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हिमाचल चुनाव: 'चौपाल' में निर्दलीयों का है दबदबा, पाला बदलकर चमकाते रहे हैं अपनी राजनीति

हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस का दबदबा रहा है। प्रदेश के इतिहास में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा बार सरकार बनाने में सफलता पाई है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक सीट ऐसी भी...

हिमाचल चुनाव: 'चौपाल' में निर्दलीयों का है दबदबा, पाला बदलकर चमकाते रहे हैं अपनी राजनीति
लाइव हिन्दुस्तान टीम,चौपालTue, 07 Nov 2017 11:11 PM
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हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस का दबदबा रहा है। प्रदेश के इतिहास में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा बार सरकार बनाने में सफलता पाई है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक सीट ऐसी भी है, जहां से कई बार निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीतकर मुख्य पार्टियों से हाथ मिलकर यानी पाला बदलकर अपनी राजनीति चमकाते रहे हैं। 

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मगर इस बार यहां बतौर निर्दलीय जीतते रहे बलबीर सिंह वर्मा को भाजपा का टिकट मिला है। पेशे से ठेकेदार वर्मा का मुकाबला कांग्रेस के सुभाष चंद मंगलेट से है। सीट संख्या-60 यानी चौपाल निर्वासन क्षेत्र शिमला लोकसभा क्षेत्र और शिमला जिले के अंतर्गत आती है। इस क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 71 हजार से अधिक है। शिमला जिले का यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। इस क्षेत्र के मरोग गांव को एशिया का सबसे अमीर गांव कहा जाता है। 

बात करें क्षेत्रीय राजनीति की, तो यहां की जनता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर व्यक्तित्व को ज्यादा तवज्जो देती रही है। यहां की रीत रही है कि जिस किसी निर्दलीय उम्मीदवार को यहां की जनता ने जिताया है, उसने अगला चुनाव बड़े दल के बैनर तले लड़ा है। वर्ष 1993 में योगेंद्र चंद ने बतौर निर्दलीय इस सीट से चुनाव जीता और अगले चुनाव 1998 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा और जीत दर्ज की। 

वर्ष 2003 में फिर से एक निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद ने चुनाव जीता और अगली बार 2007 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लड़कर जीत गए। वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में फिर इस निर्वाचन क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार बलबीर सिंह वर्मा को चुना, जिन्होंने दो बार के विधायक और कांग्रेस नेता सुभाष चंद को कांटे की टक्कर में करीब 647 मतों से हराया। 

चौपाल सीट के बारे में यह बात काफी मशहूर है कि पिछली पांच बार इस विधानसभा से चुनाव जीतने वाला विधायक कभी भी सत्ताधारी पार्टी के साथ नहीं रहा है। 

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