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चीन का जवाब: रावत का बयान मोदी-शी जिनपिंग की भावना के विपरीत

सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत के बयान को चीन ने इसी हफ्ते श्यामन में अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का विरोधाभासी बताया है। रावत ने नई दिल्ली...

चीन का जवाब: रावत का बयान मोदी-शी जिनपिंग की भावना के विपरीत
बीजिंग| एजेंसियां Thu, 07 Sep 2017 07:55 PM
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सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत के बयान को चीन ने इसी हफ्ते श्यामन में अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का विरोधाभासी बताया है।

रावत ने नई दिल्ली में सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज द्वारा आयोजित सेमिनार में कहा था कि भारत को दो मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि चीन दमखम दिखाना शुरू कर चुका है और पाकिस्तान से सुलह की कोई गुंजाइश नहीं लगती। उन्होंने कहा था कि बीजिंग भारत के संयम की परीक्षा ले रहा है। 

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, हमने भारत में संबंधित लोगों के बयान देखे हैं। हमें नहीं पता कि रावत ऐसी बातें कहने के लिए अधिकृत हैं या नहीं। या ये केवल उनके स्वत: स्फूर्त बयान थे। या उनकी बात भारत सरकार के रुख का प्रतिनिधित्व करती हैं। 

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गेंग ने डोका ला में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिन तक चले गतिरोध के समाप्त होने के बाद शी और मोदी की पहली मुलाकात का जिक्र किया। उन्होंने कहा, दो दिन पहले राष्ट्रपति शी ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने संकेत दिया था कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए विकास के अवसर हैं, खतरा नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि भारतीय पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के सतत विकास के लिए चीन के साथ काम करने का इच्छुक है।

गेंग ने कहा, हमें एक दूसरे को शत्रु नहीं मानना चाहिए और सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय यही देखना चाहता है। 

मतभेद बेकाबू न हों : वांग
चीन ने गुरुवार को कहा कि चीन और भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके आपसी मतभेद नियंत्रण से बाहर न जाने पाएं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस हफ्ते हुई मुलाकात के बाद भारत-चीन संबंधों पर पहली बार टिप्पणी करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, बीते कुछ महीनों में  द्विपक्षीय संबंध स्पष्ट कारणों से  प्रभावित और कमजोर हुए हैं। दोनों नेताओं के बीच जो सहमति बनी है, दोनों पक्षों को उस पर साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि द्विपक्षीय संबंध पटरी पर रहें।

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