शोध: बच्चों के साथ मां-बाप न करें ऐसा बर्ताव, खराब हो सकता है व्यवहार
जो माता-पिता अपने बच्चों को मार-पीट या डांट से उनके व्यवहार को बदलने के बारे में सोचते हैं वह जरा संभल जाएं। ताजा शोध में सामने आया है कि बच्चों के साथ मार-पीट करने से उनका व्यवहार ज्यादा खराब हो सकता
मार-पीट से ज्यादा खराब हो सकता है व्यवहार
जो माता-पिता अपने बच्चों को मार-पीट या डांट से उनके व्यवहार को बदलने के बारे में सोचते हैं वह जरा संभल जाएं। ताजा शोध में सामने आया है कि बच्चों के साथ मार-पीट करने से उनका व्यवहार ज्यादा खराब हो सकता है। अमेरिका में टेक्सास यूनिवर्सिटी में बच्चों के व्यवहार पर प्रकाशित शोध, 'एलिजाबेथ टी जरशॉफ' के प्रमुख लेखक ने कहा है, 'हमें शोध में जो चीजें मिली हैं जो उससे पता चलता है कि मारपीट बच्चों को सुधारने की सही युक्ति नहीं है बल्कि हकीकत यह है कि इससे बच्चों का व्यवहार ज्यादा खराब हो जाता है।'
यह शोध मनोवैज्ञानिक विज्ञान की एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि बच्चों के व्यवहार की समस्याएं बढ़ना, बच्चों के विभिन्न गुणों, घर का माहौल और माता-पिता पर आधारित नहीं है, लेकिन यह जरूर माना जा रहा है कि बच्चों में ये दिक्कतें उनके साथ मारपीट होने की वजह से होती हैं।
उन्होंने कहा कि पैरेंट्स बच्चों के साथ मारपीट कई कारणों से करते हैं, जैसे- शिक्षा का स्तर या परिवार का वैसा माहौल या बच्चों व्यवहार न पसंद होना आदि। इन्हीं कारणों को लेखक ने सेलेक्शन फैक्टर का नाम दिया है। शोध में कहा गया है कि सेलेक्शन फैक्टर के जरिए पता लगाया जा सकता है कि बच्चे का व्यवहार कैसा होगा, लेकिन यह बात जरूर साबित हुई है कि बच्चों के साथ मारपीट करने से उनके खराब होने की समस्याएं देखने को मिलती हैं।
12122 बच्चों के व्यवहार पर हुआ अध्ययन
जरशॉफ ने कहा, हमने पाया है कि गणनात्मक विधि से स्वभाव या व्यवहार का अंकन से किया जाए तो किसी संभव प्रयोग के करीब पहुंचा जा सकता है। शोध कर्ताओं ने 12122 बच्चों के व्यवहार का अध्ययन किया है। 5 साल की उम्र के बच्चों से पूछा गया कि पिछली सप्ताह उनके माता पिता ने उनके साथ कितनी बार मारपीट की। इसके बाद शोधकर्ताओं ने जिन बच्चों के साथ मारपीट की गई थी उनके व्यवहार को उन बच्चों के व्यहार के साथ मैच किया जिनके साथ मारपीट नहीं हुई थी।
परिणाम यह मिला कि पांच साल की उम्र में जिन बच्चों के साथ मारपीट की गई थी उनमें व्यवहार को लेकर ज्यादा समस्याएं थीं। यह समस्याएं छह साल की उम्र होने पर बढ़ रही थीं। यहां पिटने वाले बच्चे का व्यवहार आठ साल की उम्र तक और खराब होता दिखा जबकि न पिटने वाले बच्चों के साथ ऐसा नहीं था।
तथ्य यह है कि जिस बच्चे के साथ कभी मारपीट हुई है उस बच्चे की व्यवहार समस्याएं मारपीट न होने वाले बच्चे की मुकाबले ज्यादा होती हैं। यानी बच्चों के साथ मारपीट करना हानिकारक है।