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रीयल एस्टेट को जीएसटी में लाने से खरीदार फायदे में रहेंगे: वित्त मंत्री अरुण जेटली

केंद्र सरकार रीयल एस्टेट क्षेत्र को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। अमेरिकी दौरे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा कर चोरी होती है और जीएसटी में...

रीयल एस्टेट को जीएसटी में लाने से खरीदार फायदे में रहेंगे: वित्त मंत्री अरुण जेटली
वाशिंगटन। एजेंसीFri, 13 Oct 2017 07:51 PM
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केंद्र सरकार रीयल एस्टेट क्षेत्र को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। अमेरिकी दौरे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा कर चोरी होती है और जीएसटी में रीयल एस्टेट के आने से खरीदार सबसे ज्यादा फायदे में रहेंगे।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान देते हुए जेटली ने कहा कि इसका लाभ उपभोक्ताओं को होगा जिन्हें पूरे उत्पाद पर केवल अंतिम कर देना होगा और जीएसटी के तहत यह अंतिम कर लगभग नगण्य होगा। कर दायरे के तहत लोगों को लाने के लिए दी जाने वाली छूट और अंतिम व्यय में कमी किए जाने से कालेधन से चलने वाली छद्म अर्थव्यवस्था का आकार घटाने में भी मदद होगी। वित्त मंत्री भारत में कर सुधारों पर  वार्षिक महिंद्रा व्याख्यान में बोल रहे थे। 

जेटली ने कहा कि इस मामले पर गुवाहाटी में नौ नवंबर को होने वाली जीएसटी की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, भारत में रियल एस्टेट एक ऐसा क्षेत्र है, जहां सबसे ज्यादा कर अपवंचना होती है व नकदी पैदा होती है और वह अब भी जीएसटी के दायरे से बाहर है। कुछ राज्य इस पर जोर दे रहे हैं, इस पर आम सहमति बनाई जाएगी। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर माना कि जीएसटी को रियल एस्टेट के दायरे में लाने का मजबूत आधार है।  

जेटली ने नोटबंदी को फिर सही ठहराते हुए कहा कि जिन कदमों के दीर्घावधि लक्ष्य होते हैं, उसमें लघु अवधि की चुनौतियां होंगी ही, लेकिन यह भारत को एक गैर कर चुकाने वाले देश से अधिक कर देने समाज बनाने के लिए आवश्यक था। उन्होंने कहा कि यदि आप इसके दीर्घकालिक प्रभाव को देखें तो नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन बढ़ा। इसने व्यक्तिगत कर आधार को बढ़ाया है। इसने नकद मुद्रा को तीन प्रतिशत तक कम किया जो बाजार में चलन में थी। नोटबंदी पर जेटली ने कहा कि यह एक बुनियादी सुधार है, जो भारत को एक और अधिक कर चुकाने वाले समाज के तौर पर बदलने के लिए जरूरी था।  


उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में करदाताओं की संख्या में जो बढ़ोतरी हुई है वह कंपनियों के तौर पर नहीं बल्कि व्यक्तियों के रूप में हुई है जो कर दायरे में प्रवेश कर रहे हैं। जेटली ने कहा कि सरकार उन 18 लाख लोगों की जांच करने में सक्षम है जिनकी जमा उनकी सामान्य आय से मेल नहीं खाती है। उल्लेखनीय है कि जेटली अमेरिका की सप्ताह भर की यात्रा पर हैं। यहां वह विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने आए हैं। वित्त मंत्री ने पिछली सरकारों पर निशाना साधा और कहा कि पिछले कई दशकों में कर आधार को बढ़ाने के गंभीर और वास्तविक प्रयास नहीं किए गए। मात्र मामूली प्रयास ही किए गए। 
             
अभी निर्माणाधीन इमारतों पर जीएसटी      
किसी परिसर, इमारत और सामुदायिक ढांचे के निर्माण पर या किसी एक खरीदार को इसे पूरे या हिस्से में बेचने पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। हालांकि भूमि एवं अन्य अचल संपत्तियों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। जबकि बने हुए मकान इसके दायरे से बाहर हैं। 

बैंकिंग प्रणाली में सुधार शीर्ष एजेंडे पर
वित्त मंत्री ने कहा कि  बैंकिंग प्रणाली में सुधार सरकार का शीर्ष एजेंडा है। सरकार बैंकिंग क्षेत्र की क्षमता के पुनर्निर्माण की योजना पर काम कर रही है ताकि यह विकास में योगदान दे सके। उन्होंने बताया कि हमें विरासत में एक ऐसी बैंकिंग व्यवस्था मिली जिसका फंसा कर्ज बहुत पड़ा था। हमारे सामने इसे सुधारने की चुनौती है, ताकि बैंक आर्थिक वृद्धि में सहायता कर सकें। 

उन्होंने कहा कि बड़े कारोबारों के पास उनकी बांड बाजार में पहुंच है और उनके पास अधिक सस्ती दरों पर विदेशी कोष जुटाने का भी विकल्प है। वह भारतीय बैंकों के पास नहीं गए। यह छोटे और मझोले कारोबार हैं जिन्हें इस बैंकिंग व्यवस्था के समर्थन की जरूरत है और यही वह क्षेत्र है जो बहुत बड़े पैमाने नौकरियां पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था जब आठ-नौ प्रतिशत की तेजी से बढ़ी तो निजी क्षेत्र का विस्तार असीमित था। 

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