दिवाली 2017: त्योहार पर जायका ना बिगाड़ दे आपकी सेहत, ये खाएं ये ना खाएं
हम सबको पता है कि त्योहारों का मौसम आ रहा है। इस मौसम की शुरुआत हो चुकी है, और यह नए साल की शुरुआत तक जारी रहेगा। यही वह वक्त होता है, जब हम एक-दूसरे से मिलते हैं, पार्टियां करते हैं, अपने...
हम सबको पता है कि त्योहारों का मौसम आ रहा है। इस मौसम की शुरुआत हो चुकी है, और यह नए साल की शुरुआत तक जारी रहेगा। यही वह वक्त होता है, जब हम एक-दूसरे से मिलते हैं, पार्टियां करते हैं, अपने घर-परिवार के लोगों के साथ अपनी खुशियां बांटते हैं और गुलाबी ठंडक के बीच तरह-तरह के लजीज पकवानों का मजा उठाते हैं। सवाल यह है कि इस साल आप इन सबसे तालमेल कैसे बिठाएंगे? आहार विशेषज्ञों को यह पता है कि लोभ कितनी मायावी होता है? वे अच्छी तरह जानते हैं कि सामने बर्फी का डिब्बा देखते हुए उसमें से एक बर्फी उठाने से खुद को रोकना कितना मुश्किल होता है या त्योहारी दावत में मनपसंद व्यंजन को दोबारा मांगने से बचना कितना कचोटता है? परेशान मत होइए। इस मौसम में अपने खान-पान को स्मार्ट तरीके से नियंत्रित करने का वक्त अब आ गया है।
विशेषज्ञों की मानें, तो अगर आप बाहर किसी रेस्टोरेंट में खाने की सोच रहे हों, तो जापानी भोजन काफी बेहतर विकल्प है। जापान को सिर्फ कच्ची मछली और सुशी (चावल व कच्ची मछली को मिलाकर तैयार होने वाला एक जापानी भोजन, जिसे समुद्री शैवाल में लपेटकर परोसा जाता है) का देश समझने की भूल न करें। जापानी व्यंजन ज्यादातर हल्के होते हैं, उनमें कम तेल का इस्तेमाल होता है और उन्हें बनाने की विधि सेहत के लिहाज से बेहतर है।
मैक्स हेल्थकेयर में डायटेटिक्स की रीजनल हेड (क्षेत्रीय प्रमुख) रीतिक समदार कहती हैं,‘जापान और कोरिया जैसे देशों के खान-पान में शैवाल और कम-कैलोरी वाली सब्जियों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यह खाना उनके लिए काफी फायदेमंद है, जो डायबिटीज से पीड़ित हैं या जिन्हें दिल या जीवन शैली से जुड़ी कोई बीमारी है।’भूमध्यसागर के आसपास के हिस्सों में जिस तरह का खान-पान है, वह भी आहार विशेषज्ञों को खूब लुभाता है। इस तरह के व्यंजनों में ऑलिव ऑयल (जैतून के तेल) और लहसुन का इस्तेमाल तो होता ही है, समुद्री भोजन व हरी पत्तेदार सब्जियां भी बड़ी मात्र में होती हैं।
दिल्ली की एक पोषण विशेषज्ञ नेहा अरोड़ा कहती हैं, ‘ऑलिव ऑयल, बादाम व मछली वसा के स्वस्थ स्नेत माने जाते हैं। भूमध्यसागरीय भोजन में लाल मांस (गाय या भेड़ का मांस) और चीनी की मात्र भी काफी कम होती है, जिसके कारण यह काफी सेहतमंद बन जाता है।’अगर आप इटैलियन भोजन लेने की सोच रहे हैं, तो पास्ता से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इसे अत्यधिक सफेद सॉस या मक्खन के साथ पकाया जाता है। हां, अगर टमाटर में बना गेहूं पास्ता हो, तो वह कम कैलोरी वाला होगा। इटैलियन खाने में सलाद भी काफी ज्यादा होता है, जो भले ही आपके भोजन की मात्र बढ़ा दे, लेकिन उसका सेहत पर नुकसान नहीं के बराबर होता है।
अगर आपका खाने-पीने पर कोई नियंत्रण नहीं और भोजन सामने देखकर आप उस पर टूट पड़ते हों, तो रेस्टोरेंट में कम से कम ऐसे व्यंजनों का चुनाव करें, जो सेहत के लिहाज से फायदेमंद हो। नेहा अरोड़ा की मानें, तो भारतीय रेस्तरां में पनीर टिक्का या तंदूरी थाली ली जा सकती है, जबकि दक्षिण भारतीय व्यंजनों में तले हुए वड़ों की बजाय भाप से पकी इडली का ऑर्डर देना बेहतर होगा। गहरे तले हुए भोजन की बजाय त्योहारी मौसम में भुने हुए, हल्के तले, उबले या भाप में पके व्यंजनों का चुनाव आपके खान-पान को संतुलित रख सकता है।
