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कोयला वेतन समझौताः 21% पर बाद में पलट गई कोल इंडिया

ऊपर से केंद्र सरकार या कोयला मंत्रालय का दबाव है या कुछ और कह नहीं सकते। 21 प्रतिशत पर राजी होने के बाद कोल इंडिया ऐन मौके पर पलट गई। आश्चर्य की बात है कि कोयला प्रबंधन खुलकर 21 प्रतिशत नहीं देने की...

कोयला वेतन समझौताः 21% पर बाद में पलट गई कोल इंडिया
विशेष संवाददाता,धनबादSun, 20 Aug 2017 09:08 PM
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ऊपर से केंद्र सरकार या कोयला मंत्रालय का दबाव है या कुछ और कह नहीं सकते। 21 प्रतिशत पर राजी होने के बाद कोल इंडिया ऐन मौके पर पलट गई। आश्चर्य की बात है कि कोयला प्रबंधन खुलकर 21 प्रतिशत नहीं देने की बात भी नहीं कर रहा है, वहीं, 21 प्रतिशत पर सहमति से इनकार कर रहा है। प्रबंधन किस रणनीति के तहत सक्रिय है, यह समझना मुश्किल है। उक्त बातें हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में एटक अध्यक्ष सह जेबीसीसीआई सदस्य रमेंद्र कुमार ने कही।

उन्होंने कहा कि 24 अगस्त को फिर दिल्ली बुलाया गया है। वार्ता में यूनियन नेता शामिल होंगे। इसके बाद जो परिणाम आएगा, उसके बाद आगे के रणनीति पर यूनियन नेता विचार करेंगे। रांची बैठक को लेकर सकारात्मक माहौल बना था। लाखों कोयला कर्मियों को उम्मीद थी। सबको निराशा हुई है।
रमेंद्र कुमार बोले कि तीसरे दिन शाम को 21 प्रतिशत वेतन वृद्धि को लेकर कोल इंडिया के अधिकारियों ने स्वयं आकलन कर तस्वीर सामने रखी। स्थिति यह थी कि अब समझौते का ड्राफ्ट तैयार होगा और हस्ताक्षर की प्रक्रिया शुरू होगी। जैसे ही प्रबंधन से कहा गया तो अब फाइनल कीजिए। इतने में प्रबंधन की ओर से कहा गया कि अभी फाइनल कहां हुआ है। इतना सुनते ही तीन दिन की पूरी कवायद एक झटके में खत्म हो गई।
जो तय हुआ था
- 21% वेतन वृद्धि से न्यूनतम (कैटेगरी वन) वृद्धि 1700 रुपए
- कोल इंडिया पर सालाना आर्थिक भार 3264 करोड़ रुपए
- मेडिकल स्कीम (166 करोड़) एवं पेंशन फंड की (987 करोड़) इसमें शामिल नहीं
- मेडिकल और पेंशन फंड को शामिल कर सालान आर्थिक भार 4417 करोड़
सातवां वेतन और अधिकारियों को 15%, फिर कोयला कर्मियों को 21 % क्यों
रमेंद्र कुमार ने संकेत दिया कि कहीं न कहीं कोल इंडिया प्रबंधन के मन में है कि पब्लिक सेक्टर के अधिकारियों के लिए (तीसरे वेतन पुनरीक्षण) में 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि को स्वीकृति दी गई है। सातवें वेतन आयोग ने 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि की ही अनुशंसा की है, फिर दसवें कोयला वेतन समझौता में 21 प्रतिशत क्यों? रमेंद्र कमुार कहते हैं कि प्रबंधन की इस सोच को यूनियन नेता समझ नहीं पाए। इतने दिनों में जेबीसीसीआई की पांच-छह बैठक में प्रबंधन ने भी इसे जाहिर नहीं होने दिया। रांची में सबकुछ तय होने के बाद कोल इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि प्रतिशत में नहीं कुल में बात कीजिए। अब मैनेजमेंट यही सोच रहा है कि पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकल स्कीम और पेंशन फंड के अतिरिक्त भार की भरपाई वेतन मद से ही की जाए।

 

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