तीन तलाक: जानिए कैसे पाक ने खत्म किया था ट्रिपल तलाक, पीएम के प्यार ने बदला था कानून
पाकिस्तान ने भारत से अलग होने के नौ साल बाद यानी सन् 1956 में ही ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया था। यहां पर ट्रिपल तलाक के खत्म होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सन् 1955 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री...
पाकिस्तान ने भारत से अलग होने के नौ साल बाद यानी सन् 1956 में ही ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया था। यहां पर ट्रिपल तलाक के खत्म होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सन् 1955 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने अपनी सेक्रेटरी से शादी कर ली थी और वह भी अपनी पत्नी को तलाक दिए बिना। इसके बाद पूरे देश में ऑल पाकिस्तान वीमेन एसोसिएशन की ओर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। यहां से पाकिस्तान में ट्रिपल तलाक के खत्म होने पर बहस शुरू हुई।
क्या है पाकिस्तान का कानून
साल 1956 में सात सदस्यों वाले एक कमीशन ने ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया। कमीशन की ओर से फैसला दिया गया कि पत्नी को तलाक कहने से पहले पति को मैट्रीमोनियल एंड फैमिली कोर्ट से तलाक का आदेश लेना होगा। साल 1961 में इसमें बदलावा हुआ और फिर यह तय हुआ कि पति तलाक के मामले पर बनाई गई एक सरकारी संस्था के चेयरमैन को नोटिस देगा। इसके 30 दिन बाद एक यूनियन काउंसिल पति और पत्नी को 90 दिनों का समय देगी कि दोनों रजामंदी कर लें। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर तलाक वैध माना जाएगा। इसके 30 दिन बाद एक यूनियन काउंसिल पति और पत्नी को 90 दिनों का समय देगी कि दोनों रजामंदी कर लें। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर तलाक वैध माना जाएगा। साल 1961 में मुस्लिम फैमिली लॉ ऑर्डिनेंस के सेक्शन सात में छह बातें कही गई थीं।
- कोई भी व्यक्ति जो किसी भी तरह से तलाक कहता है, उसे यूनियन काउंसिल (चुनी हुई स्थानीय संस्था) को इस बारे में जानकारी देनी होगी और साथ ही अपनी पत्नी को भी इसकी कॉपी देनी होगी।
- अगर ऐसा करने में वह असफल रहता है जो फिर उसे एक वर्ष की सजा मिलेगी या फिर उस पर 5,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
- कोई भी तलाक यूनियन काउंसिल को नोटिस देने के 90 दिनों तक वैध नहीं माना जाएगा।
- नोटिस मिलने के 30 दिनों के अंदर चेयरमैन को पति-पत्नी के बीच सुलह कराने की कोशिश के लिए एक मध्यस्थ नियुक्त करना होगा।
- अगर पत्नी गर्भवती है तो फिर तलाक गर्भावस्था या फिर 90 दिनों के खत्म होने तक मान्य नहीं रहेगा।
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