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इसी तरह, मैदा से बने व्यंजनों की बजाय चोकरयुक्त गेहूं से बने पकवान आपकी कैलोरी को काफी कम कर सकते हैं।इस समय कभी न कभी आपको चाइनीज खाने की सलाह भी दी जाएगी। मगर चीनी व्यंजनों में भी मैदा से बने नूडल्स से परहेज करें और उसकी जगह गेहूं से बने नूडल्स का ऑर्डर दें। कई चाइनीज रेस्तरां के मैन्यू में यह विकल्प आपको आसानी से दिख भी जाएगा। इसी तरह, फ्रायड राइस की बजाय भाप से पके या ब्राउन चावल का चुनाव श्रेयस्कर रहेगा। और तरी (ग्रेवी) वाली सब्जी लेने की बजाय सूखे व्यंजनों का स्वाद लें। इनमें वसा की मात्र कम होती है। और हां, इन त्योहारों में कोला और पैकेटबंद जूस से जरूर परहेज करें। इनकी बजाय नींबू का ताजा जूस, नारियल पानी या ताजा फलों का जूस लें, इससे आपके वजन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।खाना ही नहीं, इन दिनों अपने शरीर को पढ़ना भी आपके लिए काफी जरूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आप महज स्वस्थ तरीके अपनाकर छह हफ्ते में तीन से पांच किलो तक अपना वजन कम कर सकते हैं और अपनी कमर एक या दो इंच तक घटा सकते हैं। बस इसके लिए आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना होगा और रोजाना 40 मिनट तक व्यायाम करना पड़ेगा। ऐसा करने के साथ-साथआप इस बात पर भी गौर करें कि आपको मसालेदार या चटपटे भोजन की जरूरत क्यों पड़ती है? यह पता करने की कोशिश करें कि कहीं अपनी बोरियत को दूर करने के लिए तो आप नाश्ता या जरूरत से अधिक खाना नहीं खा रहे हैं? क्या हर कोई भोजन कर रहा है, इसलिए आप भी खाने पर टूट रहे हैं? क्या किसी काम से ध्यान हटाने के लिए आपको खाने की जरूरत महसूस हो रही है? या आप तनाव में हैं, इसलिए खाने की तलब जगी है? जाहिर है कि भूख जगने के मूल कारणों को गंभीरता से खोजें और उन्हें दूर करने का प्रयास करें। वरना सेहत के लिहाज से फायदेमंद व्यंजनों की तलाश करें और उनको अपने आस-पास रखें, ताकि जरूरत के समय उसे खाया जा सके।
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वजन घटाने के चक्कर में भोजन छोड़ने से भी हमें बचना चाहिए, खासतौर से नाश्ता से, क्योंकि यह आपके पूरे दिन का सबसे सेहतमंद खाना हो सकता है। नाश्ते में उन व्यंजनों को जरूर शामिल करें, जिनमें काबरेहाइड्रेट और प्रोटीन हो। इसी तरह, दिन के खाने में रोटी, सब्जी, दाल और दही लें। मांसाहारी लोग मुर्गा या मछली का सेवन भी कर सकते हैं। पूरे दिन का सबसे महत्वपूर्ण समय शाम के पांच और सात बजे के बीच का वक्त होता है, क्योंकि तब तक लंच (दिन का खाना) लिए काफी वक्त बीत चुका होता है और डिनर (रात का खाना) में काफी समय होता है। इस समय नाश्ते की तलब जगती है। लिहाजा ग्रीन टी के साथ बिस्कुट या भुना हुआ चना खाया जा सकता है। नेहा अरोड़ा कहती हैं, ‘इस समय ऐसे खाद्य पदार्थो से बचें, जिनमें कैलोरी काफी ज्यादा मात्र में होती है। जैसे, पिज्ज, बर्गर या अंडे की जर्दी आदि से भरे सैंडविच।’
जहां तक रात के खाने का सवाल है, तो शाम नौ बजे के बाद डिनर करने से बचें और देर रात स्नैक वगैरह न खाएं। ‘अगर देर रात आपको भूख लगती है, तो एक कप गरम दूध, कैमोमाइल टी या फल वगैरह लें। अगर नियमानुसार इन तमाम आदतों को अपने जीवन में हम उतार लें, तो यकीन मानिए अपना वजन कम करने के लिए हमें किसी तरह के आहार को तुरंत बंद करने या डाइटिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी।’ऐसा नेहा अरोड़ा का मानना है। कई लोग इस चक्कर में उन व्यंजनों से भी परहेज करते हैं, जिनमें काबरेहाइड्रेट होता है। वे सिर्फ फल व सब्जियां लेना पसंद करते हैं। यह प्रवृत्ति गलत है। काबरेहाइड्रेट हमारे शरीर की ऊर्जा के लिए बेहद जरूरी है।
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क्लिनिकल डाइटिशियन और डायबिटीज एजुकेटर इंद्राणी पवार कहती हैं, ‘अपने भोजन में साबूत अनाज और ज्वार, बाजरा, रागी जैसे अनाज को जरूर शामिल करें। ये आपका पेट अधिक समय तक भरा रखेंगे।’त्योहारी मौसम में मिठाइयों से परहेज रखना भी लगभग असंभव होता है, इसीलिए पोषण विशेषज्ञ जुबैदा तुंबी कहती हैं, ‘ऐसी सूरत में बादाम, मेवा या मिक्स्ड मिठाई को चुनें। गुलाम जामुन या बालुशाही की अपेक्षा रसगुल्ला और रसमलाई खाना कहीं ज्यादा बेहतर है। इसी तरह, सेंके या भुने हुए चिवड़े से बेहतर चिप्स, गठिया या कॉर्न लेना फायदेमंद होगा, क्योंकि इनमें कम कैलोरी होती है।’
कुल मिलाकर, इस मौसम में जरूरत से अधिक कतई न खाएं। वैसे डॉक्टरों की मानें, तो अच्छा यही होगा कि कम खाने की आदत को हमेशा के लिए अपने जीवन में उतार लिया जाए। दिल्ली की हेल्थ कोच तपस्या मुंद्रा भी यही राय देती हैं कि ‘कम अंतराल पर कुछ न कुछ खाना ही आदर्श स्थिति है। बेहतर है कि हर तीन-चार घंटे में कुछ खा लिया जाए। यह हमारी सेहत के लिहाज से एक अच्छी आदत है।’