मी करते थे। अधिक मरीज आने पर इमरजेंसी में अफरातफरी मचती है। मरीजों को देखने और उनके इलाज में काफी अधिक समय लग रहा है